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वे चेहरे जो 2023 के चुनाव में निर्णायक होंगे:ऐसे नेता जो लंबे अर्से से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय, उनका अपना खास जनाधार

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वे चेहरे जो 2023 के चुनाव में निर्णायक होंगे:ऐसे नेता जो लंबे अर्से से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय, उनका अपना खास जनाधार

2023 के अंत में राजस्थान में चुनाव होने हैं, लेकिन रणभेरियां बजनी शुरू हो गई हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों अपनी-अपनी तैयारियां कर रही हैं। दोनों के पास कुछ ऐसे चेहरे हैं, जो चुनावों में मुख्य किरदारों के रूप में सामने आएंगे। यह सभी चेहरे ऐसे हैं, जिन्हें आम जनता और राजनीतिक जानकारों के बीच चीफ मिनिस्टर मटेरियल माना जाता है। यह वे चेहरे हैं, जो लंबे अर्से से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। उनका अपना खास जनाधार है, खूबियां हैं और अलग कार्यशैली है। जनता उनमें बहुत कुछ देखती हैं। ऐसे में पड़ताल की कुछ ऐसे खास चेहरों की जो निर्णायक बनेंगे 2023 के रण में।

अर्जुनराम मेघवाल- लगातार तीसरी बार सांसद हैं और वर्तमान में केन्द्रीय मंत्री हैं। वर्ष 2009 में राजनीति में आने से पहले वे IAS थे। वे भाजपा के टिकट पर 2009 में तब भी सांसद बनने में कायमाब रहे थे, जब 25 में से भाजपा को केवल 4 सीटों पर ही जीत मिली थी। आम लोगों में उनकी छवि साधारण और सरल व्यक्ति की है। उनकी आयु करीब 73 वर्ष है।

  • ताकत- वे भाजपा के लिए समस्त उत्तर भारत में एक खास दलित चेहरा हैं।
  • कमजोरी- केन्द्रीय राजनीति में व्यस्त होने और उम्र की अधिकता राज्य की राजनीति में उनके कद को सीमित करते हैं।
  • किस वर्ग में पकड़- दलित वर्ग में उनके प्रति जबरदस्त उत्साह है। पूर्व IAS होने से शिक्षित वर्ग में उनकी अच्छी पकड़ है।
  • चुनाव में भूमिका- केन्द्र में मंत्री होने से टिकटों के चयन में उनकी प्रभावी भूमिका रहेगी।

राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़- वे लगातार दूसरी बार सांसद हैं। पिछली बार केन्द्र में मंत्री भी बने थे। इस बार मंत्री नहीं हैं, लेकिन भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दल में शामिल हैं। राजनीति में आने से पहले सेना में कर्नल रहे हैं और वर्ष 2004 के ओलम्पिक में राइफल शूटिंग में रजत पदक विजेता रहे हैं। युवाओं में खासे लोकप्रिय हैं। उनकी आयु 53 साल है।

  • ताकत- सेना और खेलों से जुड़े होने के कारण जनता के बीच छवि अच्छी बनी हुई है। आयु कम होने से अभी लंबी रेस उनके लिए खुली पड़ी है।
  • कमजोरी- भाजपा के मूल काडर से नहीं हैं, ऐसे में संगठन के भीतर तक उनकी वैसी स्वीकार्यता नहीं जैसे मूल काडर वालों की होती है।
  • किस वर्ग में पकड़- राजस्थान में सैन्य सेवाकर्मी और खिलाड़ी लाखों की संख्या में हैं। इनमें और युवा वर्ग में राठौड़ का खास असर है।
  • चुनाव में क्या भूमिका- युवा, सैन्य और खिलाड़ियों को भाजपा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका रह सकती है।

किरोड़ी लाल मीणा- वे वर्तमान में राज्य सभा सांसद हैं। इससे पहले दो बार लोकसभा से सांसद और पांच बार विधायक रह चुके हैं। राजस्थान में कहीं भी कोई पीड़ित हो तो मीणा उसकी आवाज उठाने में कहीं कोई कसर नहीं छोड़ते। हाल ही रीट परीक्षा में पेपर आउट होने के मामले में उन्होंने राज्य सरकार को अपने आंदोलन से मजबूर कर दिया था और सरकार को पेपर दुबारा कराना पड़ा। ऐसी अनगिनत उपलब्धियां मीणा के राजनीतिक खाते में दर्ज हैं। उनकी आयु 71 वर्ष है।

  • ताकत- उनके पीछे जनता का समर्थन है। वे जब भी कोई आंदोलन करते हैं, तो सरकार की सांसें फूल जाती हैं।
  • कमजोरी- उम्र की अधिकता और केन्द्रीय राजनीति में समय देने के कारण राज्य की राजनीति में दखल कम।
  • किस वर्ग में पकड़- किसान व आदिवासी समुदाय में उनकी पकड़ मानी जाती है।
  • चुनाव में क्या भूमिका- आदिवासी और किसान वर्ग की बहुलता वाली सीटों पर भाजपा के लिए वे एक महत्वपूर्ण चेहरा है।

