NATIONAL NEWS

राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के वो 5 जज कौन जिन्हें मिला प्राण प्रतिष्ठा का न्योता? जानिए सबकुछ

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के वो 5 जज कौन जिन्हें मिला प्राण प्रतिष्ठा का न्योता? जानिए सबकुछ

अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए इसके हक में फैसला सुनाने वाले 5 जजों को भी न्योता भेजा गया है। इसमें डी वाई चंद्रचूड़ के अलाा बाकी 4 जज रिटायर हो चुके हैं। इसमें तीन को देश का चीफ जस्टिस तक बनाया जा चुका है।

5 sc judges invited who gave ayodhya verdict for ram mandir pran pratishtha invitation know about them
राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट के वो 5 जज कौन जिन्हें मिला प्राण प्रतिष्ठा का न्योता? जानिए सबकुछ

नई दिल्ली: अयोध्या नगरी प्रभु श्री राम के स्वागत के लिए तैयार है। पूरे शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को भी बमुश्किल 3 दिन से भी कम समय बचा है। इस बीच आज यानी शुक्रवार को भगवान राम के बाल काल की पहली झलक देखने को मिली। 5 साल के राम की मूर्ति देख हर कोई जैसे मोहित सा हो रहा है। इसके बाद भक्तों की उत्सुकता भी तेजी से बढ़ रही है। इस भव्य और ऐतिहासिक कार्यक्रम में लगभग 700 से ऊपर वीआईपी लोग शिरकत करेंगे। इस फेहरिस्त में मेगा स्टार अमिताभ बच्चन, क्रिकेटर रोहित शर्मा, विराट कोहली, महेंद्र सिंह धोनी, मुकेश अंबानी सहित कई नाम शामिल हैं। लेकिन आज मेहमानों की लिस्ट में 5 ऐसे लोगों का नाम भी जुड़ गया जिन्होंने इस मंदिर के हक में फैसला दिया था। इस कार्यक्रम में अयोध्या मामले में फैसला देने वाले 5 जजों को भी न्योता भेजा गया है। इनमें प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ के अलावा, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और पूर्व प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर को प्राण प्रतिष्ठा का न्योता भेजा गया है। इन्होंने 9 नवंबर 2019 को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। आइए इन 5 जजों के बारे में जानते हैं-

​पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई

​पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई

अयोध्या राम मंदिर फैसला सुनाने वाले सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच को पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ही लीड कर रहे थे। उन्होंने उन्होंने 2019 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मामले में सुनवाई करने वाली पांच जजों की पीठ का नेतृत्व किया था। इस मामले में उन्होंने 2.77 एकड़ की जमीन को हिंदुओं को सौंपने का फैसला सुनाया था। इस ऐतिहासिक फैसले के अलावा, गोगोई ने अपने कार्यकाल के दौरान और भी फैसले सुनाए थे। इसमें असम के एनआरसी(राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ) से संबंधित फैसले भी शामिल थे। एनआरसी को लेकर रंजन गोगोई ने कहा था कि यह भाविष्य का दस्तावेज है। गोगोई ऐतिहासिक राम मंदिर पर फैसला देने के बाद 17 नवंबर को रिटायर हो गए थे। रिटायरमेंट के 4 महीने बाद रंजन गोगोई को राज्यसभा के सांसद के रूप में मानोनीत कर दिया गया।

गोगोई ने अपने करियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की। उन्होंने 1986 से 1994 तक असम हाई कोर्ट में एक अधिवक्ता के रूप में काम किया। 1994 में, उन्हें असम हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 2012 में, गोगोई को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 3 अक्टूबर 2018 को, उन्हें भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

गोगोई के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में सुनवाई की। इनमें शामिल हैं:
➤अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला
➤अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस का मामला
➤नागरिकता संशोधन अधिनियम का मामला
➤धनुषकोडी का मामला

​पूर्व प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे

​पूर्व प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे

भारत के 47वें चीफ जस्टिस के रूप में देश की सेवा करने वाले एस ए बोबडे भी अयोध्या मामले में बनी 5 जजों की बेंच का हिस्सा थे। फैसला सुनाने के 9 दिन बाद 18 नवंबर 2019 को एस ए बोबडे रिटायर होने के बाद देश के चीफ जस्टिस बने थे। उन्होंने रंजन गोगोई के बाद सबसे सीनियर होने के कारण अगला चीफ जस्टिस बनाया गया था। वह इस पद पर 23 अप्रैल 2012 मतलब 17 महीने ही रहे। हालांकि रिटायर होने के बाद एस एस बोबडे ने ऐसा कोई पद नहीं लिया। रिपोर्ट्स की मानें तो एस ए बोबडे मुंबई के महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी और नागपुर के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के तौर पर काम कर रहे हैं।

