मंत्री रमेश मीणा के खिलाफ IAS-IPS-IFS ने खोला मोर्चा:चीफ सेक्रेटरी से बोले- ऐसे माहौल में काम करना मुश्किल, क्या होगा 1995 जैसा एक्शन?
पंचायत राज मंत्री रमेश मीणा के बीकानेर कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल को कार्यक्रम के बीच में फोन उठाने पर फटकारने का मामला अब तूल पकड़ चुका है। ऐसा पहली बार है कि आईएएस एसोसिएशन किसी मंत्री से विवाद होने पर इस तरह से लामबंद हुई है। दूसरी बार मुख्य सचिव ऊषा शर्मा से मुलाकात कर सीएम अशोक गहलोत से मंत्री मीणा के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग की है।
राजस्थान के राजनीतिक और ब्यूरोक्रेसी के इतिहास में यह पहली घटना है जब आईएएस अफसरों ने इस तरह का अल्टीमेटम दिया है। आईपीएस और आईएफएस एसोसिएशन भी समर्थन में उतर आई है। दोनों एसोसिएशन ने भी मंत्री रमेश मीणा के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने के लिए मुख्य सचिव को लेटर लिखा है।
एसोसिएशन के सचिव डॉ. समित शर्मा ने भास्कर को बताया कि अगर एक-दो दिनों में इस मामले में संतोषनजक कार्रवाई नहीं हुई तो अफसरों में रोष और बढ़ेगा। आखिर क्या वजह है कि मंत्री रमेश मीणा और बीकानेर कलेक्टर के बीच हुआ यह विवाद इतना बढ़ गया है। क्या इसका कांग्रेस में चल रही किसी गुटबाजी से भी कनेक्शन है। इसके क्या मायने निकलते हैं….
पंचायत राज मंत्री रमेश मीणा ने बीकानेर में एक कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल को हॉल से बाहर निकाल दिया था। मंत्री के इस व्यवहार को लेकर तीनों एसोसिएशन लामबंद हो गई हैं।
क्या किसी खास टारगेट को लेकर आईएएस एसोसिएशन आई हरकत में
राजस्थान में आम तौर पर कभी भी आईएएस एसोसिएशन किसी मंत्री से विवाद होने पर इस तरह से रिएक्ट नहीं करती है, जैसा इस बार हुआ है। राजनीतिक और ब्यूरोक्रेसी के हलकों में इसे लेकर गुटबाजी की चर्चाएं हो रही हैं। चूंकि मंत्री रमेश मीणा सचिन पायलट गुट के हैं तो सीएम गहलोत को खुश करने के लिए कुछ आईएएस अफसर भी इस प्रकरण को हवा दे रहे हैं। अन्यथा राजस्थान में पिछले छह महीनों में ही खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना द्वारा सीएम गहलोत के प्रमुख शासन सचिव कुलदीप रांका के पास ही सारी शक्तियां होने का आरोप लगाया गया।
चांदना ने अपना मंत्री पद छोड़ने तक की धमकी दे दी थी। हाल ही मंत्री प्रताप सिहं खाचरियावास ने एक आईएएस अफसर आशुतोष पेडनेकर द्वारा 46 लाख मैट्रिक टन गैंहू लैप्स कर देने की बात कह कर आईएएस अफसरों की एसीआर भरने का अधिकार मांगा तब भी एसोसिएशन की ओर से कोई विरोध दर्ज नहीं करवाया गया। इसके अतिरिक्त भी मंत्री बी. डी. कल्ला से सुधीर वर्मा, मंत्री महेश जोशी से सुधांश पंत का विवाद हुआ था, तब भी एसोसिएशन ने कोई विरोध नहीं किया था। सचिवालय के गलियारों में चर्चा है कि कहीं आईएएस एसोसिएशन इस बार कोई खास टारगेट लेकर तो विरोध नहीं कर रही है।
गहलोत गुट से पायलट गुट के बीच गर्मा रहा है यह मुद्दा
रमेश मीणा जब 2008 में बसपा से चुने गए थे, तब उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना समर्थन दिया था। वे गहलोत के करीबी नेताओं में गिने जाते थे। 2013 से 2018 के बीच बदली परिस्थितयों में वे तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट के नजदीक आए। वे लगातार तीसरी बार विधायक हैं और इस बार मंत्री भी बने हैं। मीणा अपने इलाके और समर्थकों के बीच मजबूत राजनेता माने जाते हैं।
वर्ष 2018 में उन्होंने दिग्गज राजनेता डॅा. किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी और पूर्व मंत्री गोलमा देवी मीणा को हराया था। वर्ष 2018 में जब वे जीते तो मंत्री बनाए गए। लेकिन जुलाई 2020 में सचिन पायलट के साथ मानेसर जाने के बाद बदले घटनाक्रम में उन्हें भी पायलट के साथ मंत्री पद से हटा दिया गया। बाद में नवंबर 2021 में फिर से मंत्री बनाए गए, जो अब तक कायम हैं। वे पायलट के नजदीक और विश्वसनीय लोगों में शामिल हैं।
