NATIONAL NEWS

भजनलाल कैबिनेट में छिपे मोदी-शाह के 10 संदेश:हर बड़ा फैसला दिल्ली करेगी, सीनियरिटी मंत्री बनने की गारंटी नहीं

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

भजनलाल कैबिनेट में छिपे मोदी-शाह के 10 संदेश:हर बड़ा फैसला दिल्ली करेगी, सीनियरिटी मंत्री बनने की गारंटी नहीं

राजस्थान में भाजपा को बहुमत मिलने के 27 दिन बाद और नए साल की शुरुआत से 2 दिन पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को अपनी टीम मिल गई।

22 में 17 पहली बार मंत्री बने हैं। इससे पहले भजनलाल शर्मा को पहली बार में ही मुख्यमंत्री और दीया कुमारी व प्रेमचंद बैरवा को उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली।

यानी सीएम सहित 25 की कैबिनेट में 20 नए चेहरे हैं।

पहले सीएम-डिप्टी सीएम और अब मंत्रिमंडल के जरिए भाजपा आलाकमान ने कई संदेश दिए हैं…

दशकों से चली आ रही राजनीतिक परंपराएं अब नहीं चलेंगी। सीनियरिटी पद की गारंटी नहीं है। राजस्थान में वसुंधरा युग खत्म हो गया है…और सबसे बड़ा संदेश- हर बड़ा फैसला दिल्ली करेगी।

भाजपा ने मंत्रिमंडल गठन में छिपे मोदी-शाह के संदेश डिकोड करने की कोशिश की।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

भाजपा हाईकमान ने सीएम के नाम की घोषणा के साथ ही अपना संदेश क्लीयर कर दिया था। यही मैसेज मंत्रिमंडल विस्तार में भी नजर आया। 22 में 17 पहली बार मंत्री बने हैं।

भाजपा हाईकमान ने सीएम के नाम की घोषणा के साथ ही अपना संदेश क्लीयर कर दिया था। यही मैसेज मंत्रिमंडल विस्तार में भी नजर आया। 22 में 17 पहली बार मंत्री बने हैं।

भाजपा में आलाकमान ही सर्वेसर्वा
चुनाव से पहले ही संकेत दे दिए थे कि राजस्थान में भाजपा को बहुमत मिला तो आगे की दिशा आलाकमान ही तय करेगा। बहुमत के बाद की स्क्रिप्ट भी आलाकमान ने ही लिखी। कौन सीएम होगा? सीएम की टीम को लेकर कब राज्यपाल से समय लेना है? टीम में कौन-कौन होगा?…सहित हर बड़े सवाल का जवाब आलाकमान के पास था।

आलाकमान ने साफ संदेश दिया कि प्रदेश नेतृत्व का दखल भविष्य में भी खास नहीं रहेगा। मंत्रियों को मिलने वाले पोर्टफोलियो भी आलाकमान ने तय किए, जिसका जल्द खुलासा होगा।

सीनियरिटी मंत्री बनने की गारंटी नहीं
मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में भी मोदी-शाह ने संदेश दे दिया है कि सीनियरिटी मंत्री पद की गारंटी नहीं है। यही वजह है कि राजस्थान में 8वीं बार विधायक बने व मंत्री रहे कालीचरण सराफ, 7वीं बार विधायक बने व मंत्री रहे प्रताप सिंह सिंघवी, दो बार सांसद व चौथी बार विधायक रहे श्रीचंद कृपलानी, सिद्धि कुमारी जैसे दिग्गज मंत्री नहीं बन पाए।

जैसे मध्य प्रदेश में कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल जैसे दिग्गजों को सीएम मोहन यादव के अंडर में लगाया गया। ठीक वैसे ही यहां किरोड़ीलाल मीणा, गजेंद्र सिंह खींवसर, मदन दिलावर, ओटाराम देवासी, सांसद व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जैसे सीनियर लीडर्स को सीएम भजनलाल के निर्देशन में काम करना होगा।

