Report By Dr Mudita Popli
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बिगड़ चुकी है हालात इतने विकट है कि देश में खाने-पीने की अन्य चीजों के दाम भी आसमान छू रहे हैं. सशस्त्र गार्ड गेहूं और आटा ले जा रहे ट्रकों को अनियंत्रित भीड़ से बचा रहे हैं।
कराची में आटा 140 रुपये प्रति किलोग्राम से 160 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है. इस्लामाबाद और पेशावर में 10 किलो आटे का बैग 1,500 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जा रहा है, जबकि 20 किलोग्राम का आटा 2,800 रुपये में बेचा जा रहा है. पंजाब प्रांत में मिल मालिकों ने आटे की कीमत 160 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी है.
यानि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह मुहाने पर आ गई है ऐसी स्थिति में सवाल यह है कि इस बार पाकिस्तान को पहले की तरह सऊदी अरब संयुक्त अरब अमीरात और चीन जैसे मित्र देश सहायता क्यों नहीं दे रहे हैं?हाल ही में पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह के एक बयान ने इसी बहस से जुड़े एक और सवाल को जन्म दे दिया है कि क्या मित्र देश आईएमएफ़ की वजह से पाकिस्तान की मदद करने से हिचक रहे हैं? आईएमएफ यानि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो वैश्विक आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देता है, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करता है और गरीबी को कम करता है।संगठन वर्तमान में 190 सदस्य देशों से बना है, जिनमें से प्रत्येक का अपने वित्तीय महत्व के अनुपात में IMF के कार्यकारी बोर्ड में प्रतिनिधित्व है।
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते पाकिस्तान ने संयुक्त अरब अमीरात को एक अरब से ज़्यादा क़र्ज़ अदा किया है जिससे विदेशी मुद्रा और कम हुई है और आर्थिक चुनौतियां पहले से ज़्यादा बढ़ती दिख रही हैं।
इस क़र्ज़ की अदायगी के बाद पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार ख़तरनाक स्तर तक कम हो गया, जिसके बाद उसके बदहाल होने की बात फिर से ज़ोर पकड़ने लगी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस समय पाकिस्तान के पास पाँच अरब डॉलर से कम का भंडार है, जिससे केवल तीन सप्ताह के आयात के लिए भुगतान किया जा सकता है और अगर जल्दी ही बाहरी सहायता या क़र्ज़ नहीं मिला, तो ऐसी स्थिति में देश के डिफ़ॉल्टर होने का ख़तरा बढ़ सकता है।
विदेशी मुद्रा बढ़ाने के लिए पाक के वित्त मंत्री इसहाक़ डार मूल्यवान संपत्तियों को सीधे मित्र देशों को बेचने की योजना पर बात कर चुके हैं, लेकिन इस संबंध में अभी तक कोई अंतिम फ़ैसला नहीं हो सका है.
इस संबंध में सुरक्षा मामलों पर नज़र रखने वाले गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह ने पंजाब के औद्योगिक शहर फ़ैसलाबाद में कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि मित्र देशों ने हमसे कहा है कि पहले आईएमएफ़ से अपने मामले सुलझाओ और उसके बाद हमारे पास आओ।
विशेषज्ञों की मानें तो आईएमएफ़ मिशन के साथ पाकिस्तान की नौवीं समीक्षा अक्टूबर में होनी थी, लेकिन इस्लामाबाद और आईएमएफ़ के बीच एक्सचेंज रेट पॉलिसीज़, आयात पर प्रतिबंध, अतिरिक्त कर लगाने की शर्त और बिजली दरों में वृद्धि करके लगभग पांच हज़ार अरब रुपये के क़र्ज़ को चुकाने जैसे उपायों पर मतभेद पैदा होने के कारण ये बातचीत अटक गई।अर्थशास्त्रियों के अनुसार जैसे ही पाकिस्तान के आईएमएफ़ से क़र्ज़ हासिल करने के मामले तय हो जायेंगे।उधर वित्त मंत्री इसहाक़ डार ने जेनेवा सम्मेलन के मौक़े पर पाकिस्तान के लिए आईएमएफ़ मिशन प्रमुख नाथन पोर्टर से मुलाक़ात की ।पाक के वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस मुलाक़ात में जलवायु परिवर्तन के कारण क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गई।
इसी के चलते जब तक आईएमएफ से पाक अपने मुद्दे सुलझा नही लेता पाकिस्तान के आईएमएफ़ से क़र्ज़ हासिल करने के मामले तय नही होते तब तक उसके मित्र देश भी उसकी सहायता को आगे नहीं आने वाले।









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