पिछले 30 सालों में नहीं हुई कभी मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
राजस्थान में मंत्रियों, विधायकों, राजनेताओं से अक्सर आईएएस-आईपीएस अफसरों का टकराव होता रहा है। लेकिन पलड़ा हमेशा राजनीतिक लीडरशिप का ही भारी रहा है। मंत्री मीणा के मामले को आईएएस एसोसिएशन बहुत सख्त और आक्रामक ढंग से उठा तो रही है, लेकिन राजस्थान में पिछले 7 दशक के इतिहास में केवल एक बार ही मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई थी, जब उनसे मंत्री पद छीन लिया गया था। यह मामला 1995-96 का है जब भैंरोंसिंह शेखावत सीएम थे। तब सिंचाई मंत्री देवी सिंह भाटी ने आईएएस अफसर पी. के. देब के थप्पड़ मार दिया था। इसके अतिरिक्त राजस्थान गठन के बाद से अब तक किसी आईएएस-आईपीएस से विवाद के चलते किसी मंत्री को हटाया नहीं गया है।
राजस्थान अन्य प्रशासनिक सेवा परिषद ने डिविजनल कमिश्नर नीरज के. पवन को ज्ञापन देकर मंत्री के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की है।
क्या होगी कड़ी कार्रवाई? रिटायर्ड अफसर बोले- मुश्किल है
राज्य ब्यूरोक्रेसी के जानकार एक रिटायर्ड आईएएस अफसर और एक पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त ने भास्कर को बताया कि मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्या होगी। सीएम उन्हें माफी मांगने को कह सकते हैं, लेकिन ऐसा भी कोई वाकया कभी सामने नहीं आया है। मंत्री मीणा खेद जरूर जता सकते हैं, लेकिन इसकी भी संभावना कम ही है। राजस्थान में जिस तरह की राजनीतिक मजबूरियां सरकार पर हावी हैं, ऐसे में एक ताकतवर कम्यूनिटी से आने वाले मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होना बेहद मुश्किल है।
144 आईएएस की एसोसिएशन, जनरल बॉडी की बैठक बुलाने की तैयारी
आईएएस एसोसिएशन से जुड़े 144 आईएएस अफसरों ने एक स्वर में संकल्प पत्र जारी कर एसोसिएशन से ही मांग की है कि वो जनरल बॉडी की आपात बैठक बुलाए। अगर यह बैठक बुलाई गई तो एसोसिएशन राजस्थान में काम नहीं करने जैसा बड़ा फैसला कर सकती है। इसके लिए एसोसिएशन राष्ट्रीय स्तर पर गठित नेशनल आईएएस एसोसिएशन के सम्पर्क में भी है। अब यह मामला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी भेजा जाएगा। केन्द्रीय कार्मिक मामलात के तहत ही आईएएस अफसरों की सेवाएं व नियम तय होते हैं। ऐसे में राजस्थान एसोसिएशन मंत्री मीणा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होने पर आर-पार की लड़ाई लड़ सकती है।
सीएमओ के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका से की दखल की मांग
आईएएस एसोसिएशन ने अपने ही एक वरिष्ठ सदस्य कुलदीप रांका जो इस समय सीएमओ में प्रमुख शासन सचिव हैं, से भी मदद मांगी है। एसोसिएशन ने रांका से मुलाकात कर इस मामले में दखल देने को कहा है। रांका ने सीएम गहलोत के सामने इस मामले को पेश कर जल्द ही कोई उचित हल निकालने का आश्वासन दिया है।
आईपीएस और आईएफएस एसोसिएशन ने मुख्य सचिव उषा शर्मा को पत्र लिखकर विरोध जताया है।
सीएमओ में कुलदीप रांका से मिलने के बाद भी एसोसिएशन का यही रुख सामने आया। राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में इससे भी गंभीर मामले पहले हुए हैं, लेकिन यह पहला अवसर है जब एसोसिएशन का ऐसा कड़ा रुख सामने आया है।
आईएएस अफसर सीधे सीएम गहलोत से मिलना चाह रहे हैं
राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में आम तौर पर आईएएस अफसरों के हर मसले की पैरवी मुख्य सचिव ही करते हैं। उनका असली बॉस मुख्य सचिव ही होता है। लेकिन इस बार आईएएस एसोसिएशन सीधे खुद ही सीएम गहलोत से मिलना चाह रही है। सोमवार को जब आईएएस एसोसिएशन के 24 अफसर सीएस उषा शर्मा से मिले थे तो शर्मा ने उन्हें सीएम गहलोत के जयपुर आने तक इंतजार करने को कहा था। इसके बावजूद एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मंगलवार को फिर से सीएस शर्मा से मुलाकात की। एसोसिएशन ने सीएस शर्मा के सामने ही सीधे सीएम गहलोत से मिलने की पेशकश भी कर दी।
क्या है मामला?
