रोजे और मुसलमान
अंजुमन आरा कादरी
इस्लाम धर्म के लिए रमजान या रमादान को पवित्र महीना माना जाता हैl इस पवित्र महीने में इस्लाम में आस्था रखने वाले लोग नियमित रूप से रोजे यानी उपवास रखते हैंl इस दौरान दिनभर कुछ भी खाना या पीना मना होता हैl रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है, और इस धर्म में चांद को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता हैl इस्लाम धर्म में रमजान के महीने का महत्व बताते हुए कहा गया हैl इस महीने की गई इबादत से अल्लाह खुश होते हैं, और रोजा रखकर मांगी गई हर दुआ कबूल होती हैl ऐसा विश्वास है अन्य दिनों के मुकाबले रमजान में की गई इबादत का फल 70 गुना अधिक होता है ।रमजान का रोजा 29 या 30 दिनों का होता है।ऐसा कहा जाता है ,कि रमजान के महीने में ही पैगंबर मोहम्मद साहब को कुरान की आयतें मिली थी ।इसके बाद से ही इस्लाम में इस महीने में रोजा रखने की परंपरा शुरू हुई। इसलिए रमजान में रोजा रखकर लोग अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं, और इबादत करते हैं । रमजान का महीना बेहद पवित्र माना जाता है। यह महीना अध्यात्मिक और खुद को अल्लाह से जोड़ने का महीना होता है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान करते हैं ।इसके बाद नमाज पढ़कर शहरी खाते हैं ।रोजा रखने वाले लोग शहरी के बाद सीधे शाम को सूर्यास्त के बाद ही अज़ान होने पर रोजा खोलते हैं । रमजान में रोजा रखने के बहुत से फायदे होते हैं ,वजन कम करने में मदद मिलने के साथ-साथ सेहत में सुधार होता है ।शरीर को डिटॉक्स करने का मौका मिलता है। रोजा रखने से खराब हो चुके सेल्स अपने आप शरीर से बाहर निकल जाते हैं ,और पाचन हेल्दी और अच्छा महसूस करता है ।मेटाबॉलिक रेट बढ़ता है और इम्यून सिस्टम भी मजबूत हो जाता है ।रोजे रखने का मतलब यह नहीं कि सिर्फ भूखे प्यासे रहे बल्कि आंख कान और जीब का भी रोजा रखा जाता है ।यानी ना बुरा देखें ,ना बुरा सुने ,और ना ही बुरा कहे। इस महीने में हर मुस्लिम लोग इबादत में लगे होते हैं ।ज्यादा से ज्यादा कुरान की तिलावत करते हैं ।पांच वक्त की नमाज पढ़ते हैं। और हर बुरी आदतों से बुरी बातों से दूर रहते हैं ।जहां तक हो सकता है, किसी का अच्छा ही सोचते हैं और अच्छा करने का प्रयास करते हैं ।कोई भी मालदार गरीब मुफलिस की मदद करने के लिए सभी तैयार रहते हैं ।जहां तक हर मुस्लिम का यह फर्ज होता है,कि जिन घरों में कोई कमाने वाला ना हो ,फिर भी उस घर के बंदे पूरे रोजे रख रहा हो ,तो ऐसे में उन लोगों का यह फर्ज बन जाता है ,कि ऐसे लोगों की भी मदद की जाए उनकी शहरी से लेकर इफ्तारी तक का ख्याल रखें और वक्त पर उनको शहरी और इफ्तारी पहुंचाने का प्रबन्ध करें ।रमजान माह के दौरान हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है इस महीने में 1 रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है ।साथ ही इस माह में दोजख यानी नर्क के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं ।इसी महीने कुरआन शरीफ दुनिया में नाजिल हुआ था।
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