NATIONAL NEWS

वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए विश्व समुदाय से मिली कोविड -19 से जुड़ी सामग्रियों का भारत सरकार द्वारा कारगर आवंटन

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

31 राज्यों / केन्द्र – शासित प्रदेशों के 38 संस्थानों की चिकित्सा अवसंरचना को मजबूत किया गया
भारत सरकार राज्यों और केन्द्र – शासित प्रदेशों के साथ मिलकर “संपूर्ण सरकार” वाले दृष्टिकोण के माध्यम से कोविड – 19 महामारी के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रही है। देशभर में कोविड – 19 के मरीजों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। कई राज्यों और केन्द्र – शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य ढांचे को दैनिक मामलों की अत्यधिक संख्या और बढ़ते मृत्युदर ने पूरी तरह से लाचार बना दिया है।

वैश्विक कोविड – 19 महामारी के खिलाफ इस सामूहिक लड़ाई में भारत सरकार के प्रयासों में सहयोग करने के लिए विश्व समुदाय ने मदद का हाथ बढ़ाया है। कई देशों द्वारा चिकित्सा उपकरण, दवाएं, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर, वेंटिलेटर आदि प्रदान किए जा रहे हैं।

भारत द्वारा प्राप्त चिकित्सा और अन्य राहत एवं सहायता सामग्रियों के कारगर वितरण के लिए आवंटन की एक सुगम और व्यवस्थित प्रणाली अपनायी गई है।

भारतीय सीमा शुल्क विभाग ऑक्सीजन और ऑक्सीजन से संबंधित उपकरणों आदि सहित कोविड से संबंधित आयातों की उपलब्धता की जरूरत के प्रति संवेदनशील है और इन सामानों के आगमन के कुछ ही घंटों के भीतर उनके तेजी से क्लीयरेंस के लिए 24 x 7 काम कर रहा है। फास्ट ट्रैक आधार पर शीघ्र क्लीयरेंस के लिए उठाए गए कदम इस प्रकार हैं:

सीमा शुल्क प्रणाली द्वारा अन्य वस्तुओं की तुलना में इन सामानों के क्लीयरेंस को उच्च प्राथमिकता दी जाती है।
नोडल अधिकारियों को निगरानी और क्लीयरेंस के लिए ईमेल पर भी सतर्क किया जाता है।
कोविड से संबंधित आयातों के क्लीयरेंस को लंबित न होने देने के लिए भी वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निगरानी की जा रही है।
समय रहते जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यापार जगत को सहारा दिया जाता है।
आउटरीच संबंधी गतिविधियां और हेल्पडेस्क व्यापार जगत को सामानों के आते ही उनका क्लीयरेंस कराने में समर्थ बनाते हैं।
त्वरित क्लीयरेंस के अलावा,

भारतीय सीमा शुल्क विभाग ने कोविड से बचाव के लिए पहचाने जाने वाले सामानों पर बेसिक सीमा शुल्क और स्वास्थ्य उपकर को माफ कर दिया है।
जब राज्य सरकार के प्रमाणीकरण के आधार पर सामानों का निशुल्क आयात किया जाता है और उन्हें स्वतंत्र रूप से वितरित किया जाता है, तो आईजीएसटी को भी माफ कर दिया जाता है।
इसके अलावा, व्यक्तिगत उपयोग के लिए ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटरों के आयात के लिए, आईजीएसटी को 28% से घटाकर 12% कर दिया गया है।
स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव [स्वास्थ्य] के तहत मंत्रालय में विदेशी कोविड राहत सामग्री की प्राप्ति और अनुदान, सहायता एवं दान के रूप में उनके आवंटन में समन्वय के लिए एक प्रकोष्ठ बनाया गया है। इस प्रकोष्ठ ने 26 अप्रैल, 2021 से काम करना शुरू कर दिया और इसमें प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त शिक्षा मंत्रालय से एक संयुक्त सचिव, विदेश मंत्रालय से अतिरिक्त सचिव स्तर के दो अधिकारी, सीमा शुल्क विभाग के मुख्य आयुक्त, नागरिक उड्डयन मंत्रालय से आर्थिक सलाहकार, तकनीकी सलाहकार डीटीईजीएचएस, एचएलएल के प्रतिनिधि, स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालयके दो संयुक्त सचिव और आईआरसीएस के महासचिव समेत एक अन्य प्रतिनिधि शामिल हैं।