भजनलाल कैबिनेट में नंदलाल मीणा के बेटे पहली बार विधायक बने हेमंत मीणा, केके विश्नोई, जवाहर सिंह बेढम और दूसरी बार विधायक बने संजय शर्मा, सुमित गोदारा, गौतम कुमार जैसे 80% नए चेहरे हैं।

राजस्थान में भाजपा के दिग्गज नेताओं में शामिल 8 बार के विधायक कालीचरण सराफ को मंत्री नहीं बनाना इस बात का संकेत है कि भाजपा में अब सीनियरिटी मंत्री पद की गारंटी नहीं है।

राजस्थान में भाजपा के दिग्गज नेताओं में शामिल 8 बार के विधायक कालीचरण सराफ को मंत्री नहीं बनाना इस बात का संकेत है कि भाजपा में अब सीनियरिटी मंत्री पद की गारंटी नहीं है।

जहां कमजोर प्रदर्शन, वहां की ज्यादा चिंता नहीं
कयास लगाए जा रहे थे कि जिन इलाकों में पार्टी चुनाव में हारी, वहां लोकसभा चुनाव के मद्देनजर स्थानीय चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

शेखावाटी में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में उम्मीद के अनुसार प्रदर्शन नहीं किया। इसके बावजूद यहां से सिर्फ एक चेहरे झाबर सिंह खर्रा को ही मौका दिया गया है।

इसी तरह हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर जैसे नहरी क्षेत्र से भी सिर्फ सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को मौका दिया गया है, जो अभी चुनाव भी नहीं जीते हैं।

टीटी श्रीकरणपुर से भाजपा प्रत्याशी हैं। वहां 5 जनवरी को मतदान होगा। दौसा-करौली में सामान्य प्रदर्शन रहा, लेकिन यहां से किसी को मंत्री नहीं बनाया गया।

इसके अलावा बांसवाड़ा, बारां, भीलवाड़ा, डूंगरपुर, झालावाड़, राजसमंद और जालोर जिले से भी कोई मंत्री नहीं बन पाया।

दाग-विवाद मंजूर, लेकिन ज्यादातर साफ-सुथरी इमेज वालों को चुना
दो बार लोकसभा सदस्य, एक बार राज्यसभा और छठी बार विधायक किरोड़ीलाल मीणा को सबसे पहले मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। साथ ही छठी बार विधायक बने मदन दिलावर को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई।

किरोड़ीलाल मीणा पर करीब 12 मामले दर्ज हैं। लेकिन, पेपर लीक मामला हो या अवैध संपत्ति…किरोड़ीलाल ने अपने दम पर कई आंदोलन चलाए और कांग्रेस सरकार की नाक में दम किए रखा।

इसी तरह मदन दिलावर पर 14 केस हैं। मुस्लिम विरोधी बयानों के लिए भी विवादों से घिरे रहते हैं। सदन में भाजपा की ओर से विरोध दर्ज करने वाले अग्रिम पंक्ति के विधायक माने जाते हैं, जो अनुशासन तोड़ने से भी नहीं झिझकते।

इसके अलावा राज्यवर्धन सिंह राठौड़, गजेंद्र सिंह खींवसर, बाबूलाल खराड़ी जैसे अधिकतर क्लीन इमेज वाले चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है।

मंत्रिमंडल में ज्यादातर क्लीन इमेज वाले चेहरों को जगह दी गई है, लेकिन ऐसे नेताओं को भी कैबिनेट में शामिल किया, जिन्होंने विपक्ष में रहते हुए भाजपा की आवाज बुलंद की।

मंत्रिमंडल में ज्यादातर क्लीन इमेज वाले चेहरों को जगह दी गई है, लेकिन ऐसे नेताओं को भी कैबिनेट में शामिल किया, जिन्होंने विपक्ष में रहते हुए भाजपा की आवाज बुलंद की।

