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मेंस्ट्रुअल हाइजीन बचा सकता है हर साल लाखों जाने , जाने क्या हैं सरकारी योजनाए

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REPORT BY ANKITA SAXENA

*मासिक धर्म , पीरियड ,साइकिल ,मेंस्टुरेशन , चम्स इन सभी नामों से जाने जाते हैं वो खास 5 दिन जो हर लड़की की जिंदगी में लगभग 12 साल से 50 साल की उम्र तक हर मंथ आते हैं। ये साइकिल बॉयलोजिकली जितना इम्पोर्टेन्ट है , मेंटली और फिजिकली उतना ही स्ट्रेसफुल , ऊपर से बलिहारी ये की हमारे देश में इसे एक टैबू की तरह देखा जाता है। भारत में हर साल लाखों महिलाये मेंस्ट्रुअल हाइजीन मेन्टेन ना कर पाने की वजह से ना सिर्फ गंभीर बिमारियों का शिकार होती है बल्कि कई बार अपनी जान से भी हाथ धो बैठती हैं।*

_*इस मामले की गंभीरता को आंकते हुए हाल ही में केंद्र सरकार ने “Stree Swabhiman Yojana” की शुरुवात की है।*_
इस योजना के अंतर्गत  देश की शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रो की लड़कियों और महिलाओ को बहुत ही काम कीमत में सेनेटरी नैपकीन मुहैया कराया जायेगा। जिससे देश की आधी आबादी के अच्छे  स्वास्थ्य और स्वच्छता की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है। स्त्री स्वाभिमान योजना महिलाओं के लिए सिर्फ हाइजीन और हेल्थ ही नहीं बाकि रोज़गार के अवसर भी ले कर आ रही है , जिससे महिला शशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ ही ये नैप्किन्स eco friendly भी होंगे जिससे पर्यावरण को भी किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचेगा। देश की सभी महिलाये इस स्त्री स्वाभिमान योजना का लाभ CSC के ज़रिये उठा सकेंगी |
महिला स्वाभिमान योजना 2022
इस समय भारत में लगभग 15 कम लागत वाली सेनेटरी नेपकिन बनाने वाली यूनिट्स देश में मौजूद है और इसका लगातार एक्सपेंशन किया जा रहा है। इसके तहत हर यूनिट में कम से कम 8 से 10 महिलाओ को सेनेटरी नेपकिन बनाने के लिए  रोजगार भी दिया जायेगा | देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रो की लड़कियों और महिलाओ को सेनेटरी नेपकिन के इस्तेमाल करने के फायदे भी बताये जायेगे और उन्हें इसे इस्तेमाल करने के लिए कन्विंस भी किया जायेगा।

*महिला स्वाभिमान योजना के मुख्य बिंदु और लाभ*
इस योजना के माध्यम से ग्रामीण छात्राओं और महिलाओं को मासिक धर्म से संबंधित जागरूकता प्रदान की जाएगी। जिससे लड़कियों और महिलों को कई घातक बिमारियों से बचाया जा सके और ग्रामीण इलाकों में सैनिटरी नैपकिन का उपयोग बढ़ाया जा सके।
स्त्री स्वाभिमान योजना के अंतर्गत सैनिटरी नैपकिन लोकल ब्रांड नेम से बेचा जाएगा तथा इसका विपणन VLE द्वारा किया जाएगा।
यह योजना लगभग 35000 महिलाओं को आजीविका प्रदान करेगी। जिससे महिलाओं में आत्मविश्वाश बढ़ेगा और वो अपने पैरों पर कड़ी हो पाएंगी। इससे गृह कलेश और महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध में भी कमी आएगी।
स्त्री स्वाभिमान योजना के अंतर्गत प्रतिदिन 750 से 1000 सेनेटरी नैपकिन का उत्पादन किया जाएगा।
इस योजना के माध्यम से VLE  द्वारा फ्री सैनिटरी नैपकिन स्कूल की लड़कियों को प्रदान किए जाएंगे।
यह सैनिटरी नैपकिन CSC केंद्र के माध्यम सकी भी प्राप्त किए जा सकते है।
सीएससी द्वारा ₹500 प्रति साल एक लड़की के लिए VLE को प्रदान किए जाएंगे।
लाभार्थियों की संख्या का सत्यापन स्कूल के प्रिंसिपल के माध्यम से किया जाएगा।
VLE के माध्यम से लगभग एक हजार लड़कियों के लिए गांव के स्कूलों के माध्यम से सेनेटरी पैड वितरित किए जाएंगे।

