जयपुर
राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? ये वो सवाल है जो राजस्थान का हर मतदाता पूछ रहा है। सबके पास इस सवाल के अपने-अपने जवाब भी हैं और तर्क भी। मुख्यमंत्री को लेकर बढ़ रही उत्सुकता के बीच भास्कर ने फलोदी और शेखावाटी सट्टा बाजार की टोह ली और जानने की कोशिश की कि वहां किसका दावा सबसे मजबूत है।
बातचीत में सामने आया कि जयपुर से दिल्ली तक बीजेपी की बैठकों, बाड़ेबंदी की खबरों और बयानों से सीएम पद के दावेदारों के भाव हर दिन बदल रहे हैं। 8 दिसंबर से पहले दूसरे नंबर पर चल रही वसुंधरा अब सबसे कम भाव के साथ प्रमुख दावेदार बन गई हैं, दोनों सट्टा बाजारों में अश्विन वैष्णव दूसरे नंबर पर हैं।
उनसे पहले इस पॉजिशन पर ओम बिड़ला थे, लेकिन 10 दिसंबर को आए ताजा अपडेट में वे चौथे नंबर पर चले गए हैं। शेखावाटी सट्टा बाजार में तो राजेंद्र राठौड़ और सतीश पूनिया भी रेस में बताए जा रहे हैं।
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वसुंधरा राजे के जयपुर स्थित आवास पर रविवार (10 दिसंबर) को जुटे समर्थक, इसे शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।
रिजल्ट आया तब मेघवाल थे नंबर 1 दावेदार
राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 115 सीटें जीत कर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया। 3 दिसंबर को रिजल्ट आते ही फलोदी सट्टा मार्केट ने अर्जुनराम मेघवाल को सीएम का सबसे प्रमुख दावेदार माना। सट्टा बाजार में जिसका सबसे कम भाव होता है, वही नंबर-1 माना जाता है। उस समय सबसे कम भाव अर्जुनराम मेघवाल के थे।
अगले ही दिन जब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के घर विधायकों का जमावड़ा हुआ तो फलोदी सट्टा मार्केट में सीएम दावेदार के भाव बदल गए। अब वसुंधरा राजे सबसे कम भाव के साथ सीएम की प्रबल दावेदार थीं।
पिछले 10 दिनों में रोज सीएम दावेदार के भाव बदले हैं। वसुंधरा राजे, बालकनाथ, अश्विनी वैष्णव, ओम बिड़ला और अर्जुनराम मेघवाल पिछले 3 दिन से टॉप पांच दावेदारों में बने हुए हैं।
सट्टा मार्केट में हर दिन बदल रहा है सीएम फेस
वसुंधरा राजे : विधायकों का समर्थन
राजस्थान में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलते ही जब सीएम के नाम की चर्चा होने लगी तो हर जगह यही चर्चा थी कि मोदी की पसंद का नाम ही सीएम बनेगा। मोदी और शाह से वसुंधरा की तल्खियों से माना जा रहा था कि शायद इस बार वसुंधरा सीएम नहीं बनेंगी। लेकिन राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे के घर जब 40 से ज्यादा विधायक मिलने पहुंचे तो परसेप्शन बना कि आज भी उनके पास विधायकों का समर्थन है।
अभी क्या भाव : सट्टा बजार में अभी सबसे कम भाव 1.25 रुपए वसुंधरा राजे के हैं। सटोरियों की भाषा में सबसे ज्यादा दांव राजे पर ही खेला जा रहा है।
अश्विनी वैष्णव : सरकार और ब्यूरोक्रेट प्रबंधन में सबसे बेस्ट
ओडिशा कैडर के IAS अधिकारी रहे अश्विनी वैष्णव मूल रूप से पाली जिले के रहने वाले हैं।
राजस्थान के पाली जिले के जीवनंद कलां गांव में अश्विनी वैष्णव का जन्म 18 जुलाई 1970 को हुआ। यूपीएससी में 27वीं रैंक, आईआईटी से एमटेक, अमेरिका से एमबीए, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सचिव रहे अश्विनी वैष्णव की प्रोफाइल मजबूत है।
इसी प्रोफाइल के कारण उन्हें केंद्र में सबसे अहम माना जाने वाला रेल मंत्रालय सौंपा गया। मोदी और शाह के करीबी होने के साथ अश्विनी सरकार और ब्यूरोक्रेट में प्रबंधन के लिए सीएम की रेस में प्रबल दावेदार हैं।
अभी क्या भाव : 10 दिसंबर को सबसे कम 1.50 रुपए भाव के साथ अश्विनी वैष्णव सबसे प्रबल दावेदारों में दूसरे नंबर माने जा रहे हैं।
महंत बालकनाथ : हिंदुत्व फैक्टर सबसे मजबूत पक्ष
