आवाज़-हीन की आवाज और लोकतंत्र के साज तारिक फतेह की सांसों के थमने से नहीं थमेगा उनका विचार: जानें कौन और कैसे थे पाक में जन्मे पर कर्म से भारत के बेटे तारिक फतेह
REPORT BY Dr Mudita Popli
कराची में जन्मे पत्रकार तारिक फतेह के निधन ने फिर से यकायक एक बार उनके विचारों को सामने ला दिया। आज की युवा पीढ़ी शायद तारिक फतेह को बहुत अच्छे से ना जानती हो पर धर्म और देश की परिधि से परे आमजन के लिए कार्य करने वाले तारिक फतेह को भारत के मामलों की भी अच्छी जानकारी थी। इसके अलावा इस्लाम से जुड़े मुद्दों पर भी वह मुखरता के साथ अपनी राय रखने के लिए जाने जाते थे। रिपोर्टर के तौर पर करियर की शुरुआत करने वाले तारिक फतेह स्तंभकार रहे।तारिक ने 1970 में कराची सन नाम के अखबार में रिपोर्टिंग की थी। जिसके बाद उन्होंने पाकिस्तानी टीवी चैनल में खोजी पत्रकारिता की। उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा था। हालांकि, बाद में उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया और सऊदी अरब चले गए। जिसके बाद वे 1987 में कनाडा चले गए। तारिक ने कनाडा में एक राजनीतिक कार्यकर्ता, पत्रकार और टेलीविजन होस्ट के रूप में काम किया है और कई किताबें लिखी हैं।हिंदुस्तान में जी टीवी के “फतेह का फतवा” से वो सुर्खियों में आए।
पेशे से पत्रकार फतेह एक शानदार अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ के रूप में भी याद किए जायेंगे। तारिक फतेह का कहना था कि दुनिया भर में जितने भी आतंकी हमले और बम धमाके हो रहे है , उसके पीछे तीन देश है पाकिस्तान सऊदी अरब और अमेरिका। ये तीन देश आतंकवाद की फंडिंग करते है । ऐसा उन का मानना था कि आप इस बात को नजरअंदाज नही कर सकते कि लादेन आतंकी से पहले एक CIA एजेंट हुआ करता था उसे रूस का प्रभाव कम करने के लिए अमेरिका ने स्थापित किया था।एक तरह से अमेरिका ने इस्लामिक जिहाद का प्रयोग रूस के विरुद्ध किया था। उन्होंने कहा कि बगदादी भी पहले एक CIA एजेंट ही था, अल जवाहिरी के आतंकी बनने से पहले CIA DIA के साथ कई सम्बन्ध थे।
भारत प्रेमी फतेह ने भारत विभाजन को गलत बताया और वे दोनों देशों की एक ही संस्कृति की बात करते थे। धार्मिक कट्टरता के खिलाफ रहे तारिक फतेह भारतीय संस्कृति के मुरीद थे और उसे ही भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश को एक साथ जोड़ने का सूत्र मानते थे। शायद इसीलिए
इस्लाम से जुड़े मुद्दों पर भी वह मुखरता के साथ अपनी राय रखने के लिए जाने जाते थे। तारिक फतेह खुद को हिन्दुस्तान का बेटा बताते थे।शायद इसलिए उनकी बेटी नताशा ने ट्वीट कर कहा कि’पंजाब के शेर, हिन्दुस्तान के बेटे, कनाडा के प्रेमी, सत्य के वक्ता और न्याय के योद्धा का निधन हो गया है।
पाक की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा था कि मोदी ने बिना एक गोली चलाए पाकिस्तान को भूखमरी की हालत पर ला दिया। महिलाओं की शिक्षा और आजादी के समर्थक फतेह समाज के लिए एक मिसाल थे। बिना डरे उन्होंने कहा कि विश्व का सारा आतंकवाद पाकिस्तान प्रायोजित कर रहा है। संयुक्त अरब अमीरात भी आइएसआइएस का सबसे बड़ा मददगार है। हिंदुत्व और हिन्दुस्तान के लिए उन्होंने कहा कि यहां तो मृत्यु के बाद भी जीवन की अवधारणा है, इसलिए लोग ईश्वर से डरते हैं। मुसलमान तो मानते हैं कि मौत के बाद जिंदगी शुरू नहीं होती तो अब करो मुकाबला कैसे करोगे?
शायद यही कारण है कि फतेह की मृत्यु पर आरएसएस ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। यह मानने में किसी को कोई गुरेज नही होना चाहिए कि बिना डर या मुरव्वत के अपनी बात कहने वाले पत्रकार फतेह सही अर्थों में राज्य रूपी ब्रह्मा का चतुर्मुख थे।

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