एक वक्त था जब लोग बेसब्री से टीवी पर रामायण या महाभारत का इंतजार कर रहे होते थे और सिग्नल डाउन हो जाता था। टीवी पर मैसेज फ्लैश होता था- रुकावट के लिए खेद है।
यही हाल फिलहाल राजस्थान में है। रिजल्ट के 24 दिन बाद भी मंत्रिमंडल गठित नहीं हो पाया है। मंत्री पद के दावेदार ही नहीं, राजस्थान की जनता भी इंतजार में है।
दावेदारों को एक-एक दिन का इंतजार भारी लग रहा है। रोज सुबह उम्मीद जागती है कि संभवत: आज मंत्रिमंडल को लेकर घोषणा होगी, लेकिन दिन ढलते-ढलते बात कल पर टल जाती है।
सबसे पहले इस ग्राफिक से समझिए मंत्री पद के दावेदारों की पीड़ा…
आखिर कब होगा मंत्रिमंडल विस्तार?
सीएम भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल विस्तार में अभी और भी समय लग सकता है। पहले संभावना जताई जा रही थी कि बुधवार या गुरुवार को मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा, लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार बात वीकेंड तक टल सकती है। अब शुक्रवार या शनिवार को मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना जताई जा रही है।
उधर, मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर राजभवन अलर्ट मोड पर है। किसी भी समय सरकार से सूचना आने पर तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। हालांकि प्रोटोकॉल के अनुसार सरकार को कम से कम 24 घंटे पहले राजभवन को सूचित करना होगा, ताकि शपथ ग्रहण के कार्ड छपवाए जा सकें और उन्हें वितरित किया जा सके।
सीएम भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा 20 दिसंबर की रात को दूसरी बार दिल्ली के दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की थी।
देरी की 3 वजह…
1. पीएम मोदी के चलते आज टला विस्तार
पहले बुधवार को मंत्रिमंडल विस्तार की प्रबल संभावना जताई गई थी, लेकिन पीएम मोदी के विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम के चलते विस्तार नहीं हो सका।
2. शुभ मुहूर्त का इंतजार
ज्योतिषाचार्य के अनुसार पूर्णिमा के अगले दिन प्रतिपदा (पड़वा) तिथि आती है। इस दिन कोई भी शुभ काम करने से बचा जाता है। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि संभवत यह भी एक कारण रहा होगा, जिसके चलते बुधवार को मंत्रिमंडल विस्तार टाला गया।
3. नामों पर भी नहीं बन पा रही सहमति
मंत्रिमंडल में देरी को लेकर सियासी चर्चाएं भी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में शामिल नामों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। इसके कारण ही मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है।
हालांकि सीएम भजनलाल शर्मा के दिल्ली दौरे के बाद माना जा रहा था कि केंद्रीय नेतृत्व से नामों को हरी झंडी मिल गई है, लेकिन अब चर्चाएं हैं कि वसुंधरा गुट के कितने लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी जाए और वो चेहरे कौन होंगे, इस पर फैसला होना बाकी है।
कार्टूनिस्ट चंद्रशेखर हाड़ा का नजरिया…
विधायकों ने कहा- हमारे पास कोई सूचना नहीं
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अधिकतर विधायक जयपुर में ही ठहरे हुए हैं। कई विधायक सत्ता और संगठन तक चक्कर भी लगा रहे हैं। बीजेपी ऑफिस पहुंचे कपासन विधायक अर्जुनलाल जीनगर ने कहा- हमारे पास किसी तरह की कोई सूचना नहीं आई है कि मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में कोई देरी नहीं हो रही है। मंत्रिमंडल को लेकर मंथन जारी है।
वहीं शाहपुरा (भीलवाड़ा) विधायक लालाराम बैरवा ने कहा कि मंत्रिमंडल हमारी पार्टी का आंतरिक मामला है। कांग्रेस को इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। मंत्रिमंडल की सूचना को लेकर उन्होंने कहा- मैं तो जयपुर में मेरे आवास पर रुका हुआ हूं। यहां पार्टी नेताओं से शिष्टाचार भेंट करने आया हूं। इसके बारे में कोई सूचना नहीं है।
