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सेहतनामा- भारत दे सकता है वेटलॉस ड्रग टिरजेपेटाइड को मंजूरी:क्या इससे सचमुच घटता है वजन, दवा खाकर पतला होना कितना सही

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सेहतनामा- भारत दे सकता है वेटलॉस ड्रग टिरजेपेटाइड को मंजूरी:क्या इससे सचमुच घटता है वजन, दवा खाकर पतला होना कितना सही

कल्पना करिए कि एक व्यक्ति मोटापे से परेशान है। दोस्त और परिवार के लोग उसे ताने देते हैं। बाजार में उसके साइज के कपड़े खोजना मुश्किल हो जाता है। मोटापे के चलते कई बीमारियां घेर रही हैं। वह सोच रहा कि क्या इसकी कोई दवा नहीं हो सकती है?

दवाएं तो बहुत सी हैं, लेकिन भारत में अब तक कानूनी रूप से किसी दवा को मान्यता नहीं मिली थी। हाल ही में सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने वजन कम करने वाली दवा टिरजेपेटाइड (Tirzepatide) को हरी झंडी दिखा दी है। भारत में अप्रूव होने वाली यह पहली दवा है, जो जल्द ही बाजार में उपलब्ध हो सकती है। यह दवा वेट लॉस से जुड़े कमाल के फायदों के लिए जानी जाती है। हालांकि ऐसी सभी वेट लॉस दवाओं के साइड इफेक्ट्स को लेकर देश-दुनिया के बड़े डॉक्टर्स चिंता जता चुके हैं।

भारत मोटापे से जूझ रहे दुनिया के टॉप 5 देशों में आता है। इसलिए टिरजेपेटाइड के लिए एक बड़ा संभावित बाजार है। मेडिकल जर्नल द लैंसेट में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, भारत के शहरों में रह रहे 70% लोग या तो मोटे हैं या फिर उनका वजन सामान्य से अधिक है।

वहीं साल 2021 में भारत सरकार द्वारा किए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, भारत के करीब 23% पुरुषों और 24% महिलाओं का वजन सामान्य से अधिक है। इन आंकड़ों को देखकर यह कहा जा सकता है कि भारत मोटापे के संकट से जूझ रहा है। यह मोटापा कई जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकता है।

आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे टिरजेपेटाइड जैसी वेट लॉस दवाओं की। साथ ही जानेंगे कि-

  • टिरजेपेटाइड क्या है और यह कैसे काम करता है?
  • वेट लॉस दवाओं का बाजार इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा है?
  • दुनिया के बड़े डॉक्टरों का इस बारे में क्या कहना है?

वेट लॉस दवाओं के साइड इफेक्ट्स और वजन घटाने के सही तरीकों पर हमने एक महीने पहले एक आर्टिकल में विस्तार से चर्चा की है। इसे यहां पढ़ सकते हैं।

मोटापे से होती हैं जानलेवा बीमारियां: WHO

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, अधिक वजन नॉन कम्युनिकेबल बीमारियों का कारण बन सकता है। इससे 13 तरह के कैंसर, टाइप-2 डायबिटीज, दिल की बीमारियां और फेफड़े के इन्फेक्शन होने का भी खतरा है। हर साल पूरी दुनिया में करीब 28 लाख लोग अधिक वजन या मोटापे के कारण मौत का शिकार बन रहे हैं।

गंभीर स्थितियों में डॉक्टर वेट लॉस दवाओं की सलाह दे सकते हैं, लेकिन कई बड़ी हस्तियां सिर्फ अपने लुक्स को मेंटेन करने के लिए इन दवाओं का सेवन कर रही हैं।

दुनिया के नामी लोग ले रहे वेट लॉस दवाएं

पूरी दुनिया में मोटापा कम करने वाली दवाइयों की धूम है। विशेष रूप से अमेरिका और यूरोप में वेट लॉस के लिए ये दवाएं प्रयोग में लाई जा रही हैं। इन्हें बड़े कारोबारियों से लेकर सेलिब्रिटीज तक इस्तेमाल कर रहे हैं।

आपका सवाल हो सकता है कि इस लिस्ट में सिर्फ अमेरिकन नाम ही क्यों दिख रहे हैं। इसका जवाब यह है कि अभी वजन घटाने की दवाओं को अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में ही अनुमति मिली है। हालांकि टिरजेपेटाइड को मंजूरी मिलने के बाद अब भारत में भी ये दवा जल्द ही उपलब्ध हो सकती हैं।

टिरजेपेटाइड क्या है

टिरजेपेटाइड एक दवा है, जिसे एली लिली एंड कंपनी ने विकसित किया है। इसका उपयोग मुख्य रूप से टाइप-2 डायबिटीज के इलाज के लिए किया जाता है।

यह कंपाउंड डायबिटीज के लिए मौन्जारो और वजन घटाने के लिए जेपबाउंड ब्रांड के नाम से बेचा जाता है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में भी टिरजेपेटाइड का आयात और व्यवसाय डायबिटीज के इलाज के लिए ही किया जाएगा। इसका मोटापे पर क्या और कैसा असर होता है, इसकी अभी समीक्षा की जा रही है।

