*मिलिट्री इंटेलीजेंस भरतपुर और पुलिस की ओएलएक्स के माध्यम से ठग गिरोह पर बड़ी संयुक्त कार्रवाई, ठगों में मचा हड़कंप*
*REPORT BY SAHIL PATHAN*
भरतपुर । ऑनलाइन मार्केट में सेना के जवानों के पहचान पत्रों का दुरुपयोग कर ठगों द्वारा का भोले भाले लोगों के साथ ठगी करने वाले गिरोह को चिन्हित करने का बड़ा खुलासा किया है। इन गिरोह में शामिल लोग पुराने सामानों को ऑनलाइन बेचने में इस तरह की धोखाधड़ी कर रहे थे।
इस धोखाधड़ी के खेल में जवानों का आईडी कार्ड, कैंटीन कार्ड और आधार कार्ड (हरियाणा,राजस्थान व उत्तरप्रदेश का पता) तक का दुरुपयोग किया जा रहा है। वहीं इसमें इंडियन आर्मी अंकित फर्जी कूरियर रसीदें का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।गिरोह के सक्रियता की सूचना पर मिलिट्री इंटेलीजेंस भरतपुर की टीम ने भरतपुर जिले के कामां सर्किल पुलिस उपाधीक्षक प्रदीप यादव के निर्देशन में गठित पुलिस टीमों व थानाधिकारी जुरहरा संतोष शर्मा के नेतृत्व में संयुक्त कार्रवाई करते हुए ओएलएक्स के माध्यम से ठगी करने वाले गिरोह में संलिप्त लोगों का पर्दाफाश करते हुए पहचान करने में बड़ी सफलता प्राप्त की है। मिलिट्री इंटेलीजेंस भरतपुर व जुरहरा थानाधिकारी के अनुसार मिली जानकारी के तहत सहसन निवासी शोयब पुत्र साहुन से संदिग्ध मोबाइल नंबरों की पूछताछ की तो ठगी के मास्टरमाइंड गांव सहसन के सनाउल्लाह पुत्र लल्लू एवं इरफान पुत्र नुरू के रूप में पहचान की गई।सूचना पर पहुंची पुलिस को देख दोनों आरोपी फरार हो गए। जिन्हें गिरफ्तार करने के लिए गठित टीमो द्वारा लगातार उनके सम्भावित ठिकानों पर दविश दी जा रही है।
*पहचान पत्रों से भरोसा- जीत करते हैं ठगी*
पुराने सामान की खरीद-फरोख्त करने वाली ऑनलाइन वेबसाइट पर इस गिरोह के सदस्यों ने कई तरह के सामान खासकर मोबाइल अपलोड किए हुए हैं, जिनकी कीमत कम रखते है। कम मूल्य की वजह लोग जब इस डील की ओर आकर्षित होते हैं तो उस व्यक्ति को मोबाइल बेचने वाले व्यक्ति की पहचान सेना के एक जवान के रूप में बताई जाती है।
इसके लिए संबंधित जवान का आर्मी द्वारा जारी पहचान पत्र, आधार कार्ड और कैंटीन कार्ड तक खरीदने की इच्छा जताने वाले व्यक्ति को व्हॉटसएप पर भेज दिया जाता है। डील फाइनल होने पर संबंधित व्यक्ति को मोबाइल का मूल्य संबंधित अकाउंट में पेटीएम करने को कहा जाता है।
उसके बाद संबंधित मोबाइल की पैकिंग व उसे खरीददार के पते पर कूरियर करने की रसीद की फोटो तक खरीददार को भेजी जाती है। ताकि उसका भरोसा और पुख्ता हो जाए।
सामने आई इस तरह की कूरियर रसीद के हेडर पर इंडियन आर्मी छपा है और उस पर पता इंडियन आर्मी कैंप जैसलमेर का पता लिखा है। बाद में न तो खरीददार के पास मोबाइल पहुंचता है और न ही पेटीएम किया पैसा वापस आता है।
संबंधित मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ हो जाते हैं और वही फोन किसी दूसरे नंबर से फिर ऑनलाइन मार्केट में अपलोड कर दिया जाता है।
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