अप्रैल के अंतिम सप्ताह से देश के विभिन्न हिस्सों में कोविड के मामलों में अचानक वृद्धि के बाद विदेश मंत्रालय के माध्यम सेविभिन्न देशों से दान के रूप में चिकित्सा सामग्रियों का आना शुरू हुआ। देश के विभिन्न हिस्सों में तात्कालिक और अविलंब जरूरतों को देखते हुए ये सामग्रियां विभिन्न देशों द्वारा प्रदान की जा रही हैं। यह सहायता भारत सरकार द्वारा पहले से ही प्रदान की जा रही सहायता के ऊपर और अतिरिक्त है और इस प्रकार राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए एक अतिरिक्त उपाय है। बाद में, नीति आयोग के जरिए निजी कंपनियों, संस्थाओं आदि की ओर से भी सामग्रियां आनी शुरू हुईं और जिनका प्रबंधन इस प्रकोष्ठ द्वारा किया जाता है।

यह समूह सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए रोज सुबह 9.30 बजे बैठक करता है। दिन में, विदेश मंत्रालय द्वारा सभी जानकारियों का आदान – प्रदान और स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय द्वारा इनका निराकरण, साथ ही साथ उनका फॉलोअप तकनीकी सलाहकार डीटीईजीएचएस,एचएलएल और आईआरसीएस द्वारा व्हाट्स एप्प समूह पर किया जाता है।

इसके अलावा इस पूरे अभियान की निगरानी के लिए नीति आयोग के सीईओ के तहत एक उच्चस्तरीय समिति, जिसमें विदेश मंत्रालय के व्यय सचिव और नीति आयोग एवं स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के अधिकारियों शामिल हैं,गठित की गई है।

विदेश मंत्रालय विदेशों से मदद के प्रस्तावों को व्यवस्थित करने और विदेशों में स्थित दूतावासों के साथ समन्वय करने की नोडल एजेंसी है। विदेश मंत्रालय ने अपने एसओपी जारी किए हैं, जोकि सबों पर लागू हैं।

भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी

विदेश मंत्रालय के जरिए प्राप्त होने वाली सभी खेपों और विदेशों से दान के रूप में आने वाली सामग्रियों का प्राप्तकर्ता भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी है। प्रक्रिया प्रवाह चार्ट में उल्लिखित कागजात प्राप्त होने पर, आईआरसीएस हवाई अड्डों पर सीमा शुल्क और नियामक मंजूरी के लिए एचएलएल को तुरंत आवश्यक प्रमाण पत्र जारी करता है। आईआरसीएस स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय और एचएलएल के साथ भी संपर्क सुनिश्चित करता है ताकि देरी कम हो और जहाज पर से माल उतारने और लादने का काम तेजी से हो।

एचएलएल / डीएमए

एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड (एचएलएल) आईआरसीएस के लिए सीमा शुल्क एजेंट है, और स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के लिए वितरण प्रबंधक है। एचएलएल द्वारा खेपों को हवाई अड्डे पर व्यवस्थित किया जाता है और उन्हें वितरण के लिए ले जाया जाता है। सैन्य हवाई अड्डों पर पहुंचने वाली खेपों या ऑक्सीजन संयंत्र जैसी वस्तुओं के मामले में, सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) एचएलएल की सहायता करता है।

