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मोदी कैबिनेट से स्मृति-अनुराग क्यों OUT, शिवराज-खट्टर क्यों IN:विधानसभा चुनाव वाले बिहार से 8, महाराष्ट्र से 6 मंत्री; इलेक्शन हारे मंत्री बाहर

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मोदी कैबिनेट से स्मृति-अनुराग क्यों OUT, शिवराज-खट्टर क्यों IN:विधानसभा चुनाव वाले बिहार से 8, महाराष्ट्र से 6 मंत्री; इलेक्शन हारे मंत्री बाहर

नई दिल्ली

टीम मोदी तैयार है। नई कैबिनेट में हरियाणा, महाराष्ट्र और बिहार को खास तवज्जो मिली है। वजह है चुनाव। हरियाणा, महाराष्ट्र में इसी साल चुनाव हैं, बिहार में अगले साल होंगे। बड़ी बात ये है कि चुनाव हारे 17 मंत्रियों में से 16 को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। सिर्फ एल मुरुगन मंत्री बनाए गए हैं। नीलगिरि से चुनाव हारे मुरुगन मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं।

पिछली बार हाईप्रोफाइल मंत्रियों में शामिल स्मृति ईरानी, अर्जुन मुंडा, मीनाक्षी लेखी, आरके सिंह, संजीव बालियान, निशिथ प्रमाणिक, अश्विनी चौबे अब नजर नहीं आएंगे।

NDA सरकार में PM मोदी के अलावा 71 मंत्री हैं। इनमें 30 कैबिनेट, 5 स्वतंत्र प्रभार और 36 राज्य मंत्री हैं। मध्यप्रदेश में पार्टी को एकतरफा जीत दिलाने वाले पूर्व CM शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट के साथ ही BJP के टॉप-5 नेताओं में आ गए हैं। हरियाणा के पूर्व CM मनोहर लाल खट्टर भी मोदी कैबिनेट में हैं। अनुराग ठाकुर, नारायण राणे, फग्गन सिंह कुलस्ते के अलावा सभी बड़े मंत्रियों को कैबिनेट में जगह मिली है।

नई सरकार में मंत्रियों को रिपीट करने की क्या वजह रही, किस खासियत की वजह से नए मंत्रियों को जगह मिली और किन कारणों से पुराने मंत्रियों की छुट्टी हो गई। पढ़िए ये रिपोर्ट…

पहले पढ़िए कैबिनेट में कौन-कौन हैं…

राजनाथ सिंह : BJP के टॉप-4 लीडर्स में शामिल हैं। UP के पूर्व CM और BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। ठाकुर समुदाय से आते हैं, जिनकी UP में करीब 7% आबादी है।

अमित शाह : PM मोदी के सबसे करीबी हैं। BJP में नंबर-2 और सबसे बड़े रणनीतिकार हैं। सख्त प्रशासक की छवि वाले शाह लगातार दूसरी बार कैबिनेट में शामिल किए गए हैं।

नितिन गडकरी : मोदी सरकार के हाई परफॉर्मर मिनिस्टर्स में शामिल हैं। संघ के करीबी हैं। ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, जिसकी महाराष्ट्र में करीब 10% आबादी है।

जेपी नड्डा : BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। संगठन में काम करने का अच्छा अनुभव है। पार्टी के सभी बड़े लीडर्स से अच्छा तालमेल अच्छा है। बीते 31 साल से विधायक या सांसद हैं।

डॉ. एस जयशंकर : पूर्व ब्यूरोक्रेट हैं। पिछली सरकार में विदेश मंत्री थे। सख्त निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं। विदेश नीति में माहिर हैं। वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष मजबूती से रखते हैं।

निर्मला सीतारमण : वित्त मंत्री रहते हुए योजनाओं को सही तरीके से इम्पलिमेंट किया। तमिलनाडु से आती हैं, जहां BJP पैर जमाने की कोशिश कर रही है। रक्षा मंत्री जैसी बड़ी जिम्मेदारियां निभा चुकी हैं।

पीयूष गोयल : फाइनेंस के जानकार हैं, जटिल मामलों में सरकार के सिपहसालार की भूमिका निभाते हैं। पॉलिटिकल फैमिली से आते हैं, पिता भी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे।

