राजस्थान सरकार IAS-RAS को देगी चीफ मिनिस्टर एक्सीलेंसी अवार्ड:देश में पहली बार ऐसी पहल; डॉक्टर, शिक्षक और इंजीनियर्स को भी मिलेगा सम्मान
देश में राजस्थान पहला राज्य बनने वाला है, जहां बेहतरीन कार्य करने वाले सरकारी अफसरों-कार्मिकों को मुख्यमंत्री एक्सीलेंसी अवार्ड दिया जाएगा। इस अवार्ड की शुरुआत आईएएस काडर से होगी और चरणबद्ध तरीके से सामान्य पदों के कार्मिकों तक यह अवार्ड दिए जाएंगे।
अभी राजस्थान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे किसी अधिकारी-कर्मचारी के शानदार काम करने पर उसे पुरस्कृत किया जाता हो। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने गत दिनों एक सम्पूर्ण प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री गहलोत को भिजवाया है, जिसे गहलोत ने प्रशासनिक मंजूरी दे दी है।
इस प्रस्ताव के तहत सबसे पहले आईएएस अफसरों का चयन किया जाएगा। उसके बाद आरएएस अफसरों का चयन होगा और फिर डॉक्टर, शिक्षक और विभिन्न विभागों में कार्यरत इंजीनियर्स का नम्बर आएगा। उसके बाद विभागों ने विभिन्न ग्रेड में कार्यरत कर्मचारियों के नाम मांगे जाएंगे।
प्रधानमंत्री अवार्डी अफसर से बनवाया प्रस्ताव…
इस अवार्ड का प्रस्ताव यूं तो सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से तैयार हुआ है, लेकिन असल में यह प्रस्ताव एक ऐसे आईएएस अफसर ने बनाया है, जो स्वयं प्राइम मिनिस्टर एक्सीलेंसी अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं। वे गहलोत के पसंदीदा अफसरों में से एक हैं और पूर्व में भी कुछ शानदार योजनाओं को गहलोत की पहल पर मूर्त रूप दे चुके हैं।
उनसे जब बातचीत की तो उन्होंने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि आम तौर पर सरकारी कर्मचारियों को तो फिर भी विभागीय स्तर पर उच्चाधिकारी सम्मानित या पुरस्कृत कर देते हैं, लेकिन जो स्वयं उच्च पदों पर कार्यरत अफसर हैं, उन्हें कौन पुरस्कृत करे। ऐसे में स्वयं मुख्यमंत्री ने यह कदम उठाया है कि चीफ मिनिस्टर एक्सीलेंसी अवार्ड नाम से एक पुरस्कार शुरू किया जाए। यह अवार्ड मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव जैसे शीर्ष आईएएस काडर के पदों से लेकर सुदूर गांव-ढाणी में कार्यरत सामान्य कर्मचारी तक को दिया जाएगा।
अवार्ड से अलग से पहचान मिलेगी
चीफ मिनिस्टर एक्सीलेंसी अवार्ड को शुरू करने के पीछे मुख्यमंत्री गहलोत की मंशा सभी सरकारी अफसरों और कार्मिकों को जनता की सेवा के लिए बेहतरीन कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है। वे चाहते हैं कि चीफ मिनिस्टर एक्सीलेंसी अवार्ड से जिन्हें सम्मानित किया जाए उनसे प्रेरणा लेकर सरकारी सेवा में कार्यरत अन्य लोग भी अच्छा काम करने के लिए आगे आ सकें। सरकारी कार्मिकों को वेतन व पदोन्नति के अतिरिक्त इस अवार्ड से अलग से पहचान मिल सकेगी। जो कार्य वे करते आ रहे हैं, जैसे पुलिस, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, शिक्षा आदि में उनकी पहचान प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर बतौर विशेषज्ञ हो सकेगी। पुरस्कृत होने वाले अफसरों की तरह काम करने के लिए अन्य सरकारी कार्मिकों में भी उत्साह जगेगा तो एक स्वस्थ प्रतियोगी माहौल सरकारी सेवाओं में भी विकसित हो सकेगा।
ओल्ड पेंशन स्कीम की तरह गेम चेंजर मान रहे गहलोत…
गहलोत ने हाल ही अपने एक बयान में कहा था कि वे जब पहली बार 1998 में मुख्यमंत्री बने थे, तब पांच साल बाद कर्मचारियों की नाराजगी के कारण 2003 में चुनाव हार गए थे। उसके बाद 2008 से 2013 और वर्तमान में उन्होंने सदा सरकारी अधिकारियों कमर्चारियों का ध्यान रखा है। हाल ही राजनीतिक अस्थिरता के दौर में भी उन्होंने कर्मचारियों के लिए डीए (महंगाई भत्ता) तुरंत जारी किया। उनके शासन काल में डीए की घोषणा लगातार केन्द्र सरकार के साथ-साथ ही होती आई है। ऐसी घोषणा केन्द्र के साथ ही करने में राजस्थान देश भर में पहले नम्बर पर है। अभी राज्य में सातवां वेतनमान लागू है, जिसकी सिफारिशें गहलोत ने ही अपने पिछले कार्यकाल (2008-13) के दौरान की थी। बजट-2022 में गहलोत ने ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से लागू की, जिसे कांग्रेस आलाकमान ने भी सराहा और विभिन्न राज्यों में उनकी इस स्कीम के बाद सरकारी कार्मिकों के बीच यह मांग उठने लगी है कि ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू किया जाए। गहलोत इस अवार्ड के प्रति भी उत्साहित हैं और वे इसे गेम चेंजर घोषणा की तरह ले रहे हैं।
7 लाख कार्मिकों के परिवारों पर है गहलोत की नजर…
राजस्थान में करीब 7 लाख सरकारी अफसर और कर्मचारी कार्यरत हैं। प्रदेश की जनसंख्या भी अनुमानित 7 करोड़ मानी जाती है। ऐसे मे सरकारी कार्मिक सम्पूर्ण जनसंख्या में एक प्रतिशत हिस्सा हैं। प्रत्येक कार्मिक के साथ उनके परिजनों की संख्या को जोड़ा जाए तो यह लगभग 35-से 50 लाख लोग होते हैं। सरकार की किसी भी रीति-नीति से सीधे तौर पर प्रभावित होते हैं। इस वर्ग में सभी जाति-समुदाय के लोग शामिल हैं। ऐसे में यह अवार्ड सरकारी कार्मिकों में एक बढ़िया मिसाल साबित होगा।
अभी है यह व्यवस्था…
वर्तमान में राजस्थान में पुलिस विभाग में गैलेन्ट्री, शिक्षक दिवस पर शिक्षकों और अन्य विभागों में भी कार्मिकों को पुरस्कृत करने की सामान्य व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त 15 अगस्त और 26 जनवरी को होने वाले राजकीय समारोहों में भी पुरस्कृत किया जाता है, लेकिन मुख्यमंत्री के स्तर पर सीधे पुरस्कृत करने की कोई व्यवस्था फिलहाल नहीं है।

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