संसाधनों तक पहुंच और जीवन को बचाने के लिए उनका तत्काल उपयोग आने वाली खेपों के अल्प अवधि की सूचना पर तत्काल आवंटन की जरूरत को प्रेरित करता है। विदेशों से आने वाली सामग्रियां वर्तमान में अलग-अलग संख्या में, अलग –अलग पैमाने और अलग-अलग समय पर आ रही है। अत: राज्यों तक यथाशीघ्र इन सामग्रियों को पहुंचाने की जरूरत के साथ वितरण संबंधी लोजिस्टिक्स का सामंजस्य बिठाना जरूरी है। सहायता प्रदान करने वाले देशों की खेपों के विवरण की पुष्टि तभी हो पाती है, जब खेप मूल देश में बुक हो जाती है। कई मामलों में प्राप्त वस्तुएं सूची के अनुसार नहीं होती हैं, या उनकी मात्रा अलग-अलग होती हैं, लिहाजा हवाई अड्डे पर इसके बारे में सामंजस्य स्थापित करने की जरूरत होती है। विस्तृत सुलह के बाद अंतिम सूची की पुष्टि हो जाती है। इस प्रकार, इन सामग्रियों के आवंटन, अनुमोदन और प्रेषण के चक्र का प्रबंधन करने के लिए दिन का एक चौथाई से भी कम समय बचता है। ऐसी परिस्थितियों में,इन सामग्रियों के समय के लिहाज से संवेदनशील होने की वजह से उन्हें तुरंत वितरित करने और सर्वोत्तम संभव तरीके से उनका अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव प्रयास किए गए हैं। इन सामग्रियों को खोलने (अनपैक), उन्हें दोबारा बांधने (रिपैक) औरजहाज पर लादने और उतारने में कम से कम समय लगाने के साथ उन्हें जल्दी भेजने के सभी संभव प्रयास किए जाते हैं।

इन सामग्रियों का आवंटन समान वितरण और स्वास्थ्य देखभाल की तृतीयक स्तर की सुविधाओं पर भार को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। शुरूआती कुछ दिनों में, उन राज्यों को एम्स और अन्य केंद्रीय संस्थानों के माध्यम से कवर किया गया था, जहां गंभीर रोगियों का भार अधिक है और जहां सामानों की जरूरत सबसे अधिक है। इसके अलावा, दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में डीआरडीओ सुविधाओं सहित केंद्रीय सरकारी अस्पतालों को भी इन सहायताओं के माध्यम से सहारा दिया गया। यह देखा गया है कि स्वास्थ्य देखभाल की तृतीयक स्तर की सुविधाओं में आमतौर पर कोविड के गंभीर लक्षणों वालेमामले अधिक संख्या में होते हैं और अक्सर इस क्षेत्र के लोगों के लिए एकमात्र राहत गुणवत्तापूर्ण तृतीयक स्तर की देखभाल होती है।

इन सामग्रियों के आवंटन के लिएस्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 2 मई, 2021 को जारी किए गए मानक संचालन प्रक्रिया (स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) के अनुसार:

चूंकि ऐसा सहायता अनुदान सीमित मात्रा में होगा, इसलिए इसे अत्यधिक बोझ वाले राज्यों [सक्रिय मामलों की अधिक संख्या वाले राज्यों], जहां ऐसे उपकरण / दवाओं की आवश्यकता अधिक है, को आवंटित करके इसका बेहतर उपयोग किया जाना है।
इस तरह के सहायता अनुदान को बारीकी से बड़ी संख्या में राज्यों में फैलाना हर बार वांछित परिणाम नहीं दे सकता है। यह छोटे पैकेजों को लंबी दूरी तय करने, जहाज पर लादने और उतारने में अधिक समय और संसाधनों के संभावित अपव्यय का कारण भी बनेगा।
अत्यधिक बोझ वाले राज्यों की जरूरतों पर अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या के साथ – साथ भारत सरकार के संसाधनों से पूर्व में किए गए वितरण के संदर्भ में भी विचार किया जाएगा। क्षेत्र के मेडिकल हब के रूप में माने जाने वाले राज्यों पर भी विशेष ध्यान केंद्रित किया जा सकता है, जहां पड़ोसी राज्यों / शहरों से मरीजों का आना-जानाहोता है। कुछ मामलों में कम संसाधन वाले राज्यों, जैसे कि पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्य जहां टैंकर आदि नहीं पहुंचते हैं, को भी अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कवर किया जा सकता है।
उपरोक्त मानदंडों और सिद्धांतों के आधार पर, लगभग 40 लाख की संख्या में 24 विभिन्न श्रेणी की सामग्रियों को विभिन्न राज्यों के 86 संस्थानों को वितरित किया गया है।

