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एक ही एक्सरे को कई बार इस्तेमाल कर किया फर्जीवाड़ा:सिलिकोसिस सर्टिफेकेट मामला; 9 डॉक्टर, 11 मेडिकल कर्मचारी APO

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एक ही एक्सरे को कई बार इस्तेमाल कर किया फर्जीवाड़ा:सिलिकोसिस सर्टिफेकेट मामला; 9 डॉक्टर, 11 मेडिकल कर्मचारी APO

सिलिकोसिस के फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में चिकित्सा विभाग ने बड़ा एक्शन लेते हुए दौसा जिले के डॉक्टर व मेडिकल कर्मियों को एपीओ किया है। - Dainik Bhaskar

सिलिकोसिस के फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में चिकित्सा विभाग ने बड़ा एक्शन लेते हुए दौसा जिले के डॉक्टर व मेडिकल कर्मियों को एपीओ किया है।

राजस्थान चिकित्सा विभाग ने गुरुवार को फर्जी सिलिकोसिस सर्टिफिकेट मामले में आदेश जारी कर प्रदेश के जिला अस्पतालों में कार्यरत 9 डॉक्टर व 11 मेडिकल कर्मियों को एपीओ कर दिया है। इस मामले में चिकित्सा विभाग ने बताया कि दौसा समेत अन्य जिलों में सिलिकोसिस के रोगियों को अनियमित भुगतान के मामले सामने आए हैं।

इसके संबंध में प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक मेडिकल कॉलेज जयपुर की ओर से चेस्ट रेडियोग्राफर कमेटी गठित की गई थी। साथ ही जिला कलेक्टर दौसा ने भी जिला स्तरीय कमेटी गठित की थी। दौसा में फर्जी सर्टिफिकेट के मामले सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे।

दोनों कमेटियों की रिपोर्ट पेश की गई तो साफ हुआ कि फर्जी सर्टिफिकेट जारी कर सरकार के राजस्व का नुकसान किया जा रहा था। जांच में चिकित्सा अधिकारियों की ओर से मिलीभगत कर रोगियों को फर्जी तरीके से सिलिकोसिस बीमारी के कार्ड बांटे गए थे।

इसी प्रकार चिकित्सा विभाग के निदेशक सुरेश नवल ने आदेश जारी करते हुए दौसा जिला अस्पताल में कार्यरत 8 मेडिकल कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। अब पूरे मामले की जांच की जाएगी।

इन मेडिकल कर्मचारियों को निलंबित किया है, ये दौसा हॉस्पिटल के कर्मचारी हैं।

दूसरे जिलों में भी कार्रवाई

रोगियों की सिलिकोसिस रिपोर्ट को फर्जी तरीके से अप्रूवल करने में अन्य जिलों के चिकित्साकर्मियों के नाम भी सामने आए। उन्हें भी एपीओ किया गया है।

इस तरह हुई गड़बड़ी

सिलिकोसिस कार्ड नवंबर 2022 में ऑनलाइन बनना शुरू हुए। तब जिले में 10 महीने में सर्वाधिक 2755 सिलिकोसिस कार्ड बनाए गए। यह पूरा आंकड़ा प्रदेश में बनाए गए कार्ड का करीब 46 फीसदी था। दौसा में ज्यादा संख्या में कार्ड बनाने पर आंकड़ा सामने आया तो प्रदेश स्तर की टीम को इस पर शक हुआ और जांच कमेटी गठित की गई।

दौसा जिले के महुवा जिला अस्पताल के प्रभारी डॉ. दिनेश मीणा, रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सुरेश कुमार सैनी व डॉ. लोकेंद्र सिंह गुर्जर को इस तरह के मामले में निलंबित किया गया था। इसके बाद जांच में बड़े स्तर पर फर्जीवाडा सामने आने के बाद दौसा जिला चिकित्सालय भी संदेह के घेरे में आ गया।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त शासन सचिव निमिषा गुप्ता ने आरोपी डॉक्टर्स को एपीओ करने के आदेश जारी किए।

3 लाख रुपए दिए जाते हैं सिलिकोसिस कार्ड पर

साल 2019 की सिलिकोसिस नीति के तहत सिलिकोसिस कार्ड बनने पर मरीज को 3 लाख रुपए दिए जाते हैं। मरीज की मौत हो जाए तो परिवार को 2 लाख रुपए और अंतिम संस्कार के लिए 10 हजार रुपए की मदद दी जाती है। मरीज को 1500 रुपए मासिक पेंशन भी दी जाती है। इस सरकारी अनुदान का फायदा उठाने के लिए दौसा में फर्जी सिलिकोसिस सर्टिफिकेट का चक्र शुरू हुआ।

लालच में आकर इस चक्र में सरकारी हॉस्पिटलों के डॉक्टर और मेडिकल कर्मचारी भी शामिल हो गए। इस तरह सरकार को 12 करोड़ का चूना लगा दिया गया। मामला शक के घेरे में तब आया जब अधिकतर मरीज दौसा जिले से निकलने लगे। फर्जी सर्टिफिकेट को लेकर शिकायतें मिलने लगीं। जांच की गई तो सामने आया कि एक ही एक्सरे कई बार इस्तेमाल कर फर्जी सर्टिफिकेट बनाए गए।

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