*आशा की किरण*
वैसे लगातार चल रहे प्रयासों से जागरुकता के स्तर में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय जन सहयोग और बाल विकास संस्थान ने ICMR की मदद से एक रिपोर्ट तैयार गयी थी।  इसके मुताबिक़ माहवारी को लेकर किशोर लड़कियों की जागरुकता 2007 के 29.4 प्रतिशत के मुक़ाबले 2012 में 72.6 प्रतिशत हो गई। वहीं कपड़े को धोने और फिर से इस्तेमाल करने को लेकर जानकारी 57.6 से बढ़कर 82.5 प्रतिशत हो गई। हालाँकि इस मामले में ताज़ा आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। ICMR फिलहाल स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए किफ़ायती माहवारी स्वास्थ्य समाधान पर अध्ययन कर रही है।

*उड़ान योजना*
हाल ही में राजस्थान सरकार ने प्रदेश में महिलाओं और बालिकाओं के लिए उड़ान योजना की शुरुवात की है। इसके तहत 10 से 45 वर्ष की 1.20 करोड़ महिलों को मुफ्त सेनेटरी नैपकीन उपलब्ध करवाया जायेगा। अभी तक यह योजना सिर्फ स्कूल के छात्राओं को लाभ देती थी, लेकिन अब योजना का दायरा बढ़ाया जा रहा है और राज्य की सभी महिलाओं को इसका लाभ दिया जाएगा। उड़ान योजना मुख्य रूप से महिलाओं को शारीरिक स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के लिए है। जिससे कई बिमारियों से भी उनका बचाव हो सके। सरकार ने राज्य के सभी विद्यालय कॉलेज और आंगनवाड़ी केंद्रों को नोटिस जारी करके योजना की शुरुआत चरणबद्ध तरीके से करने के लिए कहा है ताकि राज्य की सभी छात्राएं महिलाएं इसका लाभ उठा सकें। इस योजना की जानकारी देने के लिए महिला स्वयं सहायता समूह तथा गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा समय-समय पर अलग-अलग जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे ताकि सभी महिलाएं को इस योजना की जानकारी मिल सके। योजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी चिकित्सा स्वास्थ्य स्कूल कॉलेज शिक्षा विभाग तकनीकी उच्च शिक्षा विभाग जनजातीय क्षेत्रीय विकास पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इस योजना में विशेष जिम्मेदारी निभाएंगे।
World Menstruation Hygiene Day
इसी क्रम में आप को बताते चलें कि मेनस्ट्रॉल हाइजीन की इम्पोर्टेंस को समझते हुए साल 2014 में World Menstruation Hygiene Day की शुरुआत, जर्मन एनजीओ ‘वॉश यूनाइटेड’ के द्वारा की गयी। इसका उद्देश्य लड़कियों को पीरियड्स में स्वच्छता और सुरक्षा के लिए जागरूक करना है।आमतौर  पर मेंस्ट्रुअल साइकिल 28 दिनों के गैप पर आता है और इसका ड्यूरेशन 5 दिन का होता है , इसीलिए इस खास दिन को मानाने के लिए 5 वें महीने के 28 वें दिन को चुना गया। 
पीरियड्स के बारे में बात करने में न केवल गांवों में बल्कि शहरों में भी बहुत सारी महिलाएं झिझकती हैं। इस दौरान उन्हें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, इस बारे में वे नहीं जानतीं। उनको नहीं पता कि सिर्फ पीरियड्स में स्वच्छता बनाए रखने से इस दौरान होने वाले संक्रमण से खुद को बचाया जा सकता है। मेंस्ट्रुल हाइजीन के लिए सरकार द्वारा तो तरह-तरह की योजनाएं बना दी जाएंगी पर जमीनी स्तर पर जागरूकता बढ़ाने के लिए हम सभी को भागीदारी निभानी होगी। इसी क्रम में मेंस्ट्रुअल हाइजीन को मेन्टेन कैसे रखना है उसके बार में आइये स्टेप बाय स्टेप बात करते हैं जिस से हम अपने आप को और अपनी बेटियों को किसी गंभीर बीमारी का शिकार होने से बचा सके, आइये जानते हैं

