REPORT BY SAHIL PATHAN
अगर रूस की बात करते हैं तो क्यूबा सबसे पहले उसका समर्थन करेगा। दरअसल, क्यूबा ने रूस के सीमावर्ती क्षेत्रों में नाटो के विस्तार को लेकर अमेरिका की आलोचना की थी और वैश्विक शांति के लिए कूटनीतिक तरीके से इस मसले का हल निकालने का आह्वान किया था।रूस और यूक्रेन के बीच जंग लगभग छिड़ चुकी है। पूरी दुनिया पर संकट गहराने लगा है। शीत युद्ध समाप्त होने के 40 साल बाद एक बार फिर पूरा विश्व दो धड़ों में बंट गया है। ऐसे में कई देश रूस पर प्रतिबंध के एलान कर चुके हैं, क्योंकि उसने अलगाववादियों का समर्थन करते हुए यूक्रेन के दो राज्यों डोनेत्स्क और लुहांस्क को स्वतंत्र करार दिया था। इन प्रतिबंधों से क्या असर पड़ेगा, यह देखना बाकी है, लेकिन रूस सिर्फ तेल और गैस सेक्टर में अहमियत नहीं रखता है, बल्कि अन्य कमोडिटीज और मिनरल्स के मामले में भी बड़ा खिलाड़ी है। ऐसे में इन चीजों की आपूर्ति घटने और दामों में इजाफा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस युद्ध की वजह से कोरोना महामारी से जूझ रही पूरी दुनिया में महंगाई दशकों के उच्च स्तर पर पहुंच सकती है। संकट के इस दौर में हम आपको बता रहे हैं कि दुनिया के कौन-कौन से देश रूस और यूक्रेन के साथ हैं। वहीं, इस मामले में भारत और पाकिस्तान का क्या रुख है? *कौन-कौन से देश कर रहे रूस का समर्थन?*अगर रूस की बात करते हैं तो क्यूबा सबसे पहले उसका समर्थन करेगा। दरअसल, क्यूबा ने रूस के सीमावर्ती क्षेत्रों में नाटो के विस्तार को लेकर अमेरिका की आलोचना की थी और वैश्विक शांति के लिए कूटनीतिक तरीके से इस मसले का हल निकालने का आह्वान किया था। इसके अलावा रूस को चीन का समर्थन जरूर मिलेगा। चीन पहले ही एलान कर चुका है कि नाटो यूक्रेन में मनमानी कर रहा है। दरअसल, पश्चिमी देशों ने जब चीन के विरोध में कदम उठाए थे, तब रूस ने चीन का समर्थन किया था। हकीकत यह है कि रूस और चीन दोनों ने ही सेना से लेकर अंतरिक्ष तक अलग-अलग क्षेत्रों में कई साझेदारी कर रखी हैं।*ये देश भी करेंगे रूस की मदद*इसके अलावा कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे अर्मेनिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और बेलारूस भी रूस का समर्थन करेंगे, क्योंकि उन्होंने छह देशों के सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका मतलब यह है कि अगर रूस पर हमला होता है तो ये देश इसे खुद पर भी हमला मानेंगे। इनके अलावा अजरबेजान भी रूस की मदद के लिए आगे आ सकता है।*ईरान भी देगा रूस का साथ*अगर हम मिडिल ईस्ट का रुख करते हैं तो ईरान रूस का साथ दे सकता है। दरअसल, न्यूक्लियर डील असफल होने के बाद से रूस लगातार ईरान को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहा था। इसके अलावा सीरिया से युद्ध के दौरान रूस ने ही ईरान को हथियार मुहैया कराए थे। वहीं, युद्ध की स्थिति में उत्तरी कोरिया भी रूस का साथ दे सकता है। दरअसल, उत्तरी कोरिया ने पेनिनसुला में जब मिसाइल लॉन्च की थीं, उस वक्त अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया तो रूस और चीन दोनों ने विरोध जताया था। वहीं, पाकिस्तान भी रूस का समर्थन कर सकता है, क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस वक्त रूस के दौरे पर हैं। *कौन-कौन से देश करेंगे यूक्रेन का समर्थन?*अब हम उन देशों के बारे में जानते हैं, जो विश्व युद्ध के हालात बनने पर यूक्रेन का साथ दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में नाटो में शामिल यूरोपियन देश बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लग्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, ब्रिटेन और अमेरिका पूरी तरह यूक्रेन का समर्थन करेंगे। इनमें अमेरिका और ब्रिटेन यूक्रेन के सबसे बड़े समर्थक साबित हो सकते हैं। जर्मनी और फ्रांस ने हाल ही में मॉस्को का दौरा करके विवाद शांत करने की कोशिश की थी, लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जब यूक्रेन के दो राज्यों को स्वतंत्र घोषित किया और वहां सेना भेजने का एलान किया, तब जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन की इजाजत को रोक दिया। वहीं, अन्य पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा दिए। इसके अलावा जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा भी यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने रूस पर प्रतिबंध लगाने का एलान भी किया। *रूस-यूक्रेन संकट पर कौन-कौन से देश तटस्थ?*अब हम उन देशों से रूबरू होते हैं, जो रूस-यूक्रेन संकट पर तटस्थ की भूमिका में मौजूद हैं। इस मसले पर भारत अकेला ऐसा देश है, जिसने तटस्थ रुख अपना रखा है। दरअसल, अमेरिका और रूस दोनों देशों से भारत के रिश्ते काफी अच्छे हैं। भारत की जीडीपी का 40 फीसदी हिस्सा फॉरेन ट्रेड से आता है। 1990 के दौर में यह आंकड़ा करीब 15 फीसदी था। भारत का अधिकतर कारोबार अमेरिका और उसके सहयोगी पश्चिमी देशों के अलावा मिडिल ईस्ट से होता है। भारत हर साल पश्चिमी देशों से करीब 350-400 बिलियन डॉलर का कारोबार करता है। वहीं, रूस और भारत के बीच भी 10 से 12 बिलियन डॉलर का कारोबार है।
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