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एनआरसीसी में रोगाणुरोधी प्रतिरोध और दवा अवशेषों संबंधी समस्‍याओं के समाधान पर 10 दिवसीय पाठ्यक्रम शुरू

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बीकानेर । भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्‍द्र (एनआरसीसी) में ‘खाद्य श्रृंखला में रोगाणुरोधी प्रतिरोध और दवा अवशेषों की समस्‍या को कम करने के लिए पशुधन रोगों के प्रबंधन के लिए आणविक दृष्टिकोण’’ विषयक आईसीएआर प्रायोजित 10 दिवसीय लघु पाठ्यक्रम (11-21 फरवरी) का आज शुभारम्‍भ हुआ । इस लघु पाठ्यक्रम में देश के विभिन्‍न राज्यों यथा- राजस्‍थान,गुजरात,आंध्रप्रदेश, मध्‍यप्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु के 25 महिला व पुरुष अनुसंधानकर्त्ता तथा विभिन्‍न विषय-विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं।
पाठ्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. हेमंत दाधीच, प्रति कुलपति एवं निदेशक प्रसार शिक्षा, राजुवास, बीकानेर ने कहा कि भारत में एंटीबायोटिक का बहुत ज्‍यादा इस्‍तेमाल किया जाता है, जिसके कारण अन्‍य दवा प्रभावी नहीं हो पाती वहीं हमारा किसान जो कि अधिकतर अशिक्षित है, ऐसे में खाद्य श्रंखला में रोगाणुरोधी प्रतिरोध और दवा अवशेषों की समस्‍या को कम करने के लिए पशु चिकित्‍सा संबद्ध विशेषज्ञों को महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी होगी । उन्‍होंने ऊँट को एक विशिष्‍ट प्रजाति बताते हुए आगे कहा कि पशुधन रोगों के प्रबंधन के लिए आणविक दृष्टिकोण विकसित किया जाना होगा तथा विद्यार्थियों आदि के माध्‍यम से इसे फील्‍ड तक पहुंचाए ।

इस दौरान केन्द्र के निदेशक एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ.समर कुमार घोरुई ने इस 10 दिवसीय पाठ्यक्रम को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध और दवा अवशेषों की समस्‍या तथा आणविक व जैविक पहलुओं के विकास संबंधी अद्यतित जानकारी का संप्रेषण कर इस हेतु नीतिगत ज्ञान की ओर आगे बढ़ना होगा । उन्‍होंने आशा जताई कि इस पाठ्यक्रम से प्रशिक्षणार्थी, विषयगत व्याख्यानों के माध्यम से प्राप्त ज्ञान द्वारा अपने कार्यक्षेत्र में और अधिक बेहतर कर सकेंगे।

उद्घाटन कार्यक्रम में विशिष्‍ट अतिथि के रूप में पधारे डॉ.आर.के.सावल, पूर्व निदेशक, एनआरसीसी ने विषयगत पाठ्यक्रम को ज्‍वलंत बताते हुए दवा अवशेषों की वैश्विक स्थिति के बारे में जानकारी दी तथा कहा कि हमें निश्चित रूप से ऐसी श्रंखला बनाने की आवश्‍यकता है जो पशुधन तथा मानव स्‍वास्‍थ्‍य में रोगाणुरोधी प्रतिरोध और दवा अवशेषों की समस्‍या को कम करने की दिशा में काम कर सकें ।

पाठ्यक्रम संयोजक डॉ.राकेश रंजन, प्रधान वैज्ञानिक ने जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा प्रायोजित ‘खाद्य श्रंखला में रोगाणुरोधी प्रतिरोध और दवा अवशेषों की समस्‍या को कम करने के लिए पशुधन रोगों के प्रबंधन के लिए आणविक दृष्टिकोण’’ पाठ्यक्रम के तहत प्रशिक्षणार्थियों को पशुधन तथा उसके उत्‍पादन एवं इससे मानव स्‍वास्‍थ्‍य के प्रभावित होने के प्रति जागरूक कर नया कौशल विकसित करना है ।
इस उद्घाटन कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बीकानेर स्थित के प्रभागाध्‍यक्ष यथा- डॉ.राम अवतार लेघा, सीएसडब्‍ल्‍युआरआई, डॉ. नरेन्‍द्र कुमार, मूंगफली अनुसन्‍धान निदेशालय, डॉ.नवरतन पंवार, काजरी एवं डॉ.सुधीर कुमार, भारतीय दलहन अनुसन्‍धान संस्‍थान आदि ने भी शिरकत कीं । कार्यक्रम का संचालन पाठ्यक्रम सह-समन्वयक डॉ. स्‍वागतिका प्रियदर्शिनी, वैज्ञानिक द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा डॉ.सागर अशोक खुलापे, वरिष्‍ठ वैज्ञानिक द्वारा तैयार की गई एवं धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. श्‍याम सुंदर चौधरी, वैज्ञानिक ने दिया ।

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