



मध्य भारत का सबसे बड़ा एवं अनूठा लिटरेचर फेस्टिवल राघव चंद्रा जी के नेतृत्व मे बेहद शानदार ढंग से सम्पन्न हुआ।
पद्मश्री शोभना नारायण जी और गीतिका काल्हा जी की किताब कत्थक लोक पर भोपाल लिटरेचर एंड आर्ट फेस्टिवल में काफी महत्वपूर्ण चर्चा हुई।क्षितिज की
संस्थापिका श्रीमती रंजीता सहाय अशेष ने शोभना जी और गीतिका जी से किताब के बारे में चर्चा की।सात साल की गहन अध्ययन के बाद इस किताब को लोगों के लिए लाया गया, पद्मश्री कथक गुरु शोभना जी और गीतिका जी ने बताया कि कत्थक लोक हमारे संस्कृति और परंपरा का अभिन्न अंग है। इस किताब के माध्यम से कई भार्तियां खत्म हुई ।यह परंपरा चौथी सदी से चली आ रही है ,हमारे नृत्य शास्त्र में वर्णित एवं कानता समित उपदेश में कत्थक का संपूर्ण वर्णन मिलता है।कत्थक बहुत प्रभावशाली होते थे जो समाज को भक्ति से जोड़ने का काम करते थे और नृत्य अभिनय और काव्य के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन करते थे ।अठारवीं सदी में विलियम क्रुक्स सेंसस मे इसका गलत चित्रण ने लोगों में कई भार्तियां उत्पन्न कर दी ।हमारे देश की इस अनूठी धरोहर को संभाल कर रखना ही इस किताब का उद्देश्य है। इस बहुमूल्य किताब को हमारे पाठक ऐमेज़ॉन से खरीद सकते हैं किताब का पूरा नाम है ‘कत्थक लोक टेंपल ट्रेडीशन एंड हिस्ट्री’ रंजीता जी ने अपनी कविता के माध्यम से कत्थक का वर्णन किया ‘बरसों से जो विचलित थे उनके त्याग को सम्मान मिले,
मंदिर में कत्थक और उनकी भक्ति से सियावर राम मिले,
संतों की पावन नगरी ने कथकलोक को खोया स्वाभिमान मिले,
सदियों से चलती आई परंपरा को फिर वही गर्व और ना मिले।









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