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भंवरी मामले में हाईकोर्ट का आदेश, बच्चों को मिलेगी पेंशन:डेथ सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण रोक रखा था पैसा, पति का हिस्सा डिपार्टमेंट के पास रहेगा जमा

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भंवरी मामले में हाईकोर्ट का आदेश, बच्चों को मिलेगी पेंशन:डेथ सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण रोक रखा था पैसा, पति का हिस्सा डिपार्टमेंट के पास रहेगा जमा

देश का चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में आया है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को आदेश जारी करते हुए भंवरी देवी के बच्चों को उसकी पेंशन और रिटायरमेंट समेत सरकारी सेवा से जुड़े सभी लाभ देने के आदेश दिए हैं।

हाईकोर्ट के जज अरुण मोंगा की एकल पीठ ने इस संबंध में फैसला सुनाया। उन्होंने चिकित्सा विभाग को भंवरी देवी के 1 सितंबर 2011 से बकाया सेवा परिलाभ और नियमित पेंशन व सेवानिवृत्ति परिलाभ की गणना कर समस्त परिलाभ चार महीने में ब्याज के साथ देने के आदेश दिए हैं।

इसके साथ ही ये आदेश भी दिया कि भंवरी के पति अमरचंद का हिस्सा डिपार्टमेंट के पास रहेगा। बेल मिलने पर उसे यह हिस्सा मिलेगा। अमरचंद इसी हत्याकांड में अभी जोधपुर जेल में बंद है।

2018 में बेटे की लगी थी अनुकंपा नौकरी
भंवरी देवी से जुड़े मामले में उसकी हत्या 1 सितंबर 2011 को मानी गई है। भंवरी देवी सरकारी हॉस्पिटल में ANM थी। चिकित्सा विभाग ने भंवरी देवी को मृत मान उसके बेटे साहिल को 2016 में अनुकंपा नियुक्ति तो दे दी थी, लेकिन भंवरी देवी से जुड़ी नियमित पेंशन और सरकारी सेवाओं के लाभ देने से मना कर दिया था।

चिकित्सा विभाग की ओर से तर्क दिया गया कि उसका डेथ सर्टिफिकेट नहीं है। ऐसे में उसकी दोनों बेटी अश्विनी, सुहानी और बेटे साहिल ने एडवोकेट यशपाल खिलेरी व विनीता के माध्यम से 2018 में हाईकोर्ट में एक याचिका पेश की।

याचिका में बताया गया कि चिकित्सा विभाग ने भंवरी देवी की मौत मानकर बेटे को नौकरी तो दे दी, लेकिन जब भंवरी देवी के बकाया सेवा परिलाभ, नियमित पेंशन और रिटायरमेंट के परिलाभ के लिए कहा तो डेथ सर्टिफिकेट नहीं होने का हवाला देकर मना कर दिया। इस पर बेटे और बेटियों की ओर से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कलेक्टर से अपील की गई, जहां से तहसीलदार को आदेश दिए थे। पीपाड़ सिटी तहसीलदार की ओर से रिपोर्ट बना कलेक्टर को भेजी गई। इसी आधार पर डेथ सर्टिफिकेट बना और अब पांच साल बाद इसमें फैसला आया है।

हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए चार महीने में ब्याज के साथ सारे लाभ देने के आदेश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए चार महीने में ब्याज के साथ सारे लाभ देने के आदेश दिए हैं।

कौन थी भंवरी देवी
भंवरी देवी जोधपुर के पास एक सरकारी अस्पताल में नर्स थी। 36 वर्षीय भंवरी राजस्थानी लोक गीतों के एलबम में भी काम करती थी। वह खुद का एलबम लाना चाहती थी। वह एक्टिंग के कारण अक्सर शहर से बाहर रहती थी। इस वजह से वह ड्यूटी से नदारद रहती थी। जब ज्यादा दिन तक वह नदारद रहने लगी तो विभाग ने सस्पेंड कर दिया। इसके बाद वह स्थानीय विधायक मलखान सिंह विश्नोई से मिलने गई। उनसे नजदीकी बढ़ाने के बाद मलखान ने ही एक दिन उसकी मुलाकात तत्कालीन मंत्री महिपाल मदेरणा से कराई।

रिपोट्‌र्स के मुताबिक, इसके बाद भंवरी की नौकरी न केवल दोबारा से बहाल हो गई बल्कि अपने गांव के समीप ही पोस्टिंग मिल गई। बाद में भंवरी देवी की मलखान सिंह और महिपाल से नजदीकियां हो गईं। यह सब होने के बाद भंवरी देवी की सियासी गलियारों में जान-पहचान बढ़ती गई और उसने स्थानीय लोगों के काम करवाने शुरू कर दिए।

पूर्व विधायक मलखान सिंह और भंवरी देवी। (फाइल फोटो)

पूर्व विधायक मलखान सिंह और भंवरी देवी। (फाइल फोटो)

एक सीडी बनी मुसीबत, ​पति ने किया था सौदा
भंवरी ने दावा किया था कि उसके पास महिपाल और मलखान के साथ संबंधों की CD है। CD को वह सार्वजनिक कर देगी। झगड़े की जड़ ही CD बनी। CD बरामद करने के उद्देश्य से ही भंवरी का अपहरण हुआ, लेकिन बीच रास्ते मामला बिगड़ गया। भंवरी को काबू करने के प्रयास में उसका दम टूट गया। भंवरी के पास मौजूद CD कहां गई। इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। उसकी मौत के बाद इतना अवश्य हुआ कि उसकी और महिपाल मदेरणा की एक CD सामने आई। इस केस में आज तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह सीडी वास्तव में थी या नहीं? यदि थी तो अब कहां है?

भंवरी का पति कई दिनों तक इस मामले में चुप रहा। बाद में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। तत्कालीन मंत्री महिपाल मदेरणा पर इसका आरोप लगाया था। पुलिस मामले को सुलझाने में नाकाम रही तो मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। मामला ज्यादा बढ़ा तो महिपाल मदेरणा को इस्तीफा देना पड़ा था। भंवरी पर आरोप लगाया गया था कि उसने CD देने के लिए लाखों रुपए में दोनों से सौदा किया था।

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