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1.59 अरब रुपए में छूटा बजरी-क्ले की रॉयल्टी वसूली का ठेका, जिप्सम दूसरी बार भी नो बिड रहा

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1.59 अरब रुपए में छूटा बजरी-क्ले की रॉयल्टी वसूली का ठेका, जिप्सम दूसरी बार भी नो बिड रहा

बीकानेर

विभाग को अब जिप्सम के लिए तीसरी बार निविदा जारी करनी होगी। - Dainik Bhaskar

विभाग को अब जिप्सम के लिए तीसरी बार निविदा जारी करनी होगी।

बीकानेर जिले में बजरी-क्ले की रॉयल्टी वसूली का ठेका रिकॉर्ड 1.59 अरब रुपए वा​िर्षक में दो साल के लिए हुआ है। इतनी बड़ी राशि में अब किसी भी खनिज का रॉयल्टी ठेका नहीं हुआ था। अब संबंधित फर्म की ओर से औपचारिकता पूरी करने पर खनि अभियंता की ओर से खान निदेशालय को प्रस्ताव भेजे जाएंगे। वहां से स्वीकृति मिलने पर रॉयल्टी वसूली का नया ठेका शुरू होगा। जिप्सम की रॉयल्टी वसूली का ठेका दूसरी बार भी नो बिड रहा है।

बीकानेर जिले में बजरी-कंकर, क्ले, सिलिका सेंड, मुर्रम की रॉयल्टी वसूली का ठेका दूसरी बार जारी की गई निविदा में हो गया है। बुधवार को बोली लगाई गई जो 136 करोड़ 65 लाख 5200 रुपए से शुरू हुई। सर्वाधिक बोली एक अरब 59 करोड़ 35200 रुपए लगने पर ठेका छूटा। संबंधित फर्म की ओर से 15 दिन में कागजात और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी। उसके बाद बीकानेर एमई की ओर से खान निदेशालय को प्रस्ताव भेजे जाएंगे। वहां से स्वीकृति मिलने पर रॉयल्टी वसूली शुरू होगी। जिप्सम की रॉयल्टी वसूली का ठेका दूसरी बार जारी निविदा में भी नहीं हो सका है। खान निदेशालय ने 111 करोड़ 46 लाख 30100 रुपए रिजर्व प्राइज रखी थी, लेकिन व्यवसायियों ने इसे ज्यादा मानते हुए रुचि नहीं ली। विभाग को अब जिप्सम के लिए तीसरी बार निविदा जारी करनी होगी।

67 करोड़ से अधिक पर हुआ बजरी-क्ले का रॉयल्टी ठेका

बजरी-क्ले का रॉयल्टी ठेका तेजी से बढ़कर 91.36 करोड़ से 1.59 अरब तक पहुंच गया है। वर्तमान में चल रहा ठेका 91 करोड़ 36 लाख 20700 रुपए में 19 जून, 21 से 31 मार्च, 23 तक के लिए हुआ था। 13 सितंबर, 21 को रॉयल्टी दरों में बढ़ोतरी की गई थी। इसलिए एमई ने 19 जनवरी, 22 को ठेका राशि भी बढ़ाकर 97 करोड़ 70 लाख 39703 रुपए कर दी थी। कोरोना काल में 10 जनवरी, 22 को आदेश जारी हुआ कि 10 प्रतिशत राशि में बढ़ोतरी कर ठेका अवधि एक साल बढ़ाई जा सकती है। इस ठेके को एक अप्रैल, 23 से बढ़ाकर 31 मार्च, 24 तक कर दिया गया था और राशि 10 प्रतिशत बढ़ाकर 107 करोड़ 47 लाख 43673 रुपए कर दी गई। चार सितंबर, 23 को फिर रॉयल्टी बढ़ी तो 29 सितंबर, 23 को ठेका राशि बढ़ाकर 124 करोड़ 22 लाख 77453 रुपए हो गई।

जिप्सम की रिजर्व प्राइज का आकलन गलत, इसलिए नहीं हो रहा ठेका

खनन मामलों के जानकार देवेन्द्र शेखावत धमोरा का कहना है कि विभाग ने जिप्सम के रॉयल्टी ठेके की रिजर्व प्राइज का आकलन ही गलत किया है जिससे ठेका नहीं हो रहा। खान विभाग ने एक अप्रैल, 23 से 31 मार्च, 24 तक जिप्सम निर्गमन की मात्रा में रॉयल्टी में बढ़ोतरी की नई दरों से जोड़कर और उसमें 10 प्रतिशत बढ़ाकर 111 करोड़ 46 लाख 30100 रुपए रिजर्व प्राइज तय कर दी। जबकि, निर्गमित जिप्सम की मात्रा में पुरानी रॉयल्टी दर व रॉयल्टी राशि बढ़ने की तारीख से नई रॉयल्टी दर को आधार मानकर रिजर्व प्राइज तय की जानी चाहिए थी। आंकड़ों के मुताबिक यह राशि 85 करोड़ से ज्यादा नहीं होती। नियमानुसार 10 प्रतिशत की वृद्धि भी कर दी जाती तो रिजर्व प्राइज करीब 93 करोड़ होती। विभाग ने रिजर्व प्राइज 17 करोड़ रुपए ज्यादा कर दी जिससे जिप्सम ठेका नहीं हो रहा। पुराना ठेका 31 मार्च की रात को 12 बजे खत्म हो जाएगा। उसके बाद अवैध खनन और निर्गमन बढ़ेगा, रॉयल्टी चोरी होगी।

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