NATIONAL NEWS

महाराणा प्रताप त्याग, स्वाभिमान, मातृभूमि प्रेम, सत्य, साहस की प्रतिमूर्ति थे:: अकादमी की ओर से ‘महाराणा प्रताप- व्यक्तित्व व कृतित्व’ विषयक संगोष्ठी आयोजित

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

महाराणा प्रताप त्याग, स्वाभिमान, मातृभूमि प्रेम, सत्य, साहस की प्रतिमूर्ति थे
अकादमी की ओर से ‘महाराणा प्रताप- व्यक्तित्व व कृतित्व’ विषयक संगोष्ठी आयोजित

बीकानेर, 1 जून। महाराणा प्रताप त्याग, स्वाभिमान, मातृभूमि प्रेम, सत्य, संघर्ष, साहस की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने कला-साहित्य-संस्कृति को संरक्षण दिया। हम उनके जीवन-दर्शन से प्रेरणा लेकर देशहित में कार्य करें, यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
ये विचार साहित्यकारों ने बुधवार को महाराणा प्रताप जयंती की पूर्व संध्या पर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव के तहत अकादमी सभागार में आयोजित ‘महाराणा प्रताप- व्यक्तित्व व कृतित्व’ विषयक राजस्थानी संगोष्ठी में व्यक्त किये।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शंकरलाल स्वामी ने कहा कि महाराणा प्रताप के शौर्य व जन्मभूमि के प्रति निष्ठा की पूरे विश्व में सराहना की जाती है। डॉ. स्वामी ने वीर रस की कविता के माध्यम से प्रताप को शब्दांजलि अर्पित की। कवि-कथाकार कमल रंगा ने कहा कि बीकानेर के पृथ्वीराज राठौड़ ने अपनी ओजस्वी कविता के द्वारा महाराणा प्रताप का स्वतंत्रता-संग्राम हेतु उत्साहवर्धन किया था। प्रताप ने आदिवासी समाज को सदैव सम्मान दिया। व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि प्रताप द्वारा मातृभूमि के लिए किए गए संघर्ष, बलिदान, त्याग को सदैव याद रखा जाएगा। साहित्यकार डॉ. कृष्णलाल बिश्नोई ने तत्कालीन राजनैतिक, सामाजिक परिस्थितियों को बताते हुए प्रताप के युद्ध-कौशल की जानकारी दी।
साहित्यकार-संपादक रवि पुरोहित ने महाराणा प्रताप द्वारा पर्यावरण संरक्षण, नारी सम्मान सहित अन्य सामाजिक सरोकारों की दिशा में किए गए कार्यों की जानकारी दी। डॉ. अजय जोशी ने युवा पीढ़ी को प्रताप के जीवन-संदेश से परिचित कराने की आवश्यक जताई। डॉ. मोहम्मद फारूख ने कहा कि महाराणा प्रताप स्वतंत्रता के पुजारी थे। कवयित्री सुधा आचार्य ने कहा कि हल्दी घाटी की मिट्टी को प्रताप ने अपने रक्त से सींचा। व्याख्याता डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने राजस्थानी साहित्यकारों द्वारा प्रताप की महिमा में लिखित रचनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि प्रताप ने मातृभूमि व प्रजा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। कवि जुगलकिशोर पुरोहित ने शूरवीर प्रताप गीत के माध्यम से प्रताप को शब्दांजलि अर्पित की। व्यास योगेश राजस्थानी ने कहा कि महाराणा प्रताप सदैव अपने वचनों व संकल्पों पर अडिग रहे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए कवयित्री मोनिका गौड़ ने अपनी राजस्थानी कविता के द्वारा प्रताप को शब्दांजलि अर्पित की।

अकादमी सचिव कथाकार शरद केवलिया ने आभार व्यक्त किया। साहित्यकारों ने महाराणा प्रताप के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। इस अवसर पर पूर्व महापौर हाजी मकसूद अहमद, केशव जोशी, मीतू पोपली, कानसिंह, मनोज मोदी, मोहित गज्जाणी उपस्थित थे।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!