मंत्रिमंडल में संघ का रंग
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल में चुनाव में जाने से पहले हुए मंत्रिमंडल विस्तार में संघ का ध्यान रखा गया, लेकिन उससे पहले संघ ने वसुंधरा राजे पर नजरअंदाज करने के आरोप लगाए। यदि इस ताजा मंत्रिमंडल की बात करें तो सीएम से लेकर अन्य सदस्यों का कहीं न कहीं संघ से जुड़ाव रहा या डिप्टी सीएम दीया कुमारी के संघ से अच्छे रिश्ते रहे हैं।

आलाकमान ने पहले संघ से जुड़े रहे भजनलाल शर्मा को सीएम चुना। फिर विधानसभा अध्यक्ष के रूप में वासुदेव देवनानी को चुना। अब किरोड़ीलाल मीणा, मदन दिलावर, झाबर सिंह खर्रा, संजय शर्मा, बाबू लाल खराड़ी जैसे संघ की पृष्ठभूमि से जुड़े चेहरों को मंत्रिमंडल में मौका दिया गया है। संघ चुनाव में जिस तरह एक्टिव था, उसे देखते हुए संघ को मंत्रिमंडल में पूरी तवज्जो दी गई है।

जातिगत समीकरण साधे
राजनीतिक निर्णयों में सबसे बड़ी चुनौती जातियों को साधना है। पार्टियां कतई नहीं चाहती कि किसी बड़े वोट बैंक को नाराज किया जाए। भजनलाल कैबिनेट में भी जातिगत समीकरण साधने पर पूरा फोकस किया गया है।

पूरी कैबिनेट को देखें तो बड़े वोट बैंक जाट समाज से 4 व जट सिख एक, एससी-एसटी से 3-3, राजपूत समाज से 3, ब्राह्मण समाज से सीएम सहित 2, एक गुर्जर सहित 2 एमबीसी चेहरे शामिल हैं। जाट समाज के अलावा ओबीसी से 6 चेहरे शामिल किए गए हैं।

सीएम-डिप्टी सीएम के बाद पावरफुल कौन
किरोड़ीलाल मीणा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जैसे सदस्यों को पावरफुल माना जा सकता है। कैबिनेट में शामिल करके मैसेज दिया गया है कि इन्हीं को मजबूत पोर्टफोलियो मिलेंगे।

25 चेहरों में सिर्फ 2 महिलाएं
कैबिनेट में महिलाओं की हिस्सेदारी ने जरूर निराश किया। डिप्टी सीएम के रूप में दीया कुमारी और अब मंत्रिमंडल विस्तार में एकमात्र डॉ. मंजू बाघमार को शपथ दिलाई गई। वह दूसरी बार विधायक बनी हैं। कुल 25 चेहरों में मात्र 2 महिलाएं दिखाई देंगी। इससे पहले वसुंधरा सरकार के मंत्रिमंडल में किरण माहेश्वरी, अनिता भदेल सहित 4 महिलाएं रही थीं, जिनमें से 3 कैबिनेट और एक राज्य मंत्री थीं।

नागौर के जायल से विधायक डॉ. मंजू बाघमार ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

नागौर के जायल से विधायक डॉ. मंजू बाघमार ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

प्रत्याशी को मंत्री बनाकर चौंकाया
मंत्रिमंडल में सबसे चौंकाने वाली बात रही विधानसभा चुनाव प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को शपथ दिलाना। चलते चुनाव के दौरान किसी को मंत्री बनाए जाने का राजस्थान में पहला मामला है। श्रीकरणपुर सीट पर 5 जनवरी को वोटिंग है। टीटी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाए गए हैं।

अब अगले कैबिनेट विस्तार में क्या गुंजाइश
22 मंत्रियों ने शपथ ली है, जिसमें 12 कैबिनेट, 5 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 5 राज्य मंत्री हैं। सीएम और दो डिप्टी सीएम मिलाकर यह संख्या 25 हो गई है। राजस्थान में कोटे के हिसाब से 30 मंत्री बन सकते हैं। अब 5 मंत्रियों की जगह खाली है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!