शिवराज सिंह चौहान : मध्यप्रदेश में BJP ने लोकसभा की सभी 29 सीटें जीती हैं। शिवराज स्टार प्रचारक थे। खुद भी 8 लाख से ज्यादा वोटों से जीते। BJP के पॉपुलर लीडर्स में शामिल हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया : मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराकर BJP को सत्ता दिलाई थी। PM मोदी की गुड लिस्ट में शामिल हैं। ग्वालियर-भिंड में सिंधिया का सबसे ज्यादा असर है। यहां इस बार कांग्रेस का सफाया हो गया।

मनोहर लाल खट्टर : हरियाणा के पूर्व CM रहे हैं। BJP के सीनियर नेताओं में शामिल हैं। RSS के साथ पुराना नाता है। इसी साल हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं। इसलिए उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली है।

एचडी कुमारस्वामी : इस बार BJP ने कर्नाटक में JD(S) के साथ अलायंस कर चुनाव लड़ा। BJP ने ओल्ड मैसूर रीजन में अच्छा परफॉर्म किया। ये रीजन JD(S) का गढ़ है। JD(S) से अलायंस की वजह से BJP 14 सीटें जीत पाई। इसलिए JD(S) चीफ कुमारस्वामी को कैबिनेट में जगह मिली है।

धर्मेंद्र प्रधान : ओडिशा की जीत में अहम रोल निभाया। पहले इनका नाम CM पद के लिए भी रेस में था। UP सहित कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में BJP का मैनेजमेंट संभाल चुके हैं। दो बार पहले भी केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।

जीतन राम मांझी : बिहार में सीनियर और बड़े दलित लीडर हैं। 1980 से लगातार बिहार विधानसभा के सदस्य हैं। बिहार के मुख्यमंत्री रहे, इसलिए सरकार चलाने का अनुभव है। 80 की उम्र में पहली बार सांसद बने हैं।

ललन सिंह : चौथी बार सांसद बने हैं। JD(U) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। नीतीश के बाद नंबर-2 की हैसियत है। भूमिहार जाति से आते हैं। ये कम्युनिटी फिलहाल नीतीश कुमार से नाराज है। ललन सिंह को मंत्री बनाकर नीतीश कुमार ने भूमिहारों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है।

सर्बानंद सोनोवाल : सर्बानंद सोनोवाल पूर्वोत्तर में BJP के बड़े नेताओं में शामिल हैं। 2016 में असम में पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाकर हाईकमान के खास बने। असम के मुख्यमंत्री भी रहे। ईमानदार नेता की छवि प्लस पॉइंट है।

वीरेंद्र खटीक : मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड रीजन के बड़े नेता हैं। लो-प्रोफाइल लाइफ स्टाइल की वजह से जाने जाते हैं। दलित वर्ग से आते हैं। बुंदेलखंड में दलित समुदाय का बड़ा वोट बैंक है।

राममोहन नायडू : चंद्रबाबू नायडू के करीबी हैं। पॉलिटिकल परिवार से आते हैं। उनके पिता येरन नायडू भी TDP के बड़े नेता थे। इस बार चुनाव जीतने की हैट्रिक लगाई है। 26 साल की उम्र में श्रीकाकुलम से पहली बार सांसद चुने गए थे।

प्रह्लाद जोशी : कर्नाटक में BJP का बड़ा चेहरा है। संसदीय मंत्री के तौर पर कार्यकाल अच्छा रहा है। PMO के इश्यू सॉल्व करने में भूमिका निभाते हैं। RSS के करीबी हैं। धारवाड़ सीट से 5वीं बार सांसद चुने गए हैं।

जुएल ओरांव : ओडिशा के सीनियर लीडर हैं। वाजपेयी सरकार में ओरांव ट्राइबल अफेयर मिनिस्टर थे। ट्राइबल कम्युनिटी से आते हैं। राज्य की 23% आबादी ट्राइबल कम्युनिटी की है। BJP के उपाध्यक्ष हैं।

