
बीकानेर। होली के पश्चात कन्याओं की बाली गवर के पश्चात बारहमासा गवर की धुम मच जाती है और इसी में सबसे ज्यादा विख्यात गवर है आलू जी छंगाणी की गवर,जो गुड्डा नाम से भी प्रसिद्ध है जिसका मेला बारह गुवाड़ चौक में लगता है।
आलू जी छंगाणी की गुड्डा गवर के बारे में बतलाते हुवे उनके वंशज ईश्वरदास छंगाणी कहते है कि ये गवर हमारे पूर्वज आलू जी छंगाणी ने संत कृपा में मिले निर्देश अनुसार मिट्टी कुट्टी से हाथ से निर्मित की और कहते है इसका उन्हे पूर्ण आशीर्वाद मिला और उनकी वंश बेल खूब फैली,तब से ही उन्होंने सभी के दर्शनार्थ रखना शुरू किया,कहते है *जिनकी शादी नही होती, बच्चा नही होता वंश वृद्धि नही होती सभी इनके आगे अपनी मन्नत रखते है और वो पूर्ण भी होती है।
बच्चे की मन्नत पूर्ण करने के कारण इसे गुड्डा गवर के नाम से भी प्रसिद्धि मिली
उन्होंने बताया जहा सभी गवरे राजदरबार में खोल भराई हेतु एवम पानी पीने हेतु चोतेना कुआ जाती रही है,मगर ये कभी बारहगुवाड़ से बाहर नही निकली वहा से पानी यही ला कर पिलाया जाता है
इस बार मेले की तैयारी एवम श्रृंगार के बारे में बताते राधे शिवजी छंगाणी ने बताया कि इस बार का श्रृंगार अपने आप में विशिष्ट एवम अलग होगा तथा मेला आज और कल दो दिन तक शिव मंदिर की छत्रछाया में ही लगेगा।
मेले में रात्री बारह बजे महा आरती होगी, ऐसा कहा जाता है की इस समय मन्नत रखने वालो की मुराद अवश्य पूर्ण होती है।







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