भारत को मिल सकती है पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट, क्यों चर्चा में यूपी की सानिया मिर्जा
वायुसेना में उनका फाइटर पायलट बनना इस बात पर निर्भर करेगा कि वे NDA में अपनी पढ़ाई के दौरान फाइटर पायलट स्ट्रीम के विभिन्न कोर्स को कैसे पूरा करती हैं।
क्या उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की रहने वाली सानिया मिर्जा भारत की पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट बन सकती हैं? दरअसल एक टीवी मैकेनिक की बेटी सानिया मिर्जा राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की परीक्षा पास करने के बाद से चर्चा में हैं। शुक्रवार सुबह कई रिपोर्टों में कहा गया कि सानिया मिर्जा भारत की पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट होंगी। हालांकि यह इतना सरल नहीं है। भारतीय वायु सेना (IAF) अपने लड़ाकू पायलटों को चुनने के लिए एक खास प्रक्रिया का पालन करती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सानिया मिर्जा को एनडीए में शामिल होने के लिए चुना गया है। अपनी पढ़ाई के लिए उन्होंने अकादमी की फाइटर पायलट स्ट्रीम को चुना है। अब भारतीय वायुसेना की फाइटर पायलट बनने के लिए उन्हें कई कोर्स को सफलतापूर्वक पूरा करना होगा। वायुसेना में उनका फाइटर पायलट बनना इस बात पर निर्भर करेगा कि वे NDA में अपनी पढ़ाई के दौरान फाइटर पायलट स्ट्रीम के विभिन्न कोर्स को कैसे पूरा करती हैं।
IAF ने एक बयान में कहा कि एक उम्मीदवार को भारतीय वायु सेना में पायलट के रूप में कमीशन होने में चार साल लगते हैं। IAF ने आगे कहा कि चार साल की अवधि के दौरान, उम्मीदवार को फ्लाइंग ब्रांच के लिए निर्धारित प्रशिक्षण पूरा करना होता है। प्रवक्ता ने कहा, “वायु सेना कैडेट के रूप में एनडीए की फ्लाइंग ब्रांच में शामिल होने वाले किसी भी उम्मीदवार को नौसेना और थल सेना से अपने सहपाठियों के साथ 3 साल के संयुक्त प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है। एनडीए का उद्देश्य सभी सेनाओं के बीच संयुक्त कौशल को बढ़ावा देना है, इसलिए प्रशिक्षण सभी के लिए एक जैसा है। इसमें पासिंग आउट से पहले केवल पिछले 6 महीनों में वायुसेना कैडेटों को उड़ान प्रशिक्षण दिया जाता है।”
बयान में कहा गया, “युवती को एनडीए के लिए शामिल होने के निर्देश मिले हैं, उन्हें भारतीय वायुसेना में पायलट के रूप में नियुक्त होने में अब से 4 साल लगेंगे। इन 4 वर्षों के दौरान, उन्हें निर्दिष्ट प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करना होगा।”
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