अश्विनी वैष्णव : IAS ऑफिसर रहते हुए शानदार काम किया। अटल सरकार में PMO में डिप्टी सेक्रेटरी थे। मोदी सरकार में IT और रेलवे जैसे मंत्रालय संभाल चुके हैं। राजस्थान गृह राज्य है और ओडिशा में लंबे समय तक काम किया है। इसलिए दोनों राज्यों में असर रखते हैं।

भूपेंद्र यादव : राजस्थान के साथ कई राज्यों के प्रभारी रहे हैं। संगठन में लंबे वक्त से एक्टिव हैं। हरियाणा और राजस्थान दोनों राज्यों के सियासी समीकरण साध सकते हैं। इन्हें RSS का भी समर्थन हासिल है।

गजेंद्र सिंह शेखावत : राजपूत समाज से आते हैं। लगातार तीन बार सांसद बने हैं। RSS से पुराना नाता है। बॉर्डर वाले इलाकों में एजुकेशन पर काफी काम किया है। 40 स्कूल खुलवाए हैं। कृषि राज्य मंत्री रह चुके हैं।

अन्नपूर्णा देवी: कोडरमा से दूसरी बार की सांसद हैं। पिछली सरकार में राज्य मंत्री थीं। पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रहीं। RJD छोड़कर BJP में आई थीं। पार्टी ने सरकार और संगठन दोनों में बड़ी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।

मनसुख मांडविया : PM मोदी के करीबी हैं। इस बार गुजरात की पोरबंदर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी को 3 लाख से ज्यादा वोटों से हराया है। कोरोना के वक्त बेहतर मैनेजमेंट के लिए इनकी तारीफ हुई थी। PM मोदी ही इन्हें गुजरात से केंद्र की राजनीति में लाए हैं।

जी. किशन रेड्डी : सिकंदराबाद से दूसरी बार सांसद बने हैं। मोदी 2.0 में भी केंद्रीय मंत्री रहे। प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए तेलंगाना में BJP को एक से 8 सीटों तक पहुंचाया। पार्टी ने उन्हें राज्य में प्रचार और लोकसभा सीटों में संगठन मजबूत करने की जिम्मेदारी दी थी, जिस उन्होंने बखूबी निभाया।

किरेन रिजिजू : अरुणाचल प्रदेश में पार्टी का बड़ा चेहरा हैं। BJP के कद्दावर नेता माने जाते हैं। कानून मंत्री भी रहे हैं। राज्यों के प्रतिनिधित्व के हिसाब से इन्हें अरुणाचल के कोटे से मंत्री बनाया गया है।

हरदीप सिंह पुरी : यूपी से राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन रहने वाले पंजाब के हैं। BJP के बड़े सिख लीडर में शामिल हैं। हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स मिनिस्टर रहते हुए अच्छा परफॉर्म किया।

गिरिराज सिंह : पार्टी के जातीय समीकरण में फिट बैठते हैं। भूमिहार जाति से आते हैं, जो राज्य में BJP के कोर वोटर हैं। हिन्दुत्व का राज्य में मुखर चेहरा हैं। लगातार तीसरी बार सांसद बने हैं।

सीआर पाटिल : विधानसभा चुनाव में BJP ने 156 सीटें जीतकर गुजरात में इतिहास रच दिया था। इसमें सीआर पाटिल का बड़ा रोल था। पाटिल के नेतृत्व में गुजरात कांग्रेस के कई दिग्गज नेता BJP में शामिल हो गए। अभी गुजरात BJP के अध्यक्ष हैं और PM मोदी के खास कहे जाते हैं।

चिराग पासवान : सहयोगी पार्टी LJP (रामविलास) के अध्यक्ष हैं। लगातार तीसरी बार पार्टी को 100% स्ट्राइक रेट से जीत दिलाई है। पिता रामविलास पासवान के निधन के बाद खुद को बिहार में दलितों के नेता के तौर पर स्थापित किया। लगातार तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीते हैं।

राज्य मंत्री, जो रिपीट हुए

अर्जुन राम मेघवाल : चौथी बार सांसद बने हैं। PM मोदी और अमित शाह के करीबी हैं। लो प्रोफाइल इमेज है। राजस्थान के बड़े दलित नेताओं में शामिल हैं। IAS अफसर रहे हैं, इसलिए ब्यूरोक्रेसी की बारीकियां जानते हैं।

