बीकानेर। भारत सरकार युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय तथा निदेशालय राष्ट्रीय सेवा योजना, नई दिल्ली के निर्देशानुसार राजकीय महारानी सुदर्शन कन्या महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना की चारों इकाइयों के संयुक्त तत्वावधान में खादी महोत्सव के अंतर्गत “खादी व चरखा की वर्तमान युग में प्रासंगिकता” विषय पर व्याख्यान एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रोफेसर मनोज दीक्षित कुलपति महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि डॉ बृजरतन जोशी प्रोफेसर हिंदी विभाग, राजकीय डूंगर महाविद्यालय बीकानेर तथा मुख्य वक्ता के रूप में श्री अजीत सिंह सिंघवी आईएएस (सेवानिवृत्त), पूर्व सचिव, राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड पधारे। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत प्राचार्य डॉ नंदिता सिंघवी , प्रो.अजंता गहलोत एवं पधारे हुए अतिथियों ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण से की।सर्वप्रथम प्राचार्य प्रोफेसर नंदिता सिंधवी ने अपने अभिभाषण में उपस्थित महानुभावों का अभिवादन करते हुए खादी के बारे में बताते हुए कहा कि खादी राष्ट्रभक्ति व देश भक्ति का पर्याय है साथ ही उन्होंने लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का स्मरण करते हुए राष्ट्रीय एकता में उनके योगदान को समझाते हुए एकता दिवस का महत्व बताया।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री अजीत सिंह सिंघवी ने वर्तमान युग में खादी व चरखे की प्रासंगिकता पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि गांधी व खादी एक दूसरे का पर्याय है उन्होंने हिंद स्वराज में उल्लेखित गांधी जी के लेख का संदर्भ देते हुए कहा कि खादी इस देश की कंगालियत को मिटा सकती है।उन्होंने गांधी जी के अनेक संस्मरणों के द्वारा गांधी व खादी की प्रासंगिकता को समझाया।
खादी से बेरोजगारी कम हुई है व पर्यावरण की दृष्टि से खादी इको फ्रेंडली है।विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर ब्रज रतन जोशी ने गांधी जी के शब्दों को उद्मृत करते हुए कहा कि “खादी वस्त्र ही नहीं अपितु एक विचार है” जो हमारे अस्तित्व से जुड़ा है। जिसके माध्यम से वर्तमान जीवन की विसंगतियों, विडंबनाओं व विद्रूपताओं को हल किया जा सकता है। प्रो. जोशी ने गांधी जी के शब्दों को उल्लिखित करते हुए कहा कि “तुम मुझे खादी दो मैं तुम्हें स्वराज दूंगा” यहां स्वराज से मतलब मन पर राज करना है।महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने बताया कि गांधी बनना है तो गांधी को समझना होगा। मनुष्य रूप में गलतियां होना स्वाभाविक है परंतु उन गलतियों से सीख लेकर ही एक दिन गांधी बना जा सकता है। उनके अनुसार चरखा आत्म स्वावलंबन का प्रतीक था जो वर्तमान में विश्व में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है। उनके अनुसार गांधी का होना जरूरी है ताकि युवा पीढ़ी को भटकाव से बचाया जा सके, इसके लिए गांधी जीवन दर्शन को अंगीकार करना होगा।हर्षित शर्मा व हेमलता सोनी ने भी खादी व गांधी पर अपने विचार प्रस्तुत किये।प्राचार्य डॉ. नंदिता सिंघवी ने सभागार में उपस्थित संकाय सदस्यों व छात्राओं से अपील की कि वह महीने में एक दिन खादी पहनकर देश के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन में योगदान दे।राष्ट्रीय एकता दिवस पर कार्यक्रम में हुई स्लोगन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हेमलता सोनी, द्वितीय स्थान अनुपम शर्मा, तृतीय स्थान भावना सुथार व सांन्वना पुरस्कार रुखसार बानो ने प्राप्त किया।कार्यक्रम का संचालन इतिहास विभागाध्यक्ष व एनएसएस प्रोग्राम अधिकारी सुनीता बिश्नोई ने करते हुए बताया कि प्राचीन काल में स्वावलंबन का प्रतीक खादी वर्तमान में देश-विदेश में फैशन का पर्याय बन चुका है।एनएसएस प्रभारी डॉ विनोद कुमारी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।कार्यक्रम के अंत में कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने राष्ट्रीय एकता दिवस पर सभी को एकता की शपथ दिलाई।इसके बाद एकता दौड़ (रन फॉर यूनिटी) का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में एनएसएस प्रोग्राम अधिकारी डॉ हिमांशु कांडपाल व डॉ अंजु सांगवा व एनएसएस, एनसीसी रेंजरिंग व महाविद्यालय की अन्य छात्राएं व संकाय सदस्य उपस्थित रहे।
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