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राजस्थान हाईकोर्ट की दीवारों-पिलरों में आई दरारें:220 करोड़ से बनी बिल्डिंग में 2 साल में हुए 7 हादसे; सरकारी कंपनी के खिलाफ FIR

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राजस्थान हाईकोर्ट की दीवारों-पिलरों में आई दरारें:220 करोड़ से बनी बिल्डिंग में 2 साल में हुए 7 हादसे; सरकारी कंपनी के खिलाफ FIR

राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर में नई बिल्डिंग के निर्माण में कई खामियां सामने आ रही है। करीब 220 करोड़ की लागत बनी इस बिल्डिंग में पिछले दो साल से लगातार हादसे हो रहे है। कभी चैंबर की छत गिरना, दीवारों और पिलर में दरार, सरियों का फूलना सहित फायर सेफ्टी सिस्टम की खामी देखने को मिली है।

नए भवन में सुनवाई और वकीलों का बैठना भी शुरू हो गया है। ऐसे में जान-माल के नुकसान का डर बना रहता है। इसे गंभीरता से लेते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के कोर्ट ऑफिसर शरद जोशी ने कुड़ी भगतासनी पुलिस थाने में निर्माण कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है।

कंपनी हर साल 2.20 करोड़ रुपए रख-रखाव के लिए लेती थाना प्रभारी रामभरोसी ने बताया- कोर्ट ऑफिसर शरद जोशी ने रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में बताया- झालामंड में हाईकोर्ट का नया भवन बनाने का ठेका आरएसआरडीसी लिमिटेड कंपनी को दिया गया था। कंपनी ने 2008 में निर्माण कार्य शुरू किया था, जिसे बनाने में करीब 11 साल लगे थे। इस भवन का निर्माण खर्चा 220 करोड़ रुपए आया था। कंपनी ने 2019 में बिल्डिंग को कोर्ट के हवाले कर दिया था। इसके रख-रखाव की जिम्मेदारी कंपनी ने ली थी। जिस पर प्रति वर्ष 2.20 करोड़ रुपए लागत आ रही है।

जोशी ने बताया- हाईकोर्ट का कब्जा लेने के बाद इसके निर्माण में लगातार खामियां सामने आ रही है। कईं चैंबरों की छत गिर गई है। दीवारों-पिलरों में दरारें आ गई है तो कईं जगह लगे सरिए फूल गए हैं। 18 सितंबर 2024 को सुबह 5 बजे कोर्ट चैंबर 2 में आग लग गई थी। हादसे की जांच की गई तो सामने आया कि फायर सिस्टम ने आग लगने के दौरान काम ही नहीं किया। फायर सिस्टम निर्धारित मानकों के अनुसार नहीं लगाया गया है। कोर्ट ऑफिसर का आरोप है कि बिल्डिंग बनाने में घटिया मटेरियल का इस्तेमाल किया गया है।

हाईकोर्ट की बिल्डिंग में दो साल में हुए ये हादसे 24 सितंबर 2024- भूतल पर स्थित गेट संख्या 3 पर मीडियेशन सेंटर के सामने स्थित लिफ्ट के पास छत गिर गई थी। 18 सितंबर 2024- सुबह 5 बजे कोर्ट चैंबर 2 में भीषण आग लग गई थी। 12 सितंबर 2024- बारिश के कारण कोर्ट रूम नंबर 2 में छत से पानी टपकने के कारण और कोर्ट रूम नंबर 16 में छत-खिड़की से पानी अंदर आने के कारण कोर्ट कार्य रोका गया। 12 सितंबर 2024 को कोर्ट रूम नंबर 19 की छत से पानी के रिसाव के कारण फॉल्स सिलिंग में पानी भर गया और फॉल्स सिलिंग गिर गई। सितंबर 2024 – लेखा (संस्थापन) शाखा में फॉल्स सीलिंग का जिप्सम बोर्ड गिर गया था। 23 जून 2023- सिविल विविध अपील अनुभाग और 28 जून को बिल अनुभाग की छत का प्लास्टर उखड़कर गिरा था। इसके कारण फॉल्स सीलिंग भी गिर गई थी। 29 अप्रैल 2023- डोम एरिया की छत का कुछ हिस्सा गिर था। 20 फरवरी 2023- शाम को 6:05 बजे चैंबर नंबर 14 की छत गिर गई। चैंबर की फॉल्स सीलिंग और अन्य फर्नीचर क्षतिग्रस्त हो गया। इसे पहले कोर्ट नंबर 2 और चैंबर नंबर 16 में भी ऐसी घटना हो चुकी है।

हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग को बनाने में 11 साल लगे थे। निर्माण कंपनी इसके रख-रखाव के लिए हर साल 2.20 करोड़ रुपए वसूल रही है।

हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग को बनाने में 11 साल लगे थे। निर्माण कंपनी इसके रख-रखाव के लिए हर साल 2.20 करोड़ रुपए वसूल रही है।

हाईकोर्ट का नया भवन दिखता संसद जैसा हाईकोर्ट की बिल्डिंग संसद की तरह नजर आती है। हाईकोर्ट भवन का डोम ऊंचाई, आकार और गोलाई के मामले में उत्तर भारत में सबसे बड़ा है। प्रदेश विधानसभा भवन और संसद के डोम से भी बड़ा है। डोम की ऊंचाई जमीन तल से 35 मीटर यानि 120 फीट और व्यास 118 फीट का है। अपने विशाल डोम के कारण इमारत 5 किमी की दूरी से तथा टेक-ऑफ और लैंड करते प्लेन से भी आसानी से नजर आती है।

बिल्डिंग में क्या है खास

  1. जज, वकील, परिवादी, सुरक्षा कर्मियों और न्यायिक कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार है।
  2. इसके निर्माण में जोधपुर के छीतर पत्थर और जालोर के ग्रेनाइट का उपयोग किया गया है।
  3. 17 सौ से ज्यादा चौपहिया वाहनों की पार्किंग सुविधा है।
  4. सुरक्षा संबंधी जांच के लिए सीसीटीवी कैमरे, मेटल और बम डिटेक्टर के साथ एक्स-रे मशीन को लगाया गया है।
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