पंकज चौधरी : सातवीं बार सांसद बने हैं। कुर्मी समुदाय से आते हैं, इसलिए OBC वोटबैंक पर पकड़ है। यूपी में कुर्मी वोटर्स करीब 5% से 6% है। माना जा रहा है कि पंकज चौधरी का कद बढ़ाकर BJP यूपी में पावर बैलेंस कर रही है।

अनुप्रिया पटेल : मिर्जापुर से लगातार तीन बार से सांसद हैं। मोदी सरकार के दोनों कार्यकाल में राज्यमंत्री रही हैं। अनुप्रिया कुर्मी समुदाय से हैं और पूर्वांचल में बड़ा चेहरा मानी जाती हैं।

शोभा करंदलाजे : शोभा करंदलाजे बेंगलुरू नॉर्थ से आती हैं। वोक्कालिग्गा कम्युनिटी से हैं। लिंगायत के बाद ये कम्युनिटी कर्नाटक में सबसे मजबूत है। इस कम्युनिटी का असर कर्नाटक की 100 विधानसभा सीटों पर है।

नित्यानंद राय : बिहार में लालू के MY समीकरण की काट के लिए BJP की तरफ से इन्हें आगे बढ़ाया जा रहा है। यादव जाति से जीतने वाले पाार्टी के इकलौते सांसद हैं। बिहार BJP में यादव समुदाय के बड़े नेता हैं। पिछली सरकार में अमित शाह से साथ ही गृह राज्य मंत्री थे।

राव इंद्रजीत सिंह : लगातार छह बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले हरियाणा के पहले नेता हैं। क्षेत्र में काफी पॉपुलर हैं और मोदी मंत्रिमंडल में पहले भी रहे हैं। हरियाणा में इस साल विधानसभा चुनाव हैं। अनुभव, लोकप्रियता और जाति के फॉर्मूले को देखते हुए मंत्री बनाया गया है।

जीतेंद्र सिंह : जम्मू की उधमपुर लोकसभा सीट से जीत की हैट्रिक लगाई है। डोगरा राजपूत परिवार से आते हैं। 2014 और 2019 में भी मोदी मंत्रिमंडल में शामिल थे। पिछली सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे।

प्रताप राव जाधव : महाराष्ट्र में मराठा कम्युनिटी BJP से नाराज चल रही है। पार्टी मराठा आबादी वाली 8 में से 7 सीटें हारी है। ऐसे में जाधव को मंत्री बनाकर मराठा कम्युनिटी की नाराजगी कम करने की कोशिश की गई है।

जयंत चौधरी : लोकसभा चुनाव में जयंत की पार्टी का स्ट्राइक रेट 100% रहा। RLD नेता जयंत पूर्व PM चौधरी चरण सिंह के पोते हैं और किसानों के बड़े नेता माने जाते हैं।

जितिन प्रसाद : पीलीभीत से सांसद चुने गए हैं। इनके लिए BJP ने वरुण गांधी का टिकट काटा था। योगी सरकार में भी मंत्री थे। कांग्रेस छोड़कर BJP में आए थे। इनके पिता कांग्रेस के बड़े नेता होने के साथ PM राजीव गांधी के सलाहकार भी थे।

श्रीपद नाईक : वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रहे हैं, लंबा अनुभव है। 6 बार के सांसद हैं। गोवा को प्रतिनिधित्व देने की वजह से नाईक को मंत्री पद दिया गया है। नाईक वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रहे हैं।

कृष्णपाल गुर्जर: फरीदबाद से जीत की हैट्रिक लगाई है। 2014 और 2019 में मोदी सरकार में राज्य मंत्री रहे। कृष्णपाल की गिनती गुर्जर बिरादरी के बड़े नेताओं में होती है।

रामदास अठावले : महाराष्ट्र में दलित समुदाय का सबसे बड़ा फेस हैं। दलित समुदाय को BJP से जोड़ने में अहम रोल निभाया है। दलित वोटबैंक पर पकड़ होने की वजह से उन्हें मंत्री बनाया गया है।

