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14 वां राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सवः कला दर्शनम कैंप

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वरिष्ठों से युवाओं को मिल रहे उम्दा टिप्स

बीकानेर, 28 फरवरी। कला को आगे की पीढियों तक पहुंचाना, उसके प्रति युवाओं में रुचि जगाना और उसे अक्षुण्ण बनाए रखना मुख्य उद्ेश्य होता है हर सधे हुए कलाकार का, क्योंकि जब तक कला है, तब तक कलाकार को भी जमाना याद रखता है। उनके इस उद्ेश्य को हासिल करने में कला महोत्सवों का सबसे बड़ा योगदान है। यह कहना है यहां डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में चल रहे 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव में पेंटिंग्स के लिए आयोजित कला दर्शनम कैंप में अपने सधे हाथों से कैनवास पर अपनी आर्ट में संस्कृति के रंग उकेरते तमाम वरिष्ठ कलाकारों का। इस कैंप में जहां 75 वर्षीय कलाश्री मोहम्मद शरीफ और 63 साल के पृथ्वी सिंह अपनी अनुभवी कूंची से राजस्थानी संस्कृति के कई विषयों को विभिन्न रंगों से कैनवास पर ढाल रहे हैं, वहीं युवा आर्टिस्ट भी वरिष्ठ कलाकारों के सान्निध्य में रहकर इस विधा की बारीकियां सीखने की कोशिश कर रहे हैं। बता दें, यह कैंप केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, मंत्रालय की संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद सरभाई और वेस्ट जोन कल्चरल सेंटर की डायरेक्टर किरण सोनी गुप्ता की खास रुचि के चलते आयोजित किया जा रहा है, ताकि इस क्षेत्र के अनुभव और जोश का समन्वय हो सके।
महज 12 वर्ष की उम्र में पेंटिंग्स सीखने लगे वरिष्ठ आर्टिस्ट कलाश्री सम्मान प्राप्त मोहम्मद शरीफ कहते हैं कि जो कला राजस्थान में है, अन्यत्र कहीं नहीं। वे बताते हैं राजस्थान की कला को समृद्ध बनाना और उसको नई पीढ़ी तक पहुंचाने के प्रयास में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें चिंता थी कि कला को कैसे बचाया जाए, लेकिन अब ऐसे कला महोत्सवों के आयोजन से न सिर्फ राजस्थानी, बल्कि अन्य प्रदेशों के युवा भी हमारी कला को सीखने में रुचि ले रहे हैं।
कैंप को अपने अनुभव से लाभान्वित कर रहे 63 वर्षीय आर्टिस्ट पृथ्वी सिंह राजस्थानी संस्कृति को रियलिस्टिक रूप में कैनवास पर उकेरते हैं। उनके मुख्य विषय डेजर्ट और त्योहार होते हैं।
वरिष्ठ कलाकार योगेंद्र कुमार पुरोहित मॉडर्न आर्ट के जरिए जिंदगी और उसके पहलुओं को कैनवास पर उतारते हैं। वे बताते हैं अपनी पेंटिंग्स में वे लव एंड पीस को मुख्य रूप दर्शाते हैं। वे बताते हैं कैंप में शामिल युवा सीखने में बहुत रुचि ले रहे हैं।
युवाओं में सीखने की ललक-
अभी सिर्फ 12वीं कक्षा में पढ़ रहे बीकानेर के छात्र कृष्णा कंसारा कहते हैं कि वे अपने स्कूल की टीचर और स्थापित आर्टिस्ट हिमानी शर्मा से यह विधा सीख रहे हैं। बता दें, हिमानी भी बतौर सीनियर आर्टिस्ट इस कैंप में भाग ले रही हैं।
इस कला शिविर के प्रतिभागी जूनियर आर्टिस्ट एमए स्टूडेंट निखिल सारस्वत बताते हैं कि इस कैंप में शिरकत से सबसे बड़ा लाभ यह है कि इस विधा की नई नई स्टाइल, विषय और बारीकियां सीखने को मिल रही हैं।

एमए फाइनल की स्टूडेंट लक्ष्मी चौधरी बताती हैं कि वरिष्ठ कलाकारों के सान्निध्य में इस कैंप में बेहतरीन तरीके से अलग-अलग कलर्स के उपयोग से पेंटिंग्स बनाना सीखने का लाभ मिल रहा है।

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