महंत बालकनाथ का जन्म अलवर जिले के कोहराना गांव में 16 अप्रैल 1984 को हुआ। किसान परिवार में पले-बढे़ बालकनाथ ने महज 6 साल की उम्र में संन्यास अपना लिया। बाबा खेतानाथ ने उनका नाम गुरुमुख भी रखा था। बचपन में मत्स्येंद्र महाराज आश्रम और बाद में नाथावाली थेरी गांव के मठ में रहे। महंत चांदनाथ ने उन्हें नाथ सम्प्रदाय का 8वां मुख्य महंत बनाया।
बालकनाथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं। अलवर से सांसद रहे बालकनाथ ने तिजारा सीट से विधानसभा चुनाव जीता। अटकलें हैं कि यूपी की तरह राजस्थान में महंत बालकनाथ को सीएम बनाकर बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए हिंदुत्व कार्ड खेल सकती है।
अभी क्या भाव : महंत बालकनाथ 1.75 रुपए भाव के साथ सीएम बनने की रेस में तीसरे नंबर पर चल रहे हैं।
ओम बिड़ला लगातार 2 बार से कोटा लोकसभा सीट से सांसद जीते हैं। वे पीएम के करीबी माने जाते हैं।
ओम बिड़ला : मोदी के करीबी, विधायकों में निर्विरोध
ओम बिड़ला का जन्म कोटा में 4 दिसंबर 1962 को हुआ था। कोटा से तीन बार विधायक रहे बिड़ला संगठन में बड़े पदों पर रहे। वे बीजेपी के युवा मोर्चा के प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वर्ष 2014 में संसद सदस्य बनने के बाद मोदी ने चुनाव प्रस्ताव लाकर उन्हें वर्ष 2019 में लोकसभा अध्यक्ष बनाया। मोदी के करीबी होने के साथ सीएम के नाम पर उनका विधायकों में विरोध भी नहीं होगा।
अभी क्या भाव : सट्टा बाजार में 2.25 रुपए के भाव के साथ ओम बिड़ला चौथे नंबर पर हैं।
केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल : दलित फैक्टर, प्रशासनिक कार्यों का अनुभव
बीकानेर के किस्मीदेसर गांव में 20 दिसंबर 1953 को अर्जुनराम मेघवाल का जन्म हुआ। आरएएस अधिकारी रहते समय वे कई बार सरकार में ओएसडी के पद पर भी रहे। उन्हें सरकार चलाने और प्रशासनिक कार्य दोनों की समझ है। मोदी और शाह के करीबी होने के कारण उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया। लोकसभा चुनाव से पहले अर्जुनराम मेघवाल को भाजपा पहला दलित सीएम बना सकती है। क्योंकि राजस्थान में 18 प्रतिशत दलित वोट बैंक है।
अभी क्या भाव : सीएम के दावेदारों में 2.50 रुपए भाव के साथ अर्जुनराम मेघवाल पांचवें स्थान पर हैं।
दीया कुमारी ने जयपुर जिले की विद्याधरनगर सीट से रिकॉर्ड मतों के साथ जीत दर्ज की है। उन्होंने सांसद से इस्तीफा भी दे दिया है।
दीया कुमारी : वसुंधरा का विकल्प मान रहे लोग
जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य दीया कुमारी का जन्म 30 जनवरी 1971 को हुआ। राजसमंद से लोकसभा सांसद रहीं दीया कुमारी ने इस बार विद्याधर नगर विधानसभा सीट से चुनाव जीता। बीजेपी अगर इस बार महिला कार्ड खेलती है तो दीया कुमारी भी सीएम के लिए एक विकल्प हो सकती हैं। इसके अलावा एक जनरल परसेप्शन ये भी है कि वे वसुंधरा का रिप्लेसमेंट हो सकती हैं, क्योंकि दोनों ही पूर्व राजपरिवार से हैं और महिला हैं। केंद्र सरकार महिला आरक्षण बिल लाई और भाजपा आलाकमान की ओर से महिला वर्ग को तवज्जो देने का मैसेज देने के लिए दीया कुमारी को भी सीएम बनाने की दिशा में सोचा जा सकता है।
अभी क्या भाव : सीएम की रेस में दीया कुमारी 4 रुपए के भाव के साथ छठे स्थान पर हैं।
गजेंद्र सिंह शेखावत पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं।
गजेंद्र सिंह शेखावत : मोदी के करीबी, राजस्थान को समझते हैं
गजेंद्र सिंह शेखावत का जन्म जैसलमेर में 3 अक्टूबर 1967 को हुआ। शेखावत ने 1992 में जेएनवीयू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष पद पर पहला चुनाव लड़ा और जीता था। लोकसभा चुनाव में उन्होंने कार्यवाहक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को हराया था। राजनीति में उनकी पकड़ और मोदी के करीबी होने के कारण उन्हें सीएम की रेस में माना जा रहा है।