कैबिनेट में नई एंट्री
रामनाथ ठाकुर : भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं। JD(U) से राज्यसभा सांसद हैं। बिहार की राजनीति में जाने-पहचाने चेहरे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीब हैं। बिहार सरकार में मंत्री रहने का अनुभव है। अति पिछड़ा वर्ग पर अच्छी पकड़ है।

वी. सोमन्ना : कर्नाटक में BJP के बड़े नेता हैं। 5 बार विधायक रहे हैं। लिंगायत कम्युनिटी से आते हैं। कर्नाटक में लिंगायत कम्युनिटी की आबादी करीब 18% है। लिंगायतों को जोड़े रखने के लिए सोमन्ना को मंत्री बनाया गया है।

पी चंद्रशेखर पेम्मासानी : चंदबाबू नायडू के करीबी हैं। जगन मोहन रेड्डी के गढ़ गुंटूर से जीते हैं, इसलिए चंद्रबाबू नायडू ने मंत्री पद के लिए नाम बढ़ाया। पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

कीर्तिवर्धन सिंह : गोंडा से सांसद 5 बार के सांसद हैं। BJP से लगातार तीसरी बार सांसद बने हैं। गोंडा और आसपास के जिलों में राजपूत समुदाय में मजबूत पकड़ है।

बीएल वर्मा : पश्चिमी यूपी में OBC लोधी समुदाय में अच्छी पकड़ है। बृज क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष हैं। राज्यसभा सांसद, यूपी समाज कल्याण निर्माण निगम के अध्यक्ष और BJP के OBC मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। मोदी सरकार 2.0 में भी मंत्री रहे हैं।

शांतनु ठाकुर : मतुआ कम्युनिटी से आते हैं और मतुआ-नामशूद्र समुदाय के बड़े नेता हैं। ये समुदाय पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों के बाद दूसरा सबसे ज्यादा राजनीतिक प्रभाव वाला है।

सुरेश गोपी : केरल में BJP पहली बार कोई सीट जीती है। त्रिशूर में यह जीत सुरेश गोपी ने दिलवाई है। अब केरल में BJP अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती है।

एल मुरूगन : मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद हैं। तमिलनाडु की नीलगिरी सीट पर दो लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे। तमिलनाडु में BJP खुद को मजबूत करना चाहती है, इसी वजह से इन्हें मंत्री बनाया गया है।

बंडी संजय कुमार : तेलंगाना में BJP का बड़ा चेहरा हैं। राज्य में पार्टी को स्थापित करने में संजय कुमार का बड़ा रोल है। तेलंगाना में BJP के फायरब्रांड नेता माने जाते हैं।

कमलेश पासवान : लगातार चौथी बार सांसद बने हैं। पूर्वांचल के गोरखपुर में बड़ा दलित चेहरा हैं। पासवान वोट बैंक पर मजबूत पकड़ है। यूपी के चारों जोन को देखते हुए समीकरण साधा गया।

भागीरथ चौधरी : जाट समुदाय से आते हैं। जाट बेल्ट कहे जाने वाले शेखावाटी में BJP का सफाया हो गया। ऐसे में BJP जाट चेहरे को मंत्री बनाकर जातिगत समीकरण साधना चाहती है।

अजय टम्टा : उत्तराखंड से इकलौते सासंद, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। SC कैटेगरी से आते हैं। राज्य में SC आबादी करीब 17.9% है। अजय टम्टा को मंत्री बनाकर BJP ने SC समुदाय में पैठ बनाने की कोशिश की है।

सतीश दुबे: पार्टी का ब्राह्मण चेहरा हैं। ब्राह्मण कोटे से इन्हें कैबिनेट में जगह दी गई है। सांसद होने के बाद भी इनकी सीट JD9U) को दे दी गई थी, लेकिन इन्होंने विरोध नहीं किया।

संजय सेठ : रांची से BJP के लोकसभा सांसद हैं। BJP में कार्यकर्ता से सांसद तक का सफर तय किया है। लोगों के बीच पॉपुलर हैं। पंजाबी वैश्य समुदाय से आते हैं।

रवनीत सिंह बिट्‌टू : चुनाव हार गए, लेकिन लुधियाना सीट पर कांग्रेस कैंडिडेट को कड़ी टक्कर दी। BJP पंजाब में 2027 में होने वाले चुनाव के लिए जमीन तैयार करना चाहती है। इसीलिए रवनीत सिंह को मंत्री बनाया गया है।

