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राजस्थान के पहाड़ों में पेट्रोल का खजाना:रिसर्च पेपर से खुला 60 करोड़ साल पुराना राज, तेल भंडार का पाकिस्तान बॉर्डर तक लिंक

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राजस्थान के पहाड़ों में पेट्रोल का खजाना:रिसर्च पेपर से खुला 60 करोड़ साल पुराना राज, तेल भंडार का पाकिस्तान बॉर्डर तक लिंक

जोधपुर

राजस्थान में करीब 50 से 60 करोड़ साल पहले बनी पहाड़ियों में पेट्रोलियम भंडार मिले हैं। जोधपुर के जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के एक रिसर्च पेपर से इसका खुलासा किया है।

इन रिसर्च पेपर में सामने आया कि बीकानेर में 600 से 1 हजार मीटर की गहराई के बीच पेट्रोलियम भंडार मिले हैं। जिन चट्टानों और पहाड़ी इलाकों में ये स्टोरेज मिला है, वे चट्टानें जोधपुर, नागौर से शुरू होकर पाकिस्तान की सीमा तक पहुंचती हैं।

इधर, बीकानेर जिले में तेल-गैस खोज के लिए ड्रिलिंग का काम शुरू हो गया है, इस पर करीब 49 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

बीकानेर जिले में तेल-गैस खोज के लिए ड्रिलिंग के काम पर 49 करोड़ रुपए खर्च होंगे। ड्रिलिंग कर नमूने लिए जाएंगे और तेल-गैस के भंडार व गुणवत्ता का पता चलेगा। ओएनजीसी ने तीन स्थानों पर मंगलवार को ड्रिलिंग शुरू कर दी है।

इन चट्टानों के नीचे पेट्रोलियम तेल के भंडार होने की पुष्टि की जा रही है।

इन चट्टानों के नीचे पेट्रोलियम तेल के भंडार होने की पुष्टि की जा रही है।

तेल कंपनियों में काम कर चुके कर्मचारियों के रिसर्च पेपर को खंगाला

जेएनवीयू के भूगर्भ विभाग के एचओडी प्रोफेसर एसआर जाखड़ ने बताया कि 2 साल पहले उन्होंने और उनकी टीम ने रिसर्च शुरू की थी। इस रिसर्च में देश की बड़ी तेल कंपनियों में काम कर चुके साइंटिस्ट के रिसर्च पेपर को पढ़ा गया और इनके शोध पत्रों के ऑयल वैल्स के डेटा को एनालिसिस किया गया।

इस स्टडी के दौरान डायरेक्टर जनरल ऑफ हाइड्रो कार्बन से प्रकाशित डेटा भी मिला, जिसे भी काम लिया गया। इस पूरी स्टडी से ये सामने आया कि राजस्थान में 458 (एमएमटी) मिलियन मीट्रिक टन में पेट्रोलियम भंडारण की संभावना है।

इस पर सीनियर लेखक एलआर चौधरी, ओएनजीसी से रिटायर सुनील कुमार श्रीवास्तव और प्रोफेसर एसआर जाखड़ ने इसके लिए अलग अलग जर्नल में प्रकाशित शोध पत्रों का डेटा कलेक्शन किया। जब ये डेटा कलेक्शन कर इनका एनालिसि​स किया गया तो सामने आया कि राजस्थान के बीकानेर क्षेत्र से पाकिस्तान सीमा तक पेट्रोल के भंडार मिलने की संभावना है।

50 से 60 साल करोड़ पहले पूरी हुई प्रक्रिया

दरअसल, राजस्थान कि सीमावर्ती क्षेत्र में यह चट्टानें लगभग 50 से 60 करोड़ साल पुरानी बताई जा रही है, जो समुद्र के अंदर जमा हुई थी। इन चट्टानों का नाम भू वैज्ञानिकों की भाषा में मारवाड़ सुपर ग्रुप के नाम से जानते हैं। इनकी तीन मुख्य इकाई है। इसमें जोधपुर का सेंड स्टोन पहली, बिलाड़ा का कार्बोनेट डिपोजिट वाला ग्रुप द्वितीय, इसके अलावा नागौर की सेंड स्टोन ग्रुप सबसे ऊपर है।