पंचायत राज मंत्री रमेश मीणा ने बीकानेर में सोमवार को हुए एक कार्यक्रम के दौरान कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल को हॉल से बाहर निकाल दिया था। दरअसल, मीणा मंच से भाषण दे रहे थे। उस वक्त कलेक्टर मोबाइल फोन पर बात कर रहे थे। मीणा इससे नाराज हो गए। उन्होंने कलेक्टर से कहा कि आप यहां से जाइये। तब कलेक्टर बाहर चले गए। बाद में लोगों के बुलाने पर वापस आ गए। इस घटना का आईएएस एसोसिएशन ने कड़ा विरोध जताया है।
राजस्थान में कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जब सरकार और ब्यूरोक्रेसी आमने-सामने हो गई
ब्यूरोक्रेसी और सरकार के बीच लगातार टकराव बढ़ता जा रहा है। बीते दिनों आईएएस अधिकारियों की एसीआर रिपोर्ट भरने को लेकर भी मंत्री खाचरियावास ने मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री को आईएएस की एसीआर रिपोर्ट भरने का अधिकार भी मंत्री को देना चाहिए।
हालांकि टकराव की ये पहली या दूसरी घटना नहीं है। इससे पहले भी आईएएस अधिकारियों के साथ व्यवहार को लेकर आमने सामने की स्थिति देखने को मिली है।
देवी सिंह ने कर दी थी देव की पिटाई : भैरोंसिंह शेखावत की सरकार के दौरान एक बैठक में सिंचाई मंत्री रहे देवी सिंह भाटी ने सचिव और आईएएस अधिकारी पीके सिंह देव को थप्पड़ जड़ दिया था। उस समय लोगों का कहना था कि थप्पड़ नहीं अच्छी खासी मारपीट की थी, जिसमें देव के कपड़े तक फट गए थे। मामले के तूल पकड़ लेने के बाद भाटी को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था।
चांदना ने भी जड़ दिया था थप्पड़ : पिछले लोकसभा चुनाव से पहले खेल एवं युवा मामलों के राज्य मंत्री अशोक चांदना के थप्पड़ की गूंज हुई थी। बिजली इंजीनियरों एवं कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के दौरान एक एक्सईएन की पिटाई का ये वाकया हुआ। उन्होंने भी एक सरकारी अधिकारी को थप्पड़ जड़ दिया था और गाली-गलौज भी की। एक्सईएन जिस समाज से आते हैं, उसने भी जमकर विरोध प्रदर्शन किया। मंत्री को हटाने की मांग की गई।
गुंजल ने भी खुलेआम दे दी थी धमकी : पिछली वसुंधरा राजे सरकार के दौरान विधायक प्रह्लाद गुंजल ने कोटा सीएमएचओ को बुरी तरह धमकाया था। इसके बाद पार्टी ने कन्नी काट ली और वो पांच साल तक मंत्री नहीं बनाए गए।
विधायक ने मारा SP को थप्पड़ : सीएम गहलोत के पहले कार्यकाल (1998-2003) के बीच केकड़ी (अजमेर) से विधायक रहे बाबूलाल सिंगारिया ने तत्कालीन जिला एसपी आलोक त्रिपाठी के थप्पड़ मार दी थी। विधायक सिंगारिया के खिलाफ तब कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। वर्तमान मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ही अजमेर की कलक्टर थीं। त्रिपाठी राजस्थान काडर से रिटायर हो चुके हैं।
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