नए लोगों को मिल सकता है मौका
सीएम भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल में नए लोगों को मौका मिल सकता है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में उन विधायकों को मौका दिया जा सकता है, जो अभी तक कभी मंत्री नहीं बने। हालांकि कुछ वरिष्ठ विधायकों को भी मंत्री बनाया जा सकता है। इनकी संख्या ज्यादा नहीं होगी।
वहीं, लोकसभा चुनावों से पहले जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाकर मंत्रिमंडल में विधायकों को शामिल किया जाएगा। जिससे पार्टी लोकसभा चुनावों में इसे भुना सके। ऐसे में माना जा रहा है कि शेखावाटी अंचल जहां बीजेपी की परफॉर्मेंस फिसड्डी रही है, वहां से जीते हुए अधिकतर विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।
ये हैं प्रबल दावेदार
पूर्वी राजस्थान के सबसे कद्दावर नेताओं में शामिल डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के मंत्रिमंडल में शामिल होने की प्रबल संभावना है। वहीं, हिंदूवादी चेहरे और तिजारा से विधायक बाबा बालकनाथ भी भजनलाल मंत्रिमंडल का हिस्सा हो सकते हैं। महिला चेहरों में अनिता भदेल, दीप्ति माहेश्वरी और पहली बार विधायक बनीं नौक्षम चौधरी पर नजरें हैं।
वहीं, दलित वर्ग से जितेंद्र गोठवाल और वरिष्ठ विधायक मदन दिलावर भी मंत्री पद की जिम्मेदारी संभालते हुए नजर आ सकते हैं। राजपूत समाज से पुष्पेंद्र सिंह राणावत, सिद्धि कुमारी जैसे वरिष्ठ विधायकों के समर्थकों को उम्मीद है कि उनके नेता इस बार जरूर मंत्री बनेंगे। ब्राह्मण समाज को भी उम्मीद है कि मुख्यमंत्री के बाद समाज के एक-दो विधायक भी मंत्री बन सकते हैं। संजय शर्मा, संदीप शर्मा, जेठानंद व्यास जैसे विधायक भी रेस में बने हुए हैं।
नए मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा नजरें जाट समाज को मिलने वाले प्रतिनिधित्व पर टिकी होंगी क्योंकि मुख्यमंत्री, दो उप मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष जैसे पदों पर जाट चेहरे को मौका नहीं दिया गया है। ऐसे में अब लोगों की नजरें इस पर टिकी हैं कि 12 जाट विधायकों में से कितनों को मंत्री बनाया जाएगा।
राजस्थान में CM सहित 30 मंत्री का कोटा
राजस्थान में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 30 मंत्री बन सकते हैं। भजनलाल शर्मा सीएम, दीया कुमारी और डॉ. प्रेमचंद बैरवा डिप्टी सीएम बन चुके हैं। एक सीएम और दो डिप्टी सीएम बनने के बाद अब 30 में से 3 जगह भर चुकी है। कोटे के हिसाब से अब 27 मंत्री बन सकते हैं।
पहले फेज में करीब 20 मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिनमें 10 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री हो सकते हैं। पांच से सात जगह खाली रखी जा सकती है। बची हुई जगहों को लोकसभा चुनाव के बाद भरे जाने का विकल्प रखा जा सकता है।
जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश
बीजेपी में सबसे ज्यादा विधायक एससी-एसटी, राजपूत, जाट, ब्राह्मण वर्ग से जीतकर आए हैं। इसके अलावा वैश्य और बीजेपी का कोर वोट बैंक मानी जाने वाली ओबीसी जातियों के विधायकों की संख्या भी अधिक है। इन जातियों के विधायकों की संख्या के हिसाब से मंत्रिमंडल में जगह देकर जातीय संतुलन बनाने का प्रयास किया जा सकता है।
कौन होगा गृह मंत्री?
गृह मंत्री के नाम को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है। गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी आमतौर पर ऐसे नेता को दी जा सकती है जिसकी हिंदूवादी नेता की छवि हो। बाबा बालकनाथ और किरोड़ीलाल मीणा का नाम गृह मंत्री के तौर पर चल रहा है।
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