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विनाश की शुरुआत! सिर्फ़ एक साल में बंद हो जाएगा इंटरनेट ? जानिए क्या है इसकी वजह और दुनियाभर में क्यों छिड़ी बहस,2025 में तबाही मचाएगा सूर्य का सौर तूफ़ान, दुनिया के इंटरनेट का होगा सर्वनाश

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2025 तक सूर्य में होते रहेंगे विस्फोट… एलन मस्क को लगा था बड़ा झटका, आगे भी सैटेलाइट्स को है खतरा!

वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूर्य बहुत एक्टिव फेज में है और यह अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है. इसी वजह से कहा जा रहा है कि 2025 तक इसमें विस्फोट होते रहेंगे.

इस साल की शुरुआत में आपने सौर तूफान की एक खबर पढ़ी होगी! सौर तूफान के कारण एलन मस्‍क की कंपनी स्‍टारलिंक के 40 सैटेलाइट्स बर्बाद हो गए. इन्‍हें फाल्‍कन-9 रॉकेट के जरिये अंतरिक्ष में भेजा गया था. वहां ये कक्षा में स्‍थापित हुए और तुरंत बाद तबाह हो गए थे. सूर्य के अजीब गतिविधियों के कारण ऐसा हुआ था. अब वैज्ञानिकों को कहना है कि 2025 तक सूर्य में विस्‍फोट होते रहेंगे.
इस साल की शुरुआत में आपने सौर तूफान की एक खबर पढ़ी होगी! सौर तूफान के कारण एलन मस्‍क की कंपनी स्‍टारलिंक के 40 सैटेलाइट्स बर्बाद हो गए. इन्‍हें फाल्‍कन-9 रॉकेट के जरिये अंतरिक्ष में भेजा गया था. वहां ये कक्षा में स्‍थापित हुए और तुरंत बाद तबाह हो गए थे. सूर्य के अजीब गतिविधियों के कारण ऐसा हुआ था. अब वैज्ञानिकों को कहना है कि 2025 तक सूर्य में विस्‍फोट होते रहेंगे.1 / 5
बीते कुछ महीनों से सूर्य में ऐसी हरकतें हो रही है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूर्य बहुत एक्टिव फेज में है और यह अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है. इसी वजह से कहा जा रहा है कि 2025 तक इसमें विस्‍फोट होते रहेंगे. ये विस्‍फोट सोलर फ्लेयर्स और CME यानी कोरोनल मास इजेक्‍शन की वजह बनेंगे. इस कारण स्‍पेस में सैटेलाइट्स और धरती पर पावर ग्रिड को नुकसान पहुंचने की संभावना है.
बीते कुछ महीनों से सूर्य में ऐसी हरकतें हो रही है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, सूर्य बहुत एक्टिव फेज में है और यह अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है. इसी वजह से कहा जा रहा है कि 2025 तक इसमें विस्‍फोट होते रहेंगे. ये विस्‍फोट सोलर फ्लेयर्स और CME यानी कोरोनल मास इजेक्‍शन की वजह बनेंगे. इस कारण स्‍पेस में सैटेलाइट्स और धरती पर पावर ग्रिड को नुकसान पहुंचने की संभावना है.2 / 5
वैज्ञानिकों का कहना है कि हर 11 साल में एक नया सौर चक्र शुरू होता है, जिस दौरान सूर्य बेहद एक्टिव हो जाता है और इसमें विस्‍फोट होते हैं. इस दौरान सूर्य से सोलर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन उत्‍सर्जित होते हैं. इनकी दिशा अगर धरती की ओर हो तो यह भू-चुंबकीय तूफान का कारण बनते हैं. और इसी वजह से पावर ग्रिड पर असर पड़ता है. साथ ही सैटेलाइट्स पर भी इसका बुरा असर पड़ता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि हर 11 साल में एक नया सौर चक्र शुरू होता है, जिस दौरान सूर्य बेहद एक्टिव हो जाता है और इसमें विस्‍फोट होते हैं. इस दौरान सूर्य से सोलर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन उत्‍सर्जित होते हैं. इनकी दिशा अगर धरती की ओर हो तो यह भू-चुंबकीय तूफान का कारण बनते हैं. और इसी वजह से पावर ग्रिड पर असर पड़ता है. साथ ही सैटेलाइट्स पर भी इसका बुरा असर पड़ता है.3 / 5
सौर तूफान के कारण इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन भी खतरे की जद में है. ऐसा हुआ तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है, क्‍योंकि स्‍पेस स्‍टेशनों में बड़ी संख्‍या में अंतरिक्ष यात्री अपने मिशन में लगे हैं. हाल ही में एक बड़ा खतरा टला था. धरती की ओर फोकस्‍ड सनस्‍पॉट में उस दिन विस्‍फोट हुआ होता तो धरती पर एक बड़ा सौर तूफान आ सकता था.
सौर तूफान के कारण इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन भी खतरे की जद में है. ऐसा हुआ तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है, क्‍योंकि स्‍पेस स्‍टेशनों में बड़ी संख्‍या में अंतरिक्ष यात्री अपने मिशन में लगे हैं. हाल ही में एक बड़ा खतरा टला था. धरती की ओर फोकस्‍ड सनस्‍पॉट में उस दिन विस्‍फोट हुआ होता तो धरती पर एक बड़ा सौर तूफान आ सकता था.4 / 5
कोरोनल मास इजेक्‍शन सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं, जो सौर विस्फोट के बाद सूर्य के मैग्‍नेटिक फील्‍ड में फैल जाते हैं. स्‍पेस में घूमते रहने के कारण ये फैलते हैं और कई लाख मील दूर पहुंच जाते हैं. धरती की ओर दिशा होने के कारण भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं, जिस वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट का खतरा होता है. इनका पावर ग्रिड और स्‍पेस स्‍टेशन पर भी असर होता है.
कोरोनल मास इजेक्‍शन सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं, जो सौर विस्फोट के बाद सूर्य के मैग्‍नेटिक फील्‍ड में फैल जाते हैं. स्‍पेस में घूमते रहने के कारण ये फैलते हैं और कई लाख मील दूर पहुंच जाते हैं. धरती की ओर दिशा होने के कारण भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं, जिस वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट का खतरा होता है. इनका पावर ग्रिड और स्‍पेस स्‍टेशन पर भी असर होता है.