दुर्गादास उइके : मध्यप्रदेश के बैतूल से सांसद हैं। दलित कम्युनिटी से आते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी लंबे समय तक जुड़े रहे। आदिवासियों में पकड़ को देखते हुए संघ के कहने पर उन्हें 2019 में बैतूल से टिकट मिला था।

रक्षा खडसे : पूर्व मंत्री एकनाथ खड़से की बहू हैं। महिला प्रतिनिधित्व की वजह से मंत्री बनाया। सरपंच से मंत्री तक का सफर तय किया है। रक्षा महाराष्ट्र के रावेर लोकसभा क्षेत्र से लगातार तीसरी बार जीतकर संसद पहुंची हैं।

सुकांत मजूमदार : पश्चिम बंगाल में BJP के अध्यक्ष रहे हैं। बंगाल में इस बाहर BJP की सीटें कम हो गईं, वहां 2026 में विधानसभा चुनाव होना है। BJP नेतृत्व चाहता है कि केंद्र में बंगाल की नुमाइंदगी करने वाले नेता हों, ताकि राज्य पर पकड़ बनाई जा सके।

सावित्री ठाकुर : पहली बार केंद्र में मंत्री बनाई गई हैं। मध्यप्रदेश के धार जिले से हैं। आदिवासी समुदाय से आती हैं, और शुरुआत से ही संघ से जुड़ी हुई हैं। इन्हें महिला कोटे के साथ ही दलितों को साधने के लिए मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।

तोखन साहू : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से सांसद चुने गए हैं। पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और जीते। सादगी के लिए जाने जाते हैं। किसानों के बीच अच्छी पकड़ है। जातिगत फैक्टर भी साध रहे हैं, इसलिए मंत्री बनाए गए हैं।

राजभूषण चौधरी : बिहार में सबसे ज्यादा मार्जिन से जीतने वाले सांसद हैं। मल्लाह जाति से आते हैं। मुकेश सहनी तेजी से मल्लाह के नेता के रूप में स्थापित हो रहे हैं। उनके काट के लिए BJP अब इन्हें आगे बढ़ा रही है।

हर्ष मल्होत्रा : इन्होंने पार्षद से मंत्री तक का सफर तय किया है। दिल्ली में एमसीडी मेयर रह चुके हैं। 2012 में पहली बार पार्षद बने थे। दिल्ली राज्य के कोटे से इन्हें मंत्री बनाया गया है। दिल्ली में इस बार BJP सभी सातों सीटें जीती है।

नीमूबेन बमभानिया : भावनगर लोकसभा सीट से जीतकर आई हैं। नीमूबेन कोली समुदाय से आती हैं। BJP के संगठन में भी काम कर चुकी हैं।

मुरलीधर मोहोल : मराठा कम्युनिटी से आते हैं। शरद पवार के गढ़ कहे जाने वाले पुणे में पार्टी को जिताया है। मराठा कम्युनिटी की कई मुद्दों पर BJP से नाराजगी है, वो कम होगी।

जॉर्ज कुरियन : केरल और अल्पसंख्यकों खासकर ईसाईयों को साधने के लिए इन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। इस बार केरल में पार्टी एक सीट पर जीती है। ऐसे में वहां से दो मंत्री बनाकर राज्य पर पकड़ मजबूत करना चाहती है।

पबित्रा मार्गेरिटा : असम से BJP के राज्यसभा सांसद हैं। BJP के मुखर प्रवक्ता कहलाते हैं। 2014 में राजनीति में शामिल हुए और BJP में अलग-अलग पदों पर रहे।

चुनाव जीने वाले 6 मंत्रियों को कैबिनेट में जगह नहीं
अनुराग ठाकुर: 
अनुराग ठाकुर लगातार चौथी बार सांसद का चुनाव जीते हैं। इसके बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। माना जा रहा है कि अनुराग ठाकुर को BJP संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। चर्चा है कि पार्टी उन्हें राष्ट्रीय महामंत्री बना सकती है।

