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हाथ में फ्रैक्चर था, झोलाछाप से इलाज कराया, मौत:10 साल के मासूम ने दम तोड़ा; 2 दिन पहले सांस लेने में तकलीफ थी, पेट में इंफेक्शन से मौत

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हाथ में फ्रैक्चर था, झोलाछाप से इलाज कराया, मौत:10 साल के मासूम ने दम तोड़ा; 2 दिन पहले सांस लेने में तकलीफ थी, पेट में इंफेक्शन से मौत

10 दिन पहले 10 साल का मासूम स्कूल में खेलते हुए गिर गया था। परिजनों ने सरकारी अस्पताल में दिखाया तो हाथ में फ्रैक्चर निकला। परिजनों ने झोलाछाप डॉक्टर से पट्टी करवा ली। इसके 10 दिन बाद मासूम को सांस लेने में तकलीफ हुई। परिजन उसे हॉस्पिटल ले गए। तब तक बच्चा दम तोड़ चुका था। मामला पाली के पास रोहट का है।

पाली के बांगड़ हॉस्पिटल के ट्रोमा वार्ड में पड़ी मासूम की बॉडी। जिसे बाद में मॉर्च्युरी में रखवाया गया।

पाली के बांगड़ हॉस्पिटल के ट्रोमा वार्ड में पड़ी मासूम की बॉडी। जिसे बाद में मॉर्च्युरी में रखवाया गया।

स्कूल में खेलते हुए गिरा था पुरुषोत्तम

पिता भगाराम पटेल के अनुसार, मेरा बेटा रोहट की चिल्ड्रन पब्लिक स्कूल में पढ़ता है। 15 दिसंबर को जब पुरुषोत्तम घर आया तो उसने बताया कि उसे दर्द हो रहा है। पहले उसने कहा- घर के बाहर ही खेलते हुए गिर गया था। फिर कड़ाई से पूछा तो उसने बताया कि स्कूल में गिरने से उसे चोट लगी है। दर्द बहुत ज्यादा था तो उसे रोहट स्थित सरकारी अस्पताल ले गए थे। जहां पर डॉक्टर ने एक्स-रे की रिपोर्ट में लेफ्ट हाथ की कोहनी में फ्रैक्चर बताया था। हम उसे पास ही सालावास में एक डॉक्टर के पास ले गए और पट्टी करवा दी।

रिपोर्ट में उसकी कोहनी में फ्रैक्चर बताया गया था।

रिपोर्ट में उसकी कोहनी में फ्रैक्चर बताया गया था।

10 दिन बाद इंफेक्शन से हुई मौत

पिता भगाराम ने बताया- इसके बाद घर आए तो ऐसी कोई शिकायत नहीं थी कि उसे दर्द हो रहा हो या कोई तकलीफ हो। वह 2 दिन स्कूल भी गया था। इसके बाद 25 दिसम्बर की शाम उसने बताया कि उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही है। तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो हम उसे पाली में बांगड़ अस्पताल लेकर आए। इस दौरान उसकी मौत हो चुकी थी। यहां डॉक्टरों प्रारंभिक जांच में इंटरनल ब्लीडिंग से मौत होना बताया था। हम तो जिंदा बेटे को लेकर गए थे और अब उसकी लाश को लेकर जाना पड़ रहा है।

इंफेक्शन फैलने से हुई मौत

10 साल के मासूम रोहट निवासी पुरुषोत्तम की बॉडी का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को मंगलवार दोपहर को सौंपा गया। अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है- बच्चे के हाथ में सालावास में परिजनों ने झोलाछाप डॉक्टर से पट्टा बंधवाया जो ढंग से नहीं बंधा हुआ था। इसके साथ ही नीचे गिरने से बच्चे के पेट में गंभीर अंदरूनी चोट लगी। जिससे उसकी बॉडी में धीरे-धीरे इंफेक्शन फैलने लगा जो उसकी मौत का कारण बना। बता दें कि परिजन ने कोई मामला दर्ज नहीं करवाया है। मंगलवार को पुरुषोत्तम का पोस्टमॉर्टम किया गया। इसकी रिपोर्ट 2 दिन बाद आएगी।

सरकारी अस्पताल में सभी जांचें-इलाज फ्री है: विश्नोई

इस मामले में बांगड़ हॉस्पिटल के उप अधीक्षक डॉ आरके विश्नोई ने कहा- प्रदेश के सभी हॉस्पिटल में जांचें-इलाज निशुल्क है। मरीजों को चाहिए कि वे झोलाछाप डॉक्टर के पास नहीं जाकर सरकारी हॉस्पिटल में बच्चों का इलाज करवाएं। इस मामले में सामने आया कि बच्चा जब नीचे गिरा तो उसके हाथ में फैक्चर हुआ और पेट में अंदरूनी चोट लगी। परिजनों ने जिस झोलाछाप डॉक्टर के पास इलाज कराया उसे पास ना तो संसाधन होंगे ना ही मरीज के इलाज के बारे में जानकारी। ऐसे में, प्राथमिक तौर पर उसने इलाज किया होगा। अगर, परिजनों ने सरकारी हॉस्पिटल में पूरा इलाज करवाया होता तो शायद बच्चा आज जिंदा होता।

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