कैसे काम करता है टिरजेपेटाइड

जब हम खाना खाते हैं तो शरीर से दो हॉर्मोन ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1 (GLP-1) और ग्लूकोज-निर्भर इंसुलिनोट्रोपिक पॉलीपेप्टाइड (GIP) सक्रिय हो जाते हैं। इनके कारण इंसुलिन निकलता है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। इसके अलावा ये हमें एहसास दिलाते हैं कि हमारा पेट भरा हुआ है।

टिरजेपेटाइड इन्हीं दोनों हॉर्मोन्स की सिंथेटिक कॉपी है यानी एक तरह की नकल। इसे खाने के बाद ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन निकलता है और हमें एहसास होता है कि हमारा पेट भरा हुआ है, जिससे हमें भूख नहीं लगती है। इससे हम खाना कम खाते हैं, जो वजन कम करने में मददगार साबित होता है। इसीलिए इसे ‘वेट लॉस ड्रग’ के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

क्या टिरजेपेटाइड के कोई साइड इफेक्ट्स हैं?

वेट लॉस ड्रग टिरजेपेटाइड के कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं। ये दवाएं हमें भूख का एहसास कराने वाले हॉर्मोन्स को संतुलित करती हैं, लेकिन ये हमारे मेटाबॉलिक रेट को धीमा करके पाचन को भी धीमा कर देती हैं। अब जबकि हमारे पेट में खाना इतनी देर से पचेगा तो भोजन करने की इच्छा ही नहीं होगी। लंबे समय तक ये दवाएं खाने से मेटाबॉलिज्म बुरी तरह प्रभावित हो सकता है और खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है। इन खतरों को लेकर देश-दुनिया के डॉक्टर्स कई बार आगाह कर चुके हैं।

भारत और दुनिया के बड़े डॉक्टरों की वेट लॉस ड्रग्स के बारे में क्या राय है

दुनिया के कई बड़े डॉक्टर्स वजन कम करने के लिए ऐसी किसी दवा के पक्ष में नहीं है। प्रसिद्ध अमेरिकन डॉक्टर टीना मूर भी इसके पक्ष में नहीं हैं।

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नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) इंग्लैंड के राष्ट्रीय चिकित्सा निदेशक प्रोफेसर स्टीफन पॉविस भी इससे चिंतित दिखते हैं।

कनाडाई मूल के डॉ. जेसन फंग का पूरी दुनिया में नाम है इंटरमिटेंट फास्टिंग के विज्ञान को मुख्यधारा में लाने और पॉपुलर करने के लिए। इंसुलिन हॉर्मोन पर भी उनका लैंडमार्क काम है। डॉ. फंग वेटलॉस ड्रग्स को लेकर गंभीर चिंता जता चुके हैं। वे कहते हैं-

तेजी से फल-फूल रहा वजन बढ़ाने और घटाने का ग्लोबल बिजनेस

हमने अक्सर पढ़ा और सुना है कि हम जो चाहें वो कर सकते हैं। दुनिया की कुछ चीजें भले ही खुद-ब-खुद हो रही होती हैं। इसके बावजूद बहुत सी चीजें अपने हाथ में होती हैं। हालांकि असल सच इससे अलग है। हम जितना कुछ सोच रहे हैं, उससे भी बहुत कम चीजें और फैसले हमारे वश में हैं। दुनिया के बड़े कारोबारियों ने ज्यादातर लोगों का आधा भविष्य पहले ही लिख दिया है। वे अपने बाजार के ट्रैप में हमें फंसाते जा रहे हैं। नीचे दिए आंकड़ों पर गौर करें-

  • फॉर्च्यून बिजनेस इनसाइड की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में जंक फूड इंडस्ट्री का मार्केट साइज 862.05 अरब डॉलर का है और साल 2028 तक बढ़कर इसके 1467.04 अरब डॉलर पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
  • मार्केट रिसर्च फर्म ग्रैंड व्यू रिसर्च के मुताबिक वेट मैनेजमेंट इंडस्ट्री का ग्लोबल मार्केट साल 2022 में 142.58 अरब डॉलर का था और 2030 तक इसके 9.94% के कंपाउंड ग्रोथ रेट से बढ़ने की उम्मीद है।
  • इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के मुताबिक दुनिया की 30% आबादी या तो ओबीज है या उसका वजन सामान्य से ज्यादा है। इसका कारण भी बहुत साफ है क्योंकि लोगों की जिंदगी में शारीरिक गतिविधियां बहुत कम और जंक फूड बहुत ज्यादा है। ICMR की एक रिपोर्ट मुताबिक भारत में सिर्फ 11% लोग रेगुलर एक्सरसाइज करते हैं।
  • वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक दुनिया की 36% लाइफ स्टाइल बीमारियों की वजह मोटापा, फास्ट फूड और सिडेंटरी लाइफ स्टाइल (दिन भर सिर्फ बैठे रहना) है।

अगर इन सारे तथ्यों और आंकड़ों को सिलसिलेवार ढंग से समझें तो समझ में आएगा कि इन सारी परेशानियों की जड़ सिस्टम में है। बाजार पहले जंक फूड खिलाकर बीमारियां पैदा कर रहा है और फिर दवाइयां बनाकर उसका इलाज कर रहा है। पहले मोटापा पैदा करो और फिर दवाई खिलाकर उस मोटापे को कम करने का उपाय बताओ।

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