लूणकरणसर।लूणकरणसर की नमक झील जंहा वर्षो पहले नमक निकलना बंद हुवा साथ ही वंहा पर अभ्रक जिसको सामान्य बोलचाल की भाषा मे (छीलोड़ी) कहा करते थे समयानुसार वो भी बंद हुए बीते जमाने की बात हो गयी । नमक झील पर सर्दी के समय मंगोलिया से आने वाली क्रेन कुरजां जो नवंबर माह से प्रवास रत रहती है जो हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर करीब चार महीने इस क्षेत्र में विचरण करती है व यंही रहती है जिसका कोलाहल सर्वत्र सुनाई देता है समय रहते अभी तक इस दिशा में कार्य की अभी तक बात सिरे नहीं चढ़ पाई । नमक झील विशाल व कई बीघा में फैली जमीन को हरित क्षेत्र बनाया जा सकता है दूसरा पहलू है कि इस स्थान पर नारियल के पेड़ लगाए जा सकते हैं क्योंकि नारियल को पनपने के लिए नमक की आवश्यकता रहती हैं इस बारे में मिट्टी परीक्षण से इसका पता लगाया जा सकता हैं । क्रत्रिम पानी की झील जिसमें बोटिंग करवाई जा सके ये बनाई जा सकती है लोगों को रोजगार की दृष्टि से कैमल सफारी, हॉर्स राइडिंग जैसे कार्य हो सकते हैं ।
फ़ूड जोन बनाया जा सकता है जिससे ग्रामीण इलाके में लोगों को रोजगार का साधन उपलब्ध हो सकता है । पत्रिका के अंक में खारे पानी की झील की बदहाली व जीर्णोद्धार सबंधी प्रकाशन हुवा है पत्रिका के जनप्रहरी व भारत सरकार के भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के मानद प्रतिनिधि श्रेयांस बैद ने सौंदर्यीकरण के लिए मुख्यमंत्री, जिला कलेक्टर नम्रता वर्षणी व जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सोहन लाल से लूणकरणसर नमक झील को पक्षी विहार केंद्र व पर्यटन क्षेत्र के रुप में विकसित करके क्षेत्र के सौंदर्यीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य सम्पादित करने की मांग की है ।
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