*कपडा नहीं पैड चुने*
मेंस्ट्रुल साफ़ सफाई को बनाये रखने की पहली कड़ी है सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करना। गांवों और छोटे शहरों में बहुत सारी महिलाएं अभी भी पीरियड्स में कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। इस कपड़े का दुबारा इस्तेमाल करने के लिए इन्हें धोने के बाद छिपाकर सुखाने के चक्कर में खुली हवा या धूप नहीं लग पाती। ऐसे में इसके इस्तेमाल से गंभीर संक्रमण हो सकता है। सेनेटरी पैड अलग अलग शेप साइज और लेंथ में मिलते हैं ,अमूमन 8rs पर पैड या इस से भी कम इसकी लागत होती है। इसको पास की किसी भी मेडिकल शॉप या परचून की दुकान से खरीदा जा सकता है।

*सेनेटरी पैड को यूज़ करने का सही तरीका*
कैसे अपने अंडरवियर में पैड को सुरक्षित तरह से लगाना चाहिए उसके लिए कुछ आवश्यक स्टेप्स को जान लेना जरूरी है।
सेनेटरी पैड उपयोग करने से पहले हमेशा यह सुनिश्चित कर लें कि आपके हाथ पूरी तरह से साफ हों।
थोड़ी सी फोर्स के साथ आपको सेनेटरी पैड  में लगे रैपर को हटाना है। इसे एक जगह डिस्‍पोज करने के लिए रख दें।
अपनी अंडवेयर में सेनेटरी पैड को लगाने से पहले आपको पैड के पीछे और उसके विंग्स पर चिपके कागज को हटाना होगा।
अब आप अपने घुटनों को चौड़ा करें और अपने अंडरवियर के अंदर वाली सतह पर सेनेटरी पैड को चिपकने वाले हिस्से की ओर से रखें। सुनिशिचत करें कि पैड आपकी अंडरेवयर में अच्छी तरह से चिपक गया है या नहीं।
अंडरवियर पर विंग्स चिपकाने से पहले देख लें कि सेनिटरी नै‍पकिन पूरी तरह से फैल गया है या नहीं।
अब सेनेटरी पैड के विंग्स को अंडवियर में चिपकाएं।
अंडवियर के बहारी हिस्‍से में विंग्स को घुमा कर चिपकाएं।
जब आप यह सुनिश्चित कर लें कि सेनेटरी पैड आपकी अंडरवियर में अच्छी तरह से चिपक गया है तो आप उसे नॉर्मली जैसे अंडरवियर पहनते हैं पहन लें।

*बदलना*
आप को पैड हर 6 से 8 घंटे में बदलना है। लंबे समय तक एक ही पैड को लगाने से पसीने और यूरिन ड्रॉप्स के कारण पैड नम रहता है। देर तक ऐसा होने के कारण वेजाइना में इन्फेक्शन  का खतरा रहता है। गीले पैड को लंबे समय तक इस्तेमाल से आपकी जांघों और इंटिमेट एरियाज पर लाल चकत्ते पड़ सकते हैं। ऐसा करने से जलन भी हो सकती है। इससे बचाव के लिए समय-समय पर पैड बदलते रहना चाहिए।

*डिस्पोस करना*
इस्तेमाल किए गए पैड को ठीक से डिस्पोस करना भी ज़रूरी है। इधर उधर फेकने से बाकियों को इन्फेक्शन हो सकता है। इसलिए इसे हमेशा पेपर या नैपकिन में लपेटकर कूड़ेदान में फेंकें। गलती से भी फ्लश ना करें ये आप के टॉयलेट को चोक कर देगा।  

*अन्य सावधानियां*
पीरियड्स के दौरान रोज़ नहाये , कपडे चेंज करें। 
ब्लीडिंग के कारण प्यूबिक एरिया में लगे खून को समय-समय पर साफ करती रहे। 
साबुन के बजाये गुनगुने पानी से साफ़ करें इस से वजाइना की ph वैल्यू मेन्टेन रहेगी। 