2025 तक सूर्य सौर अधिकतम तक पहुंच जाएगा, जिससे पूरी तरह से वैश्विक इंटरनेट आउटेज होने की संभावना है

  • वर्तमान सौर चक्र के अगले दो वर्षों में सूर्य सौर अधिकतम तक पहुंचने के लिए तैयार है ।
  • सौर अधिकतम के दौरान, सूर्य में बढ़ी हुई गतिविधि संभावित रूप से संचार के बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को बाधित कर सकती है और यहां तक कि “इंटरनेट सर्वनाश” का कारण भी बन सकती है।

सौर अधिकतम

  • सूर्य लगभग हर 11 वर्ष में एक प्राकृतिक सौर चक्र से गुजरता है।
  • यह चक्र सूर्य की सतह, या प्रकाशमंडल पर काले धब्बों के रूप में दिखाई देने वाले सनस्पॉट के बढ़ने और घटने से चिह्नित होता है।
  • किसी भी सौर चक्र में सौर धब्बों की सबसे बड़ी संख्या को “सौर अधिकतम” के रूप में नामित किया गया है।
    • सबसे कम संख्या “सौर न्यूनतम” है।
  • यह निम्नलिखित प्रभाव डालता है
    • यह बढ़ी हुई सौर गतिविधि सौर ज्वालाओं और विस्फोटों सहित अत्यधिक अंतरिक्ष मौसमी घटनाओं का कारण बन सकती है।
    • यह रेडियो संचार और पावर ग्रिड को भी बाधित कर सकता है और अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

सौर चक्र

  • सौर चक्र वह चक्र है जिससे सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र लगभग हर 11 वर्ष में गुजरता है।
    • सूर्य विद्युत-आवेशित गर्म गैस का एक विशाल गोला है।
    • यह आवेशित गैस संचलन एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।
    • हर 11 साल में, सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पूरी तरह से पलट जाता है।
      • सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव अपना स्थान बदलते रहते हैं।
  • सौर चक्र सूर्य की सतह पर गतिविधि को प्रभावित करता है, जैसे कि सनस्पॉट जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के कारण होते हैं।
  • जैसे-जैसे चुंबकीय क्षेत्र बदलता है, वैसे-वैसे सूर्य की सतह पर गतिविधि की मात्रा भी बदलती है।
  • सौर चक्र की शुरुआत सौर न्यूनतम होती है, या जब सूर्य पर सबसे कम सनस्पॉट होते हैं।
  • समय के साथ, सौर गतिविधि और सौर धब्बों की संख्या बढ़ जाती है।
  • सौर चक्र का मध्य सौर अधिकतम होता है, या जब सूर्य पर सबसे अधिक सनस्पॉट होते हैं।
  • जैसे ही चक्र समाप्त होता है, यह वापस सौर न्यूनतम तक पहुँच जाता है और फिर एक नया चक्र शुरू होता है।

प्रीलिम्स टेकअवे

  • सौर चक्र
  • सौर अधिकतम
  • सौर न्यूनतम
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