भारतीय सेना ने जनरल सुंदरराजन पद्मनाभन (सेवानिवृत्त) के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया, जिन्होंने देश के 20वें सेनाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। सेना प्रमुख, जनरल उपेंद्र द्विवेदी और भारतीय सेना के सभी रैंकों ने शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी श्रद्धांजलि और हार्दिक संवेदना व्यक्त की।
जनरल पद्मनाभन का लंबी बीमारी के बाद 83 वर्ष की आयु में कल रात चेन्नई में निधन हो गया, वे अपने पीछे अनुकरणीय नेतृत्व और राष्ट्र के प्रति समर्पण की विरासत छोड़ गए हैं।
श्री पद्मनाभन का जन्म 05 दिसंबर, 1940 को तिरुवनंतपुरम, केरल में हुआ था। जनरल पद्मनाभन राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (आरआईएमसी), देहरादून और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए), खडकवासला के प्रतिष्ठित पूर्व छात्र थे। उन्हें 13 दिसंबर, 1959 को आर्टिलरी रेजिमेंट में नियुक्त किया गया था, उन्होंने चार दशकों से अधिक समय तक देश के लिए शानदार सेवाएं प्रदान की।
श्री पद्मनाभन ने अपनी सेवा के दौरान, कई प्रमुख कमान, कर्मचारी और निर्देशात्मक नियुक्तियां पर काम किया। उन्होंने गजाला फील्ड रेजिमेंट, दो पैदल सेना ब्रिगेड और एक तोपखाने ब्रिगेड की कमान संभाली। एक मेजर जनरल के रूप में, उन्होंने पश्चिमी क्षेत्र में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली और एक लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में, उन्होंने कश्मीर घाटी में एक कोर का नेतृत्व किया, जहां उन्होंने आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1 सितंबर, 1996 को, जनरल पद्मनाभन ने उत्तरी कमान और बाद में, दक्षिणी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला। उन्होंने 1 अक्टूबर, 2000 को सेनाध्यक्ष का पद संभाला था।
अपने साथियों के बीच प्यार से “पैडी” के रूप में मशहूर, जनरल पद्मनाभन की विरासत सैनिकों के कल्याण, भारतीय सेना के आधुनिकीकरण और रणनीतिक दृष्टि के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतिक हैं। उन्हें राष्ट्रपति के मानद एडीसी से भी सम्मानित किया गया। जनरल पद्मनाभन ने ‘ऑपरेशन पराक्रम’ की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान भारतीय सेना का नेतृत्व किया। वह 43 साल की अनुकरणीय सेवा के बाद 31 दिसंबर, 2002 को सेवानिवृत्त हुए। उनका निधन राष्ट्र और भारतीय सेना के लिए एक बड़ी क्षति है।
देश जनरल पद्मनाभन को उनके अटूट समर्पण और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान के लिए याद रखेगा। उनकी आत्मा को शांति प्राप्त हो।
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