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विपक्षी गठबंधन का नाम INDIA रखने का प्रस्ताव:RJD बोली- भाजपा को अब INDIA कहने में भी पीड़ा होगी, TMC ने कहा- चक दे इंडिया

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विपक्षी गठबंधन का नाम INDIA रखने का प्रस्ताव:RJD बोली- भाजपा को अब INDIA कहने में भी पीड़ा होगी, TMC ने कहा- चक दे इंडिया

बेंगलुरु के होटल ताज वेस्ट एंड में विपक्षी दलों की बैठक में 26 दलों के नेता मौजूद हैं। - Dainik Bhaskar

बेंगलुरु के होटल ताज वेस्ट एंड में विपक्षी दलों की बैठक में 26 दलों के नेता मौजूद हैं।

विपक्षी एकता की दूसरे दिन की बैठक बेंगलुरु में जारी है। 2024 के आम चुनाव में भाजपा को हराने के लिए विपक्ष के 26 दल एक साथ आए हैं। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम INDIA रखने का प्रस्ताव रखा गया है।

बैठक में शामिल राष्ट्रीय जनता दल ने भी ट्वीट किया कि विपक्षी दलों का गठबंधन भारत का प्रतिबिंब है। RJD ने इंडिया का फुलफॉर्म बताया- INDIA यानी इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव अलायंस। RJD ने इसके साथ लिखा- अब प्रधानमंत्री मोदी को इंडिया कहने में भी पीड़ा होगी।

TMC सांसद ने भी ट्वीट किया- चक दे इंडिया। वहीं कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने लिखा- इंडिया जीतेगी। हालांकि अभी नाम को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है। शाम 4 बजे बैठक खत्म होने के बाद विपक्षी दलों के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।

NCP चीफ शरद पवार चार्टर प्लेन से बेंगलुरु पहुंचे। कर्नाटक के मंत्रियों ने उनका स्वागत किया।

NCP चीफ शरद पवार चार्टर प्लेन से बेंगलुरु पहुंचे। कर्नाटक के मंत्रियों ने उनका स्वागत किया।

5 अहम पॉइंट पर आज फैसला संभव

1. चेयरपर्सन कौन, कांग्रेस चाहती है सोनिया को कमान मिले
न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कांग्रेस चाहती है कि विपक्षी पार्टियों की चेयरपर्सन सोनिया गांधी हों। वजह ये कि सोनिया सबसे बड़ी अपोजिशन पार्टी की नेता हैं और प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार भी नहीं हैं। कुछ लोगों ने पटना में हुई मीटिंग में नीतीश कुमार को कन्वीनर बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था। अगर सभी पार्टियां इस पर राजी होती हैं तो कांग्रेस भी इसे मानेगी।

2. मुद्दों पर क्या स्टैंड लेना है, अलग-अलग ग्रुप बनेंगे
2024 चुनाव के लिए अपोजिशन पार्टियों की यूनिटी के लिए कन्वीनर बनाया जाएगा। किन मुद्दों को उठाना है और स्टैंड क्या होगा, इसके लिए अलग-अलग ग्रुप बनाए जाएंगे और वही फैसला करेंगे। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर भी फैसला इसी तरह होगा।

3. चुनाव कैसे लड़ा जाएगा, मोदी VS लीडर या कुछ और
सूत्रों ने बताया कि अपोजिशन पार्टियां इस पक्ष में नहीं हैं कि आम चुनाव को मोदी VS अपोजिशन लीडर बनाया जाए। उनका सोचना है कि इस चुनाव को मोदी VS जनता का रूप दे दिया जाए। इसके लिए मौजूदा मुद्दों पर फोकस किया जाए।

4. भाजपा और मोदी के खिलाफ स्ट्रैटजी
सूत्रों के मुताबिक, कन्वीनर के अलावा 2-3 ग्रुप बनाने का विचार है। इनके जरिए मोदी के खिलाफ उठाए जाने वाले मुद्दों पर फैसला लिया जाएगा। ये ग्रुप फैसला लेगा कि किन मुद्दों पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना है। यह भी फैसला होगा कि किन मुद्दों पर स्टैंड नहीं लेना है, ताकि भाजपा पोलराइजेशन के लिए इनका फायदा ना उठा सके।

5. 2024 के लिए सीट शेयरिंग फॉर्मूला
एक प्रस्ताव यह भी है कि एक ग्रुप बनाया जाए जो राज्यों में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करे। 26 विपक्षी पार्टियों के नेताओं के बीच इतने कम समय में मीटिंग नहीं रखी जा सकती है। ऐसे में एक ग्रुप बनाया जाए जो सभी के बीच कोऑर्डिनेशन करे।

