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स्कूल में बच्ची को रोता देख शुरू की पीरियड पाठशाला:गांव-गांव जाकर पेड वुमन ने किया जागरूक, अब तक 1 लाख सेनेटरी पेड बांटे

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स्कूल में बच्ची को रोता देख शुरू की पीरियड पाठशाला:गांव-गांव जाकर पेड वुमन ने किया जागरूक, अब तक 1 लाख सेनेटरी पेड बांटे

देवगढ़ की पेड वुमन भावना पालीवाल, मासिक धर्म को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए अब तक 1 लाख से ज्यादा सेनेटरी पेड वितरित कर चुकी है। - Dainik Bhaskar

देवगढ़ की पेड वुमन भावना पालीवाल, मासिक धर्म को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए अब तक 1 लाख से ज्यादा सेनेटरी पेड वितरित कर चुकी है।

स्कूल में एक बच्ची को पहली बार पीरियड आने पर उसे रोता देख एक महिला इस कदर झकझोर गई कि उसने पीरियड पाठशाला शुरू करने का फैसला किया। उस महिला ने उसी दिन ठान लिया कि अब मासिक धर्म को लेकर बच्चियों-महिलाओं में जागरूकता लाने की दिशा में काम करना है और उसी दिन से पीरियड पाठशाला की प्लानिंग तैयार हुई। उस महिला का नाम है भावना पालीवाल, जो राजसमंद के देवगढ़ कस्बे के रहने वाली है। दिनो-दिन भावना ने गांव-गांव इस कदर अपने काम को बखूबी अंजाम दिया कि वो अब पेड वुमन के नाम से इलाके में फेमस है।

‘स्त्री स्वाभिमान’ अभियान में कर रही जागरूक
भावना पालीवाल अब महिलाओं के मासिक धर्म को लेकर समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करते हुए जागरूक करने के लिए ​इन दिनों विशेष अभियान ‘स्त्री स्वाभिमान’ चला रही है। इसके तहत वो गांव-गांव जाकर महिलाओं को मासिक धर्म के प्रति जागरूक कर रही है।

भावना पालीवाल महिलाओं को जागरूक करने की दिशा में कई तरीकों से काम कर रही है।

भावना पालीवाल महिलाओं को जागरूक करने की दिशा में कई तरीकों से काम कर रही है।

भावना के पेड वुमन बनने की कहानी
चलिए अब आपको बताते है भावना के पेड वुमन तक पहुंचने की पूरी कहानी। दरअसल ये बात उन दिनों की है जब भावना लंबे समय से कुप्रथा बाल विवाह को लेकर समाज में जन जागृति का काम कर रही है। इसी दौरान एक बार वो छापली गांव के सरकारी स्कूल में बाल विवाह के दुष्प्रभाव को लेकर बच्चों को समझा रही थी, कि अचानक एक बच्ची जोर-जोर से रोती हुई आई। बच्ची के मन में यह था कि कई उसकी मौत न हो जाए। दरअसल बालिका को पहला पीरियड आया था, लेकिन वो इन सभी चीजों से अनजान थी और बेहद घबरा गई थी और सोचने लगी थी कि उसकी मौत हो जाएगी।

जो ठाना वो कर दिखाया
यही वो घटना है जब भावना ने इस दिशा में काम करने का फैसला लिया। तब से भावना के दिमाग में आया कि बच्चों को मासिक धर्म आने से पहले यदि इसकी जानकारी दे दी जाए, तो इस तरह की नौबत नहीं आएगी। बस तभी से भावना ने ठान ली कि वो अब मासिक धर्म को लेकर कार्य करेगी और पीरियड पाठशाला की शुरुआत की।

भावना पालीवाल नरेगा कार्य स्थल पर भी जाकर महिलाओं को जागरूक करती है।

भावना पालीवाल नरेगा कार्य स्थल पर भी जाकर महिलाओं को जागरूक करती है।

घर-घर जाकर बांटे सेनेटरी पेड
भावना पिछले 13 साल से महिलाओं की जन जागृति के लिए कार्य कर रही थी। इस दौरान बाल विवाह कुप्रथा को लेकर वो समय-समय पर जन जागृति अभियान चलाती आई है। 2015 के बाद से वो महिलाओं के मासिक धर्म को लेकर सेनेटरी पेड के लिए काम करने लगी। इसी दिशा में काम करते हुए ‘स्त्री स्वाभिमान’ अभियान के तहत वो अब तक राजसमंद जिले में ही 1 लाख से ज्यादा महिलाओं को निशुल्क सेनेटरी पेड बांट चुकी है। साथ ही मासिक धर्म पर अब तक 500 से अधिक वर्कशॉप कर चुकी है। पीरियड पाठशाला अभियान के तहत वो नरेगा कार्य स्थल पर महिलाओं को तो जागरूक करती ही है, साथ ही स्कूलों में भी बालिकाओं को मासिक धर्म की जानकारी देती है। भावना का मानना है कि बच्चियों को 11 से 12 साल की उम्र में मासिक धर्म की जानकारी दे देनी चाहिए, जिससे उस वक्त वो घबराए नहीं।

भावना पालीवाल को कई सम्मान भी मिल चुके है, इसी के तहत वर्ष 2022 में विप्र फाउंडेशन नाथद्वारा की ओर से तेजस्विनी महिला सम्मान भी दिया गया।

भावना पालीवाल को कई सम्मान भी मिल चुके है, इसी के तहत वर्ष 2022 में विप्र फाउंडेशन नाथद्वारा की ओर से तेजस्विनी महिला सम्मान भी दिया गया।

मिल चुके कई सम्मान
भावना के उत्कृष्ठ कार्य की सराहना न केवल जिला स्तर पर की गई, बल्कि उनके काम की तारीफ प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर हो चुकी है। भावना के कार्यों को देखते हुए 2019 में भारत सरकार ने राजस्थान की पहली डिजिटल वैन उनको प्रदान की। वोडाफोन इंडिया फाउंडेशन द्वारा देश की वुमेन ऑफ वंडर का ख़िताब 2021 में मिला। इंटरनेशनल यूथ सोसाइटी द्वारा राष्ट्रीय महिला गौरव अवार्ड 2017 में मिला। इसके अलावा भावना ने 40 से अधिक पंचायतों से 100 महिलाओं का मंडल बनाकर उन्हें सामाजिक कार्यों और महिला सशक्तिकरण के लिए प्रेरित किया है। भावना की इस मुहिम में उनके पति महेश पालीवाल का भी पूरा सहयोग रहा है।

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