एनआरसीसी बीकानेर की ओर से गांव सांवता जैसलमेर में स्वास्थ्य शिविर आयोजित
बीकानेर 23 जनवरी 2025 l भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केंद्र (एनआरसीसी), बीकानेर द्वारा अनुसूचित जाति उप योजना के तहत जैसलमेर के गांव सांवता में आज दिनांक 23 जनवरी 2025 को पशु स्वास्थ्य शिविर एवं कृषक वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम आयोजित किए गए । पशु स्वास्थ्य शिविर में 96 पशुपालक, अपने पशुओं यथा- ऊँट 425, गाय 169 , भेड़ व बकरी 590, भैंस 19, कुल 1203 (पशु) सहित पहुंचे तथा शिविर में प्रदत्त पशु स्वास्थ्य सेवाओं का भरपूर लाभ उठाया । शिविर में महिलाओं की अच्छी खासी सहभागिता देखी गई । एनआरसीसी के महत्वपूर्ण कार्यक्रम में पशुपालन विभाग जैसलमेर के अधिकारियों ने भी सक्रिय भूमिका निभाई ।
केंद्र निदेशक डॉ. समर कुमार घोरुई ने कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम में कहा कि पशुपालन व्यवसाय की दिशा में अद्यतन प्रोद्योगिकी का लाभ लेने हेतु पशुपालक भाइयों को जागरूक होना चाहिए ताकि वे अपने पशुधन से पर्याप्त उत्पादन के साथ भरपूर लाभ कमा सकें । उन्होंने कहा कि पशुपालन व्यवसाय को लाभदायक बनाने हेतु इसका भलीभांति प्रबंधन अत्यंत जरूरी पहलू है, इस हेतु संतुलित आहार, खनिज मिश्रण, लवण आदि का उचित मात्रा में प्रयोग किया जाना चाहिए । इससे पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रहेगा साथ ही दूध उत्पादन में वृद्धि होगी जिससे पशुपालन लाभदायक साबित हो सकेगा । डॉ.घोरुई ने पशुपालकों को पशु कल्याणार्थ केन्द्र सरकार की योजनाओं के भरपूर लाभ उठाने की भी बात कही। उन्होंने ऊँट सरंक्षण एवं विकास हेतु एनआरसीसी द्वारा अनुसंधानिक एवं जमीनी स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दीं।
एनआरसीसी द्वारा आयोजित गतिविधि में जैसलमेर जिले के फतेहगढ़ तहसील की एसडीएम सुश्री शिवा जोशी ने पशुपालकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि जब सरकार आपके हितार्थ दो कदम बढ़ा रही है तो आप भी इस हतु एक कदम जरूर उठाएं ताकि प्रदेश के पशु पालन व्यवसाय की स्थिति में अपेक्षित सुधार लाया जा सकें । इस दौरान पशुपालन विभाग जैसलमेर के संयुक्त निदेशक डॉ. उमेश वरंगटीवार ने पशुपालकों को राजस्थान सरकार की योजनाओं जैसे उष्ट्र संरक्षण योजना, मंगला पशु बीमा योजना आदि के बारे में जानकारी देते हुए इनका लाभ उठाने की बात कही।
किसानों से बातचीत के दौरान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. श्याम सुंदर चौधरी ने कहा कि बदलते परिवेश में पशुपालक भाइयों को पशुओं के जनन, प्रजनन, स्वास्थ्य, आहार पोषण, उचित रखरखाव का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए खासकर पशुओं के स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता बरतनी चाहिए ताकि वे आर्थिक नुकसान से बच सकें । एनआरसीसी के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. काशी नाथ ने कहा कि अधिकतर पशुओं में चीचड़, भूख कम लगना, पेट में कीड़े पड़ने आदि रोग देखे गए, इनके उपचार के लिए दवा दी गई । साथ ही सर्रा व खुजली रोग की रोकथाम हेतु टीकाकरण भी किया गया । वहीं फील्ड से पशुओं के रक्त व मींगणी के नमूने जांच हेतु लिए गए ।
श्री सुमेर सिंह, अध्यक्ष, देगराय संरक्षण समिति, जैसलमेर ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम आयोजित होने से पशुपालकों को अधिकाधिक लाभ मिल सकेगा । इस अवसर पर पशुपालकों के पंजीयन, पशुओं के उपचार, दवा व करभ पशु आहार, खनिज मिश्रण व साल्ट लिक आदि के वितरण में केन्द्र के श्री मनजीत सिंह, सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी, श्री अमित कुमार तथा जैसलमेर पशुपालन विभाग के पशुधन सहायकों ने सक्रिय रूप से सहयोग प्रदान किया ।
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