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शिल्पकार सोमपुरा बोले- राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के लिए तैयार:इसमें राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने वाले 16 गुण झलकेंगे, 25 फीट दूर से दर्शन होंगे

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शिल्पकार सोमपुरा बोले- राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के लिए तैयार:इसमें राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने वाले 16 गुण झलकेंगे, 25 फीट दूर से दर्शन होंगे

मंदिर के फर्स्ट फ्लोर की यह फुटेज चार महीने पहले की है। - Dainik Bhaskar

मंदिर के फर्स्ट फ्लोर की यह फुटेज चार महीने पहले की है।

अयोध्या में भगवान श्रीराम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा में एक महीना बाकी है। सबके मन में जिज्ञासा है कि भगवान राम की मूर्ति कैसी होगी? मंदिर कैसा बना है? खासियत क्या है? सोमपुरा ने ही अयोध्या के श्रीराम मंदिर की पूरी डिजाइन तैयार की है। इन्हीं की देखरेख में पूरा निर्माण हो रहा है। पढ़िए उन्हीं की जुबानी...

चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा- मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के लिए तैयार है। गर्भगृह में वो आसन भी आकार ले चुका है, जहां रामलला विराजेंगे। हम 5.5 फीट की तीन मूर्तियां बना रहे हैं। एक श्याम रंग की, दूसरी गहरे काले शालिग्राम पत्थर की और तीसरी सफेद पत्थर की। मंदिर ट्रस्ट 29 दिसंबर को इनमें से एक मूर्ति तय करेगा। उसी की प्राण-प्रतिष्ठा होगी।

गर्भगृह से बाहर निकलते ही सामने गणपति और हनुमानजी की मूर्ति स्थापित होगी। मंदिर के सामने गरुड़जी की मूर्ति लगाई जा रही है। प्राण-प्रतिष्ठा मंदिर की दूसरी मंजिल पर होगा। यहीं राम दरबार भी बनाया गया है। यहां भगवान श्रीराम, मां जानकी, लक्ष्मणजी और हनुमानजी की मूर्ति होगी।

राम-मंदिर में काशी के काष्ठ कलाकारों द्वारा तैयार राम-दरबार भी सजेगा।

राम-मंदिर में काशी के काष्ठ कलाकारों द्वारा तैयार राम-दरबार भी सजेगा।

हर पिलर में लगभग 16-16 मूर्तियां उकेरी गई हैं
चंद्रकांत सोमपुरा ने बताया कि भारत में मंदिर डिजाइन करने की 16 शैलियां हैं। इनमें 3 प्रमुख हैं। उत्तर भारत में नागर शैली, दक्षिण में द्रविड़ और मध्य-पूर्व भारत में पैगोडा शैली। अयोध्या मंदिर नागर शैली में है। सोमनाथ, स्वामीनारायण, अंबाजी मंदिर इसी शैली में बने हैं। आठ दिशाएं, अष्ट भुजाएं और विष्णु के आठ स्वरूपों को ध्यान में रखकर गर्भगृह अष्टकोण बनाया गया है।

नक्काशी में भगवान श्रीराम के वो 16 गुण नजर आएंगे, जिनकी बदौलत वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। गर्भगृह इस तरह बनाया है कि भक्तों को 25 फीट दूर से रामलला के दर्शन हो सकें। मंदिर पूरी तरह तैयार होने में 1 साल और लगेगा। अयोध्या कॉरिडोर बनने में भी डेढ़ से 2 साल लगेंगे।

मंदिर में विष्णु के दशावतार, 64 योगिनी, 52 शक्तिपीठ और सूर्य के 12 स्वरूप की मूर्तियां भी उकेरी गई हैं। हर पिलर में लगभग 16-16 मूर्तियां उकेरी गई हैं। मंदिर में ऐसे कुल 250 पिलर हैं।

सोमपुरा ने बताया- अयोध्या आंदोलन के वक्त मंदिर निर्माण की शुरुआत हो गई थी
चंद्रकांत सोमपुरा ने कहा, ‘मंदिर निर्माण की शुरुआत 34 साल पहले 1989 में ही कर दी गई थी। तब अयोध्या आंदोलन शुरू ही हुआ था। डीडी बिरलाजी ने मुझे कहा कि तुम अशोक सिंघल के साथ अयोध्या जाओ और जिस जगह मंदिर बनना है, उसका नाप लेकर आओ। वहां कोर्ट के प्रतिबंध के कारण गवर्नमेंट टेप (मापपट्‌टी) का उपयोग नहीं कर सके, इसलिए कदम से नाप की। कुल 82 कदम में जगह तय की।’

‘कुछ सालों बाद मैप तैयार हुआ और कदमों के माप से ही डिजाइन फाइनल की। प्रयागराज कुंभ में संतों की मंजूरी से लकड़ी का मॉडल बनाया, जो बरसों राम मंदिर का प्रतीक रहा। 2019 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इसमें कई परिवर्तन हुए। ऊंचाई भी 128 से बढ़ाकर 161 फीट की। मंदिर निर्माण शुरू किया, तब बजट 400 करोड़ था। अब मंदिर और कॉरिडोर पर 2 हजार करोड़ रु. खर्च होंगे।’

यह फोटो ग्राउंड फ्लोर में बने गुंबदों की है। इसमें भव्य नक्काशी दिख रही है।

यह फोटो ग्राउंड फ्लोर में बने गुंबदों की है। इसमें भव्य नक्काशी दिख रही है।

मंदिर के दरवाजे को करीब 10 फीट चौड़ा और 15 फीट ऊंचा बनाया गया है।

मंदिर के दरवाजे को करीब 10 फीट चौड़ा और 15 फीट ऊंचा बनाया गया है।

सोमनाथ मंदिर की डिजाइन चंद्रकांत के पिता ने बनाई थी
सोमपुरा परिवार 18 पीढ़ियों से मंदिर डिजाइन का काम कर रहा है। चंद्रकांत सोमपुरा और उनके बेटे आशीष देश-विदेश में 31 मंदिरों की डिजाइन बना चुके हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल सोमनाथ मंदिर और 51 शक्तिपीठों में शामिल अंबाजी मंदिर की डिजाइन चंद्रकांत के पिता प्रभाशंकर सोमपुरा ने बनाई थी। चंद्रकांत के दादा रामजीभाई ने गुजरात के पालीताणा मंदिर की डिजाइन बनाई थी। मंदिर का एक गेट भी उनके नाम से जाना जाता है।

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22 जनवरी 2024 को अयोध्या के रामलला मंदिर में भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा होने जा रही है। 121 वैदिक और कर्मकांडी ब्राह्मणों के साथ यह भारत का सबसे बड़ा धार्मिक अनुष्ठान होगा। काशी के पंडित लक्ष्मीकांत मथुरादास दीक्षित के नेतृत्व में 50 ब्राह्मणों की टीम 16 से 22 जनवरी तक अयोध्या में रहेगी। प्राण-प्रतिष्ठा से पहले कुल 60 घंटे तक यज्ञ, हवन, 4 वेदों का परायण और कर्मकांडों का वाचन होगा।

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