नारायण राणे: महाराष्ट्र के रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग से लोकसभा चुनाव जीतने वाले सीनियर लीडर नारायण राणे मंत्री नहीं बन पाए। राणे कह चुके थे कि वे आखिरी बार चुनाव लड़ रहे हैं।

फग्गन सिंह कुलस्ते : मोदी के दूसरे कार्यकाल में मंत्री थे। मंडला से लोकसभा चुनाव जीते हैं। आदिवासी कोटे से दो मंत्री बनाए गए हैं, इसलिए कुलस्ते को जगह नहीं मिली।

पुरुषोत्तम रुपाला: चुनाव के दौरान राजपूत समुदाय के बारे में विवादित बयान दिया। इससे राजपूत नाराज थे। इसका असर गुजरात के अलावा राजस्थान और यूपी में भी हुआ।

अजय भट्ट: हिमाचल में लोकसभा की 5 सीटें हैं। इस बार यहां से अजय टम्टा मंत्री बने हैं। नए चेहरे को मौका देने के लिए अजय भट्ट को रिपीट नहीं किया।

देवू सिंह चौहान: गुजरात से 6 मंत्री बनाए गए हैं। देवू सिंह को संगठन में जगह दी जा सकती है।

चुनाव हारे नेता मंत्रिमंडल से बाहर

स्मृति ईरानी: अमेठी से चुनाव हार गईं। मोदी सरकार में मंत्री रहीं स्मृति को लेकर अमेठी के आम लोगों में भी काफी नाराजगी थी। लोगों को लग रहा था कि केंद्रीय मंत्री हैं, क्षेत्र में डेवलपमेंट होगा, लेकिन कुछ खास काम हुआ नहीं।

अर्जुन मुंडा : तीन बार मुख्यमंत्री और BJP के राष्ट्रीय महासचिव रहे हैं, लेकिन इस बार करीब डेढ़ लाख वोटों से हारे हैं। इसलिए मंत्रिमंडल से पत्ता कट गया।

अजय मिश्रा टेनी : इस बार चुनाव हार गए। कंट्रोवर्सी में भी रहे। खीरी में पार्टी को मैनेज नहीं कर पाए। लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने के मामले में बेटा आरोपी है। इसका असर अजय मिश्रा टेनी की इमेज पर भी पड़ा।

कैलाश चौधरी: बाड़मेर -जैसलमेर सीट से हारे ही नहीं, तीसरे नंबर पर रहे। कैलाश चौधरी ने मंत्री रहते हुए जो वादे किए, पूरे नहीं कर पाए।

राजीव चंद्रशेखर : मोदी के दूसरे कार्यकाल में मंत्री बनाए गए थे। इस बार पार्टी ने तिरुवनंतपुरम से मैदान में उतारा था, लेकिन जीत नहीं सके। इन्हें केरल में संगठन मजबूत करने के काम में लगाया जा सकता है।

महेंद्र नाथ पांडे : चंदौली के सांसद और केंद्रीय मंत्री रहते हुए BJP नेता कभी उनसे मिल तक नहीं पाते थे। BJP नेताओं के बीच इस अनदेखी को लेकर काफी नाराजगी थी।

आरके सिंह: आरा से चुनाव हार गए। BJP और इनकी सहयोगी पार्टी पूरे शाहबाद इलाके में एक भी सीट नहीं जीत पाई।

वी मुरलीधरन : केरल की अतिंगल सीट से BJP उम्मीदवार थे, लेकिन बुरी तरह हारे। तीसरे नंबर पर रहे। ऐसे में मंत्रिमंडल से पत्ता कट गया।

निशिथ प्रमाणिक : बंगाल के कूचबिहार से हार गए। पहले मंत्रिमंडल में शामिल ही इसलिए किया गया था, ताकि बंगाल में पार्टी मजबूत हो सके, लेकिन BJP 2019 से भी कम सीटें जीत पाई।

मीनाक्षी लेखी : इस बार इनका टिकट काट दिया गया था।

इनके अलावा आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री रहे कौशल किशोर, साध्वी निरंजन ज्योति, राव साहब दानवे, पश्चिमी यूपी के बड़े जाट नेता संजीव बालियान, सुभाष सरकार, राजकुमार रंजन सिंह को भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है।

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