खड़गे बोले- हमारे बीच मतभेद हैं, लेकिन ऐसे नहीं जिन्हें दूर न किया जा सके
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम जानते हैं कि राज्य स्तर पर हमारे बीच कुछ मतभेद हैं, लेकिन ये मतभेद इतने बड़े नहीं हैं कि हम इन्हें अपने पीछे छोड़कर उन लोगों की खातिर आगे न बढ़ सकें, जिन्हें कुचला जा रहा है। हर संस्थान को विपक्ष के खिलाफ हथियार में तब्दील कर दिया गया है। इस बैठक को करने के पीछे हमारा मकसद संविधान, लोकतंत्र, धर्म-निरपेक्षता और सामाजिक न्याय की रक्षा करने का है।

मीटिंग में शामिल नेताओं की तस्वीर…

ममता बनर्जी और सोनिया गांधी एक-दूसरे के बगल में बैठी थीं। जुलाई 2021 के बाद ये उनकी दूसरी मुलाकात थी।

ममता बनर्जी और सोनिया गांधी एक-दूसरे के बगल में बैठी थीं। जुलाई 2021 के बाद ये उनकी दूसरी मुलाकात थी।

अखिलेश यादव के साथ उनके चाचा शिवपाल यादव भी मीटिंग में आए।

अखिलेश यादव के साथ उनके चाचा शिवपाल यादव भी मीटिंग में आए।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM उमर अब्दुल्ला भी शामिल हुए।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व CM उमर अब्दुल्ला भी शामिल हुए।

सोनिया गांधी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हाथ जोड़कर अभिवादन किया।

सोनिया गांधी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हाथ जोड़कर अभिवादन किया।

शिवसेना (UBT) के नेता उद्धव ठाकरे से बातचीत करतीं सोनिया गांधी।

शिवसेना (UBT) के नेता उद्धव ठाकरे से बातचीत करतीं सोनिया गांधी।

जम्मू-कश्मीर की पूर्व CM और PDP चीफ महबूबा मुफ्ती के साथ सोनिया।

जम्मू-कश्मीर की पूर्व CM और PDP चीफ महबूबा मुफ्ती के साथ सोनिया।

RJD सुप्रीमो लालू यादव के साथ डी राजा, सीताराम येचुरी, राहुल, सोनिया और ममता बनर्जी

RJD सुप्रीमो लालू यादव के साथ डी राजा, सीताराम येचुरी, राहुल, सोनिया और ममता बनर्जी

सपा प्रमुख अखिलेश यादव और शिवपाल यादव से बातचीत करते राहुल और सोनिया गांधी।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव और शिवपाल यादव से बातचीत करते राहुल और सोनिया गांधी।

8 नए दलों को मिलाकर 26 पार्टियों के नेता आए
इस बार विपक्षी कुनबे को और मजबूत करने के लिए 8 और दलों को न्योता भेजा गया है। इनमें ​​​​मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK), कोंगु देसा मक्कल काची (KDMK), विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मणि) ने हामी भरी है। इन नई पार्टियों में से KDMK और MDMK 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान BJP के साथ थीं।

पिछली बैठक में शामिल हुए थे 17 विपक्षी दल
पहली बैठक में जनता दल यूनाइटेड (JDU), राष्ट्रीय जनता दल (RJD), आम आदमी पार्टी (AAP), द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK), तृणमूल कांग्रेस (TMC), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सिस्ट CPM, CPI (ML), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), सपा, JMM और NCP शामिल हुए थे।

28 राज्यों में 10 में भाजपा और 4 में कांग्रेस की सरकार
देश के 28 राज्यों में इस समय 10 राज्यों में भाजपा ने बहुमत के साथ सरकार बनाई है। वहीं, महाराष्ट्र में शिवसेना का शिंदे गुट के साथ भाजपा की सरकार है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित 4 राज्यों में कांग्रेस की सरकार है और 3 राज्यों में पार्टी का गठबंधन है।

पहली बार 1977 में विपक्षी नेता एक साथ आए, गठबंधन से बनी थी सरकार
देश में इमरजेंसी के बाद पहली बार 1977 में विपक्षी नेता एक साथ आए थे। तब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली गैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ था। तब कई दल एक साथ आए थे। जयप्रकाश नारायण की पहल पर जनता पार्टी का गठन हुआ। जनता पार्टी ने चुनाव जीतकर सरकार भी बनाई, लेकिन उस चुनाव में भी प्रधानमंत्री पद के लिए किसी को चेहरा नहीं बनाया गया था।

इसके बाद जनता पार्टी ने अलग-अलग दलों के समर्थन से 1989 में वीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई। तब भी PM के लिए कोई चेहरा आगे नहीं किया गया था। फिर 1996 में भाजपा ने अटल बिहारी बाजपेयी को चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ा और सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। इसके साथ फिर PM फेस पर चुनाव लड़ने की परंपरा भी शुरू हो गई। 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने छोटे-छोटे दलों के साथ मिलकर बिना चेहरे के चुनाव लड़ा था, तब UPA में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे।

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