पीरियड्स में ज्यादा बहाव के दौरान बार-बार पैड बदलने के झंझट से बचने के लिए कुछ महिलाएं दो पैड का इस्तेमाल करती हैं, जो कि गलत तरीका है। एक पैड की सोखने की क्षमता जितनी है, उतना ही सोखेगा। दो पैड एक साथ लगाने से संवेदनशील अंग के पास गर्मी बढ़ेगी, बैक्टीरिया ज्यादा पनपेंगे और दुर्गंध भी देंगे। दो पैड से असुविधा भी महसूस हो सकती है।
हाइजीन के बाद बात आती है मेंस्ट्रुअल ब्लूज की जिनसे लगभग हर महिला को गुजरना पड़ता है। हर 28  दिन में आने वाला ये साइकिल अपने साथ ले कर आता है क्रैम्स , पेन , इर्रिटेशन,हेडएक और मूड स्विंग्स। परन्तु प्रकृति ने हमें  कुछ ऐसे सुपर फूड्स से नवाज़ा है जिनका इस्तेमाल कर के आप मेंस्ट्रुअल ब्लूज को काफी हद तक कम कर सकती हैं। आइये अब जानते हैं इन सुपर फूड्स के बारे में,

*हल्दी और धनिया पाउडर*
हल्दी एक नेचुरल एंटीसेप्टिक है साथ ही दर्द को काम करने का भी काम करती हैं। इसलिए पीरियड्स के दौरान अपनी डाइट में हल्दी ज़रूर शामिल करें। इसके साथ ही धनिया पाउडर भी हेल्पफुल रहता है ये ब्लोटिंग और स्वेलिंग को कम करता है इसके लिए आप धनिये के बीज की चाय ले सकती है। गर्मागर्म सिप सिप कर के पिए ,आराम मिलेगा। हल्दी और धनिये का सेवन आपके पीरियड्स के फ्लो को भी मेन्टेन और कंट्रोल करेगा।

*विटामिन C*
ये एक मिथ है की पीरियड्स में खट्टी चीज़े नहीं खानी चाहिए बल्कि सिट्रिक एसिड से भरभूर फल आपकी पीरियड्स जर्नी को आसान बनाते हैं। इसलिए इन खास दिनों में विटामिन -सी से भरपूर फलों का सेवन करें। इसलिए ज्यादा मात्रा में कीवी , पाइन एप्पल, आलू बुखारा और पानी से भरपूर फल जैसे तरबूज और खीरा का सेवन करें। ये सभी फल शरीर को हाइड्रेट रखने और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करते हैं।

*कलौंजी ड्रिंक*
मेंस्ट्रुअल फ्लो और पेन को कण्ट्रोल करने के लिए आप घर पर ही कलौंजी का डिटॉक्स ड्रिंक तैयार करें। इसके लिए 2 गिलास गरम पानी में आधा चम्मच कलौंजी, आधा चम्मच हल्दी पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर और आधा चम्मच कैलेंडुला के फूलों का पाउडर मिलाकर आधा रहने तक पकाये। फिर छान कर सिप सिप कर के पिए। इस ड्रिंक के सेवन से पीरियड्स में होने वाले दर्द से राहत मिलती है।

*ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं*
वैसे तो पानी ज्यादा मात्रा में पीना हमेशा सेहत के लिए अच्छा होता है लेकिन पीरियड्स के दौरान ज्यादा पानी आपको सेहतमंद रखने में मदद करता है। पानी से बॉडी के टॉक्सिन निकालने और हाइड्रेट रखने में हेल्प करता है। कई बार पीरियड्स में क्रैम्स बॉडी में वाटर की कमी के कारण होते हैं।

*इन फूड्स से बचे*
आपको पीरियड्स के दौरान ऐसे कोई भी फूड्स नहीं  लेने चाहिए जिससे शरीर में गैस्ट्रिक प्रॉब्लम हो। इसलिए छोले, चने। राजमा, अरहर दाल, कढ़ी आदि से बचे। फ्रूट्स में एप्पल नहीं लेना चाहिए क्योंकि ये गैस कर सकता है। इसके अलावा ज्यादा ऑयली और स्पाइसी फ़ूड भी अवॉयड करना चाहिए क्योंकि ऐसा खाना पीरियड्स में ब्लड के फ्लो को कम या ज्यादा कर सकता है।
इस जानकारी का इस्तेमाल कर आप ना सिर्फ अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती हैं बल्कि इन छोटी-छोटी टिप्स से आप अपने मुश्किल दिनों को हैप्पी और सेफ पीरियड्स में कन्वर्ट कर सकती हैं।

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