अंग्रेजों ने बसाया था भारत का पहला आर्मी कैंट, अब 260 साल बाद होने जा रहा है ये बड़ा बदलाव
Army Cantonment History: इस वक्त देश में 62 कैंटोनमेंट बोर्ड हैं, जिन्हें भंग करने का फैसला लिया जा रहा है. 260 साल पहले भारत का पहला आर्मी कैंट बसाया गया था. अब अंग्रेजों के समय में शुरू हुआ कैंटोनमेंट सिस्टम देश में हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा.
REPORT BY SAHIL PATHAN
केंद्र सरकार ने देश में सभी 62 सेना छावनी (Army Cantonment) बोर्डों को भंग करने का फैसला किया है. इस फैसले से अंग्रेजों के समय में शुरू हुआ कैंटोनमेंट सिस्टम देश में हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा. इतना ही नहीं बल्कि छावनी के तहत आने वाले सभी सिविलियन एरिया को लोकल म्युनिसिपल बॉडी को सौंप दिया जाएगा. जबकि छावनी में जो सैन्य क्षेत्र होंगे उन्हें मिलिट्री स्टेशन में बदल दिया जाएगा. इस वक्त देश में 62 कैंटोनमेंट बोर्ड हैं, जिन्हें खत्म करने का फैसला लिया जा रहा है.
क्या है पूरा प्लान?
शुरुआत में कैंटोनमेंट बोर्ड को भंग करने की कवायद हिमाचल प्रदेश की योल कैंट से शुरू होगी. इस छावनी को जल्द ही मिलिट्री स्टेशन में बदल दिया जाएगा और दूसरी छावनी धीरे-धीरे बनाई जाएगी. ये फैसला भारत में ब्रिटिश शासन द्वारा शुरू किए कैंटोनमेंट बोर्ड सिस्टम को खत्म करने के लिए किया जा रहा है. इसके तहत जो क्षेत्र मिलिट्री के नियंत्रण में रह गए हैं, उन्हें मिलिट्री स्टेशन में बदल दिया जाएगा और जो सिविलियन क्षेत्र हैं उन्हें नगर निकायों को सौंप दिया जाएगा.
करीब 260 साल पुराना है देश में कैंटोनमेंट का इतिहास
दरअसल, किसी भी देश में उसकी सेना अहम योगदान होता. पुराने समय में भी बड़े राजवाड़ों के पास अपने-अपने सैन्य संगठन हुआ करते थे. और जिन जगहों पर ये सैनिक अपनी तैयारियां करते थे या जहां ये रहते थे उन जगहों को छावनी/कैंटोनमेंट या कैंट के रूप में जाना जाता था. यही सिस्टम अभी तक चलता चला आ रहा है. जब अंग्रेज भारत आए तो वे अपने साथ इस कैंटोनमेंट सिस्टम को लेकर आए. उन्होंने यहां पर छावनियों का निर्माण करना शुरू किया. करीब 260 साल पहले देश में पहली छावनी बनाई गई. वर्तमान में देश में 62 कैंटोनमेंट क्षेत्र हैं. 62 कैंट में 6 ऐसी जगह हैं जो देश की आजादी के बाद बनाए गए. 30 जून 2011 तक डिफेंस लैंड लगभग 17.53 लाख एकड़ है.
प्लासी की लड़ाई के बाद बनाई गई छावनियां
नवाब सिराज उल-दौला के खिलाफ 1757 में प्लासी की लड़ाई के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के अलग-अलग हिस्सों में छावनियों की स्थापना की. पहली छावनी 1765 में कलकत्ता के पास बैरकपुर में बनाई गई. सभी को ये कहा गया कि इन कैंटोनमेंट इलाकों में किसी भी ऐसी व्यक्ति को घर नहीं दिया जाएगा जिसका ताल्लुक आर्मी से नहीं है. इस नियम को और सख्त बनाने के लिए अंग्रेजों ने 1889 में कैंटोनमेंट एक्ट लागू किया. बैरकपुर में 1765 में देश का पहला कैंटोनमेंट एरिया बनाया गया. इसके बाद, जैसे-जैसे सैन्य आवश्यकताएं बदलीं, और नई छावनियां स्थापित हुईं, वैसे-वैसे कुछ नियमों में भी बदलाव होते गए.
धीरे-धीरे इन कैंटोनमेंट में रहने लगे लोग
हालांकि, आज के दिखने वाले कैंटोनमेंट एरिया पहले ऐसे नहीं थे. शुरुआत में सैनिक केवल इन छावनियों में अपनी सैन्य तैयारियां किया करते थे. लेकिन धीरे-धीरे और सुविधाएं दी जाने लगी- जैसे हॉस्पिटल आदि. इतना ही नहीं बाद में इंफ्रास्ट्रक्चर पर पैसे खर्च किए गए. ब्रिटिश इंडिया कंपनी ने उस छावनी वाली जमीन पर मकान/बंगला/दुकान बनाने की अनुमति दी. इस तरह 19वीं शताब्दी के मध्य तक लोग इन छावनियों में अच्छे से रहने लगे. सड़कों, सैनिक लाइनों, बंगलों, सार्वजनिक भवनों, खरीदारी क्षेत्रों आदि के लिए भी लेआउट बनाया गया.
अपने आप में एक छोटी दुनिया है कैंटोनमेंट एरिया
दरअसल, कैंटोनमेंट इलाके अपने आप में एक छोटी दुनिया होती है. जहां, छोटी-मोटी सब्जी की दुकानों से लेकर पार्लर, खाने-पीने की जगह, कपड़े खरीदने की जगह, बच्चों के खेलने के पार्क, स्कूल आदि होते हैं. सैनिकों के परिवारों को एक ही जगह पर सबकुछ मिल जाए इसके लिए सारी सुविधाएं कैंटोनमेंट एरिया में होती है.
Add Comment