ये तीनों मिलकर मारवाड़ सुपर ग्रुप बनाती है। इन ग्रुप में सबसे बीच के बिलाड़ा ग्रुप में पेट्रोलियम के भंडार मिले। बताया जा रहा है की इन चट्टानों में निर्माण प्रक्रिया 50 से 60 करोड़ साल पहले पूर्ण हुई थी। इसकी जानकारी ऑयल कंपनियों की और से की जा रही खुदाई में मिला। अलग अलग जगहों पर रिसर्च के दौरान भारत में 500 से लेकर 1 हजार मीटर तक खुदाई की गई, जिसमें ये भंडार मिले।

इस रिसर्च से ये सामने आया कि पाकिस्तान की सीमा तक ये भंडार मिल सकता है।

इस रिसर्च से ये सामने आया कि पाकिस्तान की सीमा तक ये भंडार मिल सकता है।

इससे ये आइडिया हुआ की जमीन के नीचे इस ग्रुप में हेवी ऑयल के भंडार हैं। इन रिसर्च अनुभव के आधार पर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने अपनी टीम के साथ रिसर्च कर ये पता लगाने में सफलता हासिल की। इसमें इतनी बड़ी संख्या में हेवी ऑयल के भंडारण होने की संभावनाएं सामने आई। वहीं पाकिस्तान में भी कुओं की खुदाई में भी ऐसे ही संकेत मिले हैं।

बाड़मेर के बाद बीकानेर में सबसे बड़ा तेल का स्टोरेज मिलने की संभावना

ऐसा दावा किया जा रहा है कि में तेल कंपनियों के एक्सपर्ट इस पेट्रोल को निकालने की तकनीक में सफल होते है, तो बीकानेर क्षेत्र में भी ये जमीन बाड़मेर की तरह काला सोना उगलेगी। जोधपुर नागौर में भी ये चट्टान मिली है जो ऊपरी स्थल पर है। जबकि पाकिस्तान सीमा की तरफ यही चट्टान गहराई में पाई गई। इसी वजह से उस क्षेत्र में पेट्रोलियम का निर्माण हुआ। ऐसा इसलिए क्योंकि पेट्रोल निर्माण के बाद उसकी भंडारण के लिए उपयुक्त चट्टान और उनकी सीलिंग जरूरी होती है। जबकि जोधपुर में ये चट्टान ऊपरी सतह पर है। इस वजह से ये पेट्रोल निर्माण का वातावरण नहीं बना पा रही लेकिन बीकानेर में इसके उलट सारी परिस्थितियां इसी के अनुसार है, ऐसे में यहां बड़ी मात्रा में पेट्रोलियम पदार्थ का स्टोरेज मिल सकता है।

ये हैं प्रोफेसर जाखड़, जिन्होंने टीम के साथ रिसर्च में ये निकाला कि बाड़मेर के बाद बीकानेर में बड़ी मात्रा में इसका भंडार मिल सकता है।

ये हैं प्रोफेसर जाखड़, जिन्होंने टीम के साथ रिसर्च में ये निकाला कि बाड़मेर के बाद बीकानेर में बड़ी मात्रा में इसका भंडार मिल सकता है।

इधर, बीकानेर में ओएनजीसी ने शुरू किया काम

इधर, बीकानेर-नागौर बेसिन में 2118 वर्ग किमी एरिया में तेल-गैस होने के साक्ष्य मिले हैं। इस पर पिछले कुछ सालों से लगातार सर्वे किया गया जिस पर 48 करोड़ रुपए खर्च हुए। इस सर्वे के आधार पर अब नाल में दो जगह और कोलायत के सालासर सहित तीन जगहों पर ओएनजीसी ने ड्रिलिंग प्राकृतिक गैस वेल स्पड की शुरुआत की है। तीनों जगह ड्रिलिंग कर तेल-गैस के भंडार, उनकी गुणवत्ता का पता लगाया जाएगा और नमूने लिए जाएंगे।

कोलायत में सिरेमिक के कच्चे माल का भंडार है। तेल-गेस मिलने से यह क्षेत्र सिरेमिक हब बन जाएगा। बीकानेर में लिथयम, हीलियम और हाइड्रोजन के भी साक्ष्य मिले हैं। भूगर्भ में पानी की खोज का काम भी किया जा रहा है। इससे औद्योगिक क्षेत्र में बड़ा बदलाव आएगा। ऊर्जा के क्षेत्र में भी 40 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जा चुका है। ओएनजीसी की निदेशक (एक्सप्लोरेशन) सुषमा रावत ने प्रोजेक्ट की जानकारी दी।

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