अभी क्या भाव है : उनके सीएम बनने के भाव 4.50 रुपए हैं और इस रेस में सातवें नंबर पर माने जा रहे हैं।
ओम माथुर : छत्तीसगढ़ में जीत का क्रेडिट, मोदी के करीबी
राजस्थान के पाली जिले की बाली तहसील के फलाना के पास बेडल गांव रहने वाले ओम प्रकाश माथुर का जन्म 2 जनवरी 1952 को हुआ था। राजस्थान की राजनीति की तैयारी उन्हें पूर्व उप राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने करवाई थी। संघ से आते हैं। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब मोदी के काफी करीबी रहे। छत्तीसगढ़ में बीजेपी के चुनाव जीतने की संभावना काफी कम थी। ऐसे में जीत के बाद उनका कद बढ़ा है।
अभी क्या भाव हैं : ओम माथुर के सीएम बनने के भाव 5 रुपए हैं, सट्टा बजार में उनकी दावेदारी 8वें नंबर पर मानी जा रही है।
ओम माथुर ने हाल ही में छत्तीसगढ़ में चुनावी कैंपेन संभाला था।
महंत प्रतापपुरी : बालकनाथ के बाद संत के रूप में दूसरा नाम
महंत प्रतापपुरी का जन्म बाड़मेर के लीलसर गांव में 14 अप्रैल 1964 को हुआ। महंत प्रतापपुरी तारातारा मठ के प्रमुख हैं। वर्ष 2018 में पोकरण सीट से अपना पहला चुनाव महज 800 वोटों से कांग्रेस के सालेह मोहम्मद से हार गए थे। इस बार उन्होंने सालेह मोहम्मद को 35 हजार वोटों से हराया। सीएम फेस के लिए संत के रूप में वे बालकनाथ के बाद बीजेपी के लिए दूसरी चॉइस हो सकते हैं।
अभी क्या भाव : 10 रुपए भाव हैं, मतलब उनके सीएम बनाने की संभावना सबसे कम मानी जा रही है।
अब शेखावाटी सट्टा बाजार की हलचल जान लेते हैं
राजस्थान में सियासत पर शेखावाटी भी बड़ा सट्टा मार्केट है। मारवाड़ से इसके आंकड़े थोड़े अलग होते हैं। टॉप-10 दावेदारों में शेखावाटी में यहां राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया और किरोड़ीलाल मीणा भी रेस में बताए जा रहे हैं।
10 दिसंबर के भाव
चुनाव परिणाम से पहले ही बता दी थी भाजपा की 115 सीट आएगी
फलोदी सट्टा मार्केट के अनुमान लगभग सटीक रहते हैं। भास्कर ने विधानसभा चुनाव के रिजल्ट से पहले फलोदी सट्टा मार्केट से हार-जीत और सीटों के भाव लिए थे। तब फलोदी सट्टा मार्केट ने बीजेपी की 115 से 118 सीट और कांग्रेस की 68 से 70 सीट बताई थी। चुनाव का रिजल्ट आया तो बीजेपी ने 115 सीट और कांग्रेस ने 69 सीट जीती। मार्केट ने पहले ही कांग्रेस के मंत्री बीडी कल्ला, भंवर सिंह भाटी की हार की घोषणा कर दी थी। हालांकि बीजेपी के राजेंद्र राठौड़, सतीश पूनिया की जीत बताई गई थी, वो गलत साबित हुई।
अमेरिका चुनाव से लेकर बारिश पर भी लगता है सट्टा
फलोदी सट्टा मार्केट पहली बार तब चर्चा में आया जब इमरजेंसी में सट्टा मार्केट ने जनता दल की सरकार बनने का दावा किया और वो सच हो गया था। इसके बाद देश में चुनाव कहीं भी हो, लेकिन हर पार्टी की फलोदी के सट्टा मार्केट के एग्जिट पोल और भावों पर नजर रहती है। फलोदी में अमेरिका के चुनाव से लेकर बारिश होगी या नहीं होगी, इस पर भी सट्टे लगते हैं।
सर्वे करके तय करते हैं भाव
फलोदी सट्टा मार्केट अपना खुद का सर्वे करके ही चुनाव में हर प्रत्याशी का भाव तय करता है। सट्टे से जुडे़ लोग उन क्षेत्र में सर्वे करते हैं। वहां सरकारी कर्मचारी, लोगों से बात करने के बाद भाव तय किए जाते हैं। मार्केट के लोग ढाणी, गांव, शहर, हर क्षेत्र में अपने लोगों से लगातार संपर्क में रहकर फीडबैक लेते रहते हैं। यहां तक की अमेरिका चुनाव में भी सट्टा मार्केट वहां रहने वाले इंडियन से सर्वे करवा कर बताता है कि अमेरिका में किसकी सरकार बनेगी।
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