शरद अरविंद बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कला और कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की। वर्ष 1978 में महाराष्ट्र बार परिषद में उन्होंने बतौर अधिवक्ता अपना पंजीकरण कराया। उन्होने मुम्बई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में 21 साल तक अपनी सेवाएं दी। वे वर्ष 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता बने और 29 मार्च 2000 में मुम्बई उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। 16 अक्टूबर 2012 को वे मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश बने। 12 अप्रैल 2013 को उनकी पदोन्नति सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के रूप में हुई।

न्यायमूर्ति बोबडे के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य:

➤वह भारत के 47वें मुख्य न्यायाधीश थे।
➤वह महाराष्ट्र के पहले मुख्य न्यायाधीश थे।
➤वह पहले मुख्य न्यायाधीश थे जिन्होंने एक आत्मकथा लिखी है।
➤वह एक कुशल वक्ता और लेखक हैं।

​चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़

​चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़

डी वाई चंद्रचूड़ इस वक्त देश के मौजूदा चीफ जस्टिस के रूप में सेवा दे रहे हैं। 2019 में ऐतिहासिक राम मंदिर को लेकर बनाई गई 5 जजों की बेंच के ये भी प्रमुख हिस्सा थे। इन्हें यूयू ललित के रिटायर होने के बाद देश का 50वां चीफ जस्टिस बनाया गया था। 5 जजों में केवल यही एकमात्र जज हैं जो इस वक्त सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ इस साल नवंबर में रिटायर होंगे। इनका कार्यकाल दो साल का है।

डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता, यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, भारत के 16वें और सबसे लंबे समय तक सेवारत मुख्य न्यायाधीश थे। चंद्रचूड़ ने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट कोलंबस स्कूल, मुंबई से पूरी की और फिर सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से कानून की डिग्री प्राप्त की। उन्हें 1981 में बार में नामांकित किया गया। चंद्रचूड़ ने अपने करियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की। उन्होंने 1986 से 1998 तक बॉम्बे हाई कोर्ट में एक अधिवक्ता के रूप में काम किया। 1998 में, उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 2000 में, चंद्रचूड़ को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 2013 में, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

​एस. अब्दुल नजीर

​एस. अब्दुल नजीर

फैसला सुनाने वाली 5 जजों की बेंच में अगला नाम है एस अब्दुल नजीर। राम मंदिर पर फैसला सुनाने के बाद अब्दुल नजीर ने 4 साल तक सुप्रीम कोर्ट में सेवाएं दीं। इसके बाद 4 जनवरी 2023 को 6 साल देश की सर्वोच्च अदालत में सेवाएं देने के बाद रिटायर हो गए। रिटायर होने के 2 महीने के अंदर ही उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया। अभी वह इसी पद पर आसीन हैं।

नज़ीर ने अपने करियर की शुरुआत एक वकील के रूप में की। उन्होंने कर्नाटक हाई कोर्ट में 10 साल तक एक अधिवक्ता के रूप में काम किया। 1994 में, उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 2012 में, उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 2017 में, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

अब्दुल नजीर का कार्यकाल-
➤1986 से 1994 तक कर्नाटक हाई कोर्ट में एक अधिवक्ता
➤1994 में कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश
➤2012 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
➤2017 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश
➤2023 में आंध्र प्रदेश के राज्यपाल

​पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण

​पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण

अयोध्या मामले में पांच जजों की बेंच में शामिल अगला नाम हैं पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण। राम मंदिर पर फैसला सुनाने के लगभग दो साल बाद 4 जुलाई 2021 को रिटायर हो गए थे। रिटायर होने के बाद ही पूर्व न्यायाधीश अशोक भूषण को केंद्र सरकार ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) यानी राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण का अध्यक्ष बना दिया था। तब से वह इसी पद पर हैं। अशोक भूषण भी उत्तर प्रदेश के जौनपुर से आते हैं। उन्हें 2016 में सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया था। इससे पहले वह साल 2001 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के स्थाई न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। 2015 में वह केरल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने

​22 जनवरी से पहले देखिए रामलला की झलक

​22 जनवरी से पहले देखिए रामलला की झलक

22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले शुक्रवार को भगवान राम के मूर्ति पहली झलक सामने आ गई है। मूर्ति को जिस तरह से तराशा गया है, उसे देखकर हर कोई मोहित हो रहा है। हालांकि यह मूर्ति वर्कशॉप की है। इस मूर्ति की मदद से रामलला के 5 साल वाले बाल रूप की झलक मिल रही है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!