REPORT BY SAHIL PATHAN
टेक कंपनी एपल ने पेगासस बनाने वाली इजरायली कंपनी NSO पर मुकदमा किया है, एपल ने कहा है कि यह कंपनी एक अरब से ज्यादा iPhone को निशाना बना रही है। एपल का कहना है कि दुनियाभर में 1.65 अरब एक्टिव एपल डिवाइसेज हैं, जिसमें से 1 अरब से ज्यादा iPhones हैं।
NSO पर पहले से भी कई मुकदमे चल रहे हैं। कंपनी का पेगासस स्पायवेयर पिछले काफी समय से भारत समेत कई देशों में विवादों में है। ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई थीं, जिसमें बताया गया था कि हजारों की संख्या में एक्टिविस्ट, जर्नलिस्ट और राजनेताओं की जासूसी इस स्पायवेयर से की गई।
NSO को ब्लैकलिस्ट कर चुका है अमेरिका
अमेरिकी प्रशासन ने कुछ हफ्ते पहले ही NSO को ब्लैकलिस्ट किया है। कंपनी पर आरोप लग रहे थे कि वह विदेशी सरकारों के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। कैलिफॉर्निया के फेडरल कोर्ट में एपल ने बयान दिया है कि अपने यूजर्स को हानि से बचाने के लिए एपल NSO ग्रुप पर स्थायी बैन चाहता है ताकि वह एपल के सॉफ्टवेयर, सर्विस और डिवाइसेज को किसी तरह इस्तेमाल न कर सके।
क्या है पेगासस स्पायवेयर
पेगासस एक स्पायवेयर है। स्पायवेयर यानी जासूसी या निगरानी के लिए इस्तेमाल होने वाला सॉफ्टवेयर। इसके जरिए किसी फोन को हैक किया जा सकता है। हैक करने के बाद उस फोन का कैमरा, माइक, मैसेजेस और कॉल्स समेत तमाम जानकारी हैकर के पास चली जाती है। इस स्पायवेयर को इजराइली कंपनी NSO ग्रुप ने बनाया है।
पेगासस को किसी भी फोन या किसी अन्य डिवाइस में रिमोटली इंस्टॉल किया जा सकता है। सिर्फ एक मिस्ड कॉल करके भी आपके फोन में पेगासस को इंस्टॉल किया जा सकता है। इनता ही नहीं, वॉट्सऐप मैसेज, टेक्स्ट मैसेज, SMS और सोशल मीडिया के जरिए भी यह आपके फोन में इंस्टॉल किया जा सकता है।
क्यों विवादों में आया NSO ग्रुप
जुलाई में न्यूज वेबसाइट theinternalnews.co ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान करीब 300 भारतीयों की जासूसी की है। इन लोगों में पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनेसमैन शामिल हैं। सरकार ने NSO कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिए इन लोगों के फोन हैक किए थे। इस रिपोर्ट के बाद सरकार ने सफाई देते हुए सभी आरोपों को निराधार बताया है।
क्या कोई तरीका है, जिससे मोबाइल में स्पायवेयर डिटेक्ट हो सके?
ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (BECIL) में साइबर सिक्योरिटी एडवाइजर निशिकांत ओझा के अनुसार इसके दो तरीके हैं-
- आपके मोबाइल अनपेक्षित व्यवहार करने लगे। तेज गरम होने लगे। मेमोरी करप्ट हो जाए। वॉट्सऐप या टेलीग्राम के मैसेज अचानक डिलीट होने लगे।
- पेगासस जैसा स्पायवेयर मॉडर्न है। इसके जैसे टूल्स को डिटेक्ट करने के लिए फोरेंसिक एनालिसिस होता है। टूलकिट से जांच की जाती है। एमनेस्टी का मोबाइल वेरिफिकेशन टूलकिट (MVT) इसे डिटेक्ट करने में मदद कर सकता है।
पेगासस काम कैसे करता है?
साइबर सिक्योरिटी रिसर्च ग्रुप सिटीजन लैब के मुताबिक, किसी डिवाइस में पेगासस को इंस्टॉल करने के लिए हैकर अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। एक तरीका ये है कि टारगेट डिवाइस पर मैसेज के जरिए एक “एक्सप्लॉइट लिंक” भेजी जाती है। जैसे ही यूजर इस लिंक पर क्लिक करता है, पेगासस अपने आप फोन में इंस्टॉल हो जाता है।
2019 में जब वॉट्सऐप के जरिए डिवाइसेस में पेगासस इंस्टॉल किया गया था, तब हैकर्स ने अलग तरीका अपनाया था। उस समय हैकर्स ने वॉट्सऐप के वीडियो कॉल फीचर में एक कमी (बग) का फायदा उठाया था। हैकर्स ने फर्जी वॉट्सऐप अकाउंट के जरिए टारगेट फोन पर वीडियो कॉल किए थे। इसी दौरान एक कोड के जरिए पेगासस को फोन में इंस्टॉल कर दिया गया था।











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