विधा कविता
शीर्षक बेटियाँ,,.
ईश्वर का वरदान हैं बेटियाँ ।
नए सपनों की परवान हैं बेटियाँ ॥
घर परिवार ही नहीं, समाज की पहचान बन चुकी बेटियाँ I
कम ना ऑकों इन्हें, घर- आँगन की शोभा हैं बेटियाँ ॥
इनके नन्हें- नन्हें पग जब घर आँगन में पड़ते ।
सोयी किस्मत भी जाग पड़ती ॥
इनकी निश्छल हँसी से घर में बरकते ही बरसती ।
कुदरत का अनमोल तोहफा हैं बेटियाँ ॥
आज हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुकी बेटियाँ ।
ना मारों इन्हें गर्भ मे और ना ही मारो तानें
बेटी को जन्म देने पर इनकी माँ को ॥
शिक्षित होने दो इन्हें ।
सीमित ना करो इनके दायरे .चौके चूल्हों में ॥
खुलकर जीने दो इन्हे हर रिश्तों में दे बराबर का अधिकार ।
माँ की मुस्कान है बेटियाँ’, पिता का अभिमान हैं बेटियाँ ।
हर रिश्ते के साँचे में ढ़लकर घर परिवार भी निखारती है बेटियाँ॥
अपने वजूद कायम रखते हुए आज हर क्षेत्र में ,
नया मुकाम हासिल कर चुकी हैं बेटियाँ ॥
इसलिए तो कहतें हैं ईश्वर का दिया अनमोल तोहफा ,
बिन बताए हर बात समझने वाली फरिश्ता है बेटियाँ ॥
निवेदिता सिन्हा
भागलपुर (बिहार)

Add Comment