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वैज्ञानिक भेड़ पालन से बदलेगी अनुसूचित जाति के पशुपालकों की तकदीर, लूणकरणसर में कार्यशाला संपन्न

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100 पशुपालकों को मिली किट, नाबार्ड ने भी दी योजनाओं की जानकारी


बीकानेर | भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान केंद्र, मरु क्षेत्रीय परिसर, बीकानेर द्वारा लूणकरणसर में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का सफल समापन हुआ। यह कार्यशाला “वैज्ञानिक भेड़ पालन द्वारा अनुसूचित जाति के किसानों की आजीविका सुधार” विषय पर केंद्रित थी। समापन अवसर पर 100 पशुपालकों को किट भी वितरित की गई।
कार्यशाला में केंद्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शिव कुमार ने पशु उत्पादन बढ़ाने की तकनीकों पर जानकारी दी। उन्होंने टीकाकरण, आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक भेड़ पालन के फायदों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह योजना बीकानेर, हनुमानगढ़ और गंगानगर के पशुपालकों के लिए चलाई जा रही है, जिससे उनकी आजीविका में सुधार होगा।
समापन समारोह में नाबार्ड के डीडीएम रमेश कुमार तांबिया ने कहा कि पशुपालन पश्चिमी राजस्थान में आय का दूसरा सबसे बड़ा जरिया है। उन्होंने बताया कि नाबार्ड अनुसूचित जाति के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने में मदद कर रहा है।
कार्यशाला में शामिल लाभार्थी किना देवी ने बताया कि सरकार इस तरह की योजनाओं के जरिए पशुपालकों की मदद कर रही है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी। लूणकरणसर के नगर पालिका पार्षद जगदीश ने कहा कि यह योजना किसानों और पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने में कारगर सिद्ध हो रही है।
सरकार की इस पहल से पशुपालकों की आजीविका में सुधार होगा, रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और वैज्ञानिक भेड़ पालन के जरिए उत्पादन बढ़ाकर आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा।

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