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ऊँट दौड़ व ऊँट सजावट प्रतियोगिता, तकनीकी प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी एवं ऊँट उद्यमी बैठक के साथ एनआरसीसी ने मनाया विश्व ऊँट दिवस

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बीकानेर। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर द्वारा आज ‘विश्व ऊँट दिवस’ समारोहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर केन्द्र द्वारा ऊँट दौड प्रतियोगिता़, ऊँट सजावट प्रतियोगिता, तकनीकी प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी एवं ऊँट उद्यमी बैठक का आयोजन किया गया जिसमें ऊँट पालकों, किसानों, उद्यमियों, विद्यार्थियों, आमजन ने शिरकत करते हुए इन गतिविधियों का लाभ/लुत्फ उठाया।
सुबह 9.00 बजे उष्ट्र खेल परिसर में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंडल रेल प्रबंधक श्री राजीव श्रीवास्तव ने प्रतियोगिता स्थल पर प्रतिभागियों का जोश व आमजन का इस प्रजाति के प्रति रुझान देखते हुए कहा कि ऊँट हमारे राजस्थान की शान है, और ऐसे आयोजनों के माध्यम से ऊँट पालकों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचता है। पर्यटन विभाग के श्री अनिल राठौड़, उप निदेशक ने अपनी बात ढोला-मारु के ऐतिहासिक प्रसंग से शुरू करते हुए इसकी याददाश्‍त की तारिफ की। केन्द्र निदेशक डॉ. आर्तबन्धू साहू ने प्रतियोगिताओं को लेकर कहा कि ऊँट पालकों की उत्साही सहभागिता पर खुशी जताते हुए भावी समय में इसे और वृहद स्तर पर आयोजित किए जाने की बात कहीं।


केन्द्र के खेल परिसर में सुबह आयोजित ऊँट सजावट प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर उष्ट्र धावक इमरान, द्वितीय रिजवान व तृतीय स्थान पर शाबिर खान रहे वहीं ऊँट दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम साजिद, द्वितीय इमरान व तृतीय मोहिद्दीन रहे। दोनों प्रतियोगितों के सभी विजेताओं को प्रमाण-पत्र व ईनाम राशि के रूप में प्रथम स्थान हेतु रूपये 10,000, द्वितीय स्थान हेतु 8,000 तथा तृतीय स्थान हेतु 5,000 दिए गए।
द्वितीय सत्र में केन्द्र द्वारा प्रदेश के उद्यमियों के साथ एक परिचर्चा में मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) टी.के.गहलोत, पूर्व प्रोफेसर एवं हैड, वेटरनरी सर्जरी एवं रेडियालॉजी विभाग, सीवीएएस,बीकानेर ने ऊँट को सस्ता परिवहन का साधन बताते हुए ऊँटों की आज भी उपयोगिता बनी हुई है, परंतु इनका संरक्षण जरूरी है, प्रो.गहलोत ने ऊँटों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए मानव स्वास्थ्य के लिए ऊँटनी के दूध को लोकप्रिय बनाने पर जोर दिया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो.(डॉ.) राजेश कुमार धूड़िया, निदेशक (प्रसार), राजुवास, बीकानेर ने ऊँट पालन के साथ समन्वित खेती की आवश्‍यकता जताई तथा एनआरसीसी द्वारा ऊँटनी के दूध आदि क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सराहना कीं। विशिष्‍ट अतिथि श्री देवांश, प्रबंधक, परियोजना प्रबंध एजेंसी, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार ने पशुपालकों व उद्यमियों के समक्ष विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी संप्रेषित करते हुए इनका भरपूर लाभ उठाने हेतु प्रोत्साहित किया।
केन्द्र निदेशक एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ आर्तबन्धु साहू ने कहा कि उद्यमी व पशुपालक लाभदायक उद्यम को चुनें तथा इस हेतु मिश्रित पशुधन खेती से लाभ की संभावना कहीं अधिक रहती है। उन्होंने कहा कि ऊँटनी के दूध में औषधीय गुणों की भरमार हैं, जहां मधुमेह, टीबी, ऑटिज्म आदि में यह कारगर है वहीं कैमल इको-टूरिज्म में भी आमदनी की प्रबल संभावनाएं विद्यमान हैं, यह प्रजाति पर्यावरण पर्यटन व संस्कृति से जुड़ी है तथा ऐसे अनेक नवाचार, ग्रामीण अंचल तक पहुंचने चाहिए ताकि ऊँटों की संख्या बढ़े व इसके पालकों के लिए जीविका निर्वाह का माध्यम बन सकें। डॉ .साहू ने उष्ट्र व्यवसाय से जुड़े विविध पहलुओं से लाभ कमाने हेतु समूह बनाने की आवश्यकता जताई।
इस अवसर पर केन्द्र एवं ऊँट से सम्बन्धित उद्यमियों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए। केन्द्र ने इस दौरान अपनी तकनीकी हस्तांतरण हेतु दो अलग-अलग उद्यमियों-रुद्र शिवम डेरी एवं एग्रो रिसर्च प्रा.लि. एवं पर्ल लेक्टो के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर कई गणमान्य जिनमें उरमूल सीमांत समिति बज्जू के श्री आर.पी. हर्ष, पर्यटन विभाग के श्री कृष्णकांत व श्री पवन शर्मा, जिला परिषद के श्री गोपाल जोशी, एसबीआई के श्री विकास कामरा, मुख्य प्रबंधक आदि मौजूद रहे। आयोजन सचिव डॉ. आर.के.सावल ने विश्‍व ऊँट दिवस पर एनआरसीसी द्वारा आयोजित गतिविधियों को सफल बनाने हेतु सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। केन्द्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पशुपालन विभाग, नई दिल्ली व भारतीय स्टैट बैंक सहयोगी रहे।

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