उपकरण की प्रमुख श्रेणियों में बाईपैपमशीनें, ऑक्सीजन (ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर, ऑक्सीजन सिलिंडर, पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र, पल्स ऑक्सीमीटर), दवाएं (फ्लाविपरिवीर और रेमडेसिविर), पीपीई (कोवेराल्स, एन -95 मास्क और गाउन), शामिल हैं।

वे राज्य / केन्द्र – शासित प्रदेश,जिन्हें उपकरण प्राप्त हुए हैं या जहां उपकरण भेजे गए हैं:

  1. आंध्र प्रदेश
  2. असम
  3. बिहार
  4. चंडीगढ़
  5. छत्तीसगढ़
  6. दादराएवंनगर हवेली
  7. दिल्ली
  8. गोवा
  9. गुजरात
  10. हरियाणा
  11. हिमाचल प्रदेश
  12. जम्मू एवं कश्मीर
  13. झारखंड
  14. कर्नाटक
  15. केरल
  16. लद्दाख
  17. लक्षद्वीप
  18. मध्य प्रदेश
  19. महाराष्ट्र
  20. मणिपुर
  21. मेघालय
  22. मिजोरम
  23. ओडिशा
  24. पुडुचेरी
  25. पंजाब
  26. राजस्थान
  27. तमिलनाडु
  28. तेलंगाना
  29. उत्तर प्रदेश
  30. उत्तराखंड
  31. पश्चिम बंगाल

जैसे-जैसे अलग-अलग खेप आते जा रहे हैं, आने वाले दिनों में बाकी बचे राज्यों और केन्द्र – शासित प्रदेशों को भी कवर किया जाएगा।

निम्नलिखित संस्थानों (क्षेत्रवार) को उपकरण प्राप्त हुए हैं:

दिल्ली एनसीआर

  1. एलएचएमसी दिल्ली
  2. सफदरजंग अस्पताल दिल्ली
  3. आरएमएल अस्पताल
  4. एम्स दिल्ली
  5. डीआरडीओ दिल्ली
  6. दिल्ली के 2 अस्पताल (मोती नगर और पूठ कलां)
  7. एनआईटीआरडी दिल्ली
  8. आईटीबीपी नोएडा

पूर्वोत्तर

  1. एनईआईजीआरआईएचएमएस शिलांग
  2. रिम्स इम्फाल

उत्तर

  1. एम्स बठिंडा
  2. पीजीआई चंडीगढ़
  3. डीआरडीओदेहरादून
  4. एम्स झज्जर

पूर्व

  1. एम्स ऋषिकेश
  2. एम्स रायबरेली
  3. एम्स देवघर
  4. एम्स रायपुर
  5. एम्स भुवनेश्वर
  6. एम्स पटना
  7. डीआरडीओ पटना
  8. एम्स कल्याणी
  9. डीआरडीओवाराणसी
  10. डीआरडीओलखनऊ
  11. जिला अस्पताल पीलीभीत

पश्चिम

  1. एम्स जोधपुर
  2. डीआरडीओदेहरादून
  3. डीआरडीओअहमदाबाद
  4. सरकारी सैटेलाइट अस्पताल जयपुर

मध्य

  1. एम्स भोपाल

दक्षिण

  1. एम्स मंगलागिरी
  2. एम्स बीबीनगर
  3. जिपमर पुडुचेरी

केन्द्र सरकार एवंसार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू)

  1. सीजीएचएस
  2. सीआरपीएफ
  3. सेल
  4. रेलवे
  5. आईसीएमआर

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!