राजेन्द्र राठौड़- वे लगातार सातवीं बार विधायक हैं। तीन बार राज्य सरकार में मंत्री भी रहे हैं। भाजपा के कोई भी मुख्यमंत्री या प्रदेशाध्यक्ष हो, राठौड़ उनकी टीम में ट्रबल शूटर की भूमिका में रहते हैं। यह उनकी सबसे बड़ी खासियत और ताकत है। लगातार सात बार जीतना उन्हें बतौर जनता के बीच लोकप्रिय साबित करता है। विरोधी पार्टी कांग्रेस में भी उनके कई मित्र हैं। विधानसभा में अच्छे वक्ताओं में उनकी गिनती होती है। उनकी आयु लगभग 64 वर्ष है।

  • ताकत- पार्टी के अनुशासित सिपाही हैं और चुनाव जीतने के विशेषज्ञ राजनेता माने जाते हैं।
  • कमजोरी- अपने कद को जयपुर और शेखावाटी से बाहर फैला पाने में कामयाब नहीं हो पा रहे।
  • किस वर्ग में पकड़- छात्र राजनीति से ऊपर आए हैं और मजबूत राजपूत लीडर माने जाते हैं।
  • चुनाव में क्या भूमिका- सात बार से लगातार चुनाव जीत रहे हैं, ऐसे में भाजपा को अजेय बनाने के फार्मूले को वे तैयार कर सकते हैं।

कांग्रेस…

रघु शर्मा- वे वर्तमान में कांग्रेस के गुजरात प्रभारी हैं। एक बार सांसद और दो बार विधायक रहे हैं। वे गुजरात जाने से पहले गहलोत सरकार में चिकित्सा मंत्री रहे हैं। शर्मा राजनीति में करीब 40 वर्ष से सक्रिए रहे हैं और राजस्थान विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष और युवक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं। वे प्रदेश कांग्रेस के गिने चुने नेताओं में से हैं, जो सीधे आलाकमान सोनिया गांधी व राहुल गांधी के सम्पर्क में हैं। उनकी आयु 62 वर्ष है।

  • ताकत- ब्राह्मण समाज में लोकप्रिय चेहरा हैं। समर्थकों की निजी और सार्वजनिक स्तर पर मदद करने के चलते खासे लोकप्रिय हैं।
  • कमजोरी- गुजरात के चुनाव प्रभारी बनने के बाद से राजस्थान में कम समय दे पा रहे हैं।
  • किस वर्ग में पकड़- युवाओं, मध्यम वर्ग, शिक्षित समुदाय और ब्राह्मण समाज में खासी पकड़ है।
  • चुनाव में क्या भूमिका- गुजरात प्रभारी होने से वे आलाकमान और राज्य के बीच मजबूत कड़ी बन गए हैं। महत्वपूर्ण भूमिका में रहेंगे।

अन्य दलों में……

हनुमान बेनीवाल- वे वर्तमान में सांसद हैं और इससे पहले तीन बार लगातार विधायक रह चुके हैं। वे पहले भाजपा में थे, लेकिन अब उनकी खुद की पार्टी है रालोपा। इस पार्टी के विधानसभा में 3 विधायक हैं। बेनीवाल भी राजस्थान विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे हैं और विगत 25 वर्षों से राजनीति में सक्रिए रहे हैं, लेकिन गत 5-6 वर्षों में उन्होंने कांग्रेस व भाजपा के विरोध में अपना एक अलग मुकाम बनाया है। अपनी दबंग छवि से समर्थकों के बीच गजब की लोकप्रियता हासिल है।

  • ताकत- वे प्रदेश की लगभग 70 सीटों पर खास दबदबा रखते हैं। ऐसे में आने वाले चुनावों में भाजपा और कांग्रेस या कोई भी दिग्गज नेता उन्हें इग्नोर करने की हिम्मत नहीं कर सकते।
  • कमजोरी- अभी तक उनकी पार्टी दो जिलों जोधपुर और नागौर की तीन सीटों पर ही चुनाव जीत पाई है।
  • किस वर्ग में पकड़- छात्रों, युवाओं और किसान वर्ग में उनकी शानदार पकड़ है। ऐसी पकड़ राजस्थान में एक-दो राजनेताओं की ही है।
  • चुनाव में क्या भूमिका- वे अपनी पार्टी के सुप्रीमो हैं। वे भाजपा और कांग्रेस दोनों के सामने एक गंभीर चुनौती रहेंगे।
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