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भारत में पहली बार दिखा 80 हजार साल पुराना धूमकेतु:राजस्थान के बाड़मेर में 11 दिन तक ट्रैक करने के बाद मिला ये फोटो

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भारत में पहली बार दिखा 80 हजार साल पुराना धूमकेतु:राजस्थान के बाड़मेर में 11 दिन तक ट्रैक करने के बाद मिला ये फोटो

बाड़मेर

भारत में पहली बार 80 हजार साल पुराने धूमकेतु की एक तस्वीर सामने आई है। ये तस्वीर खास इसलिए है कि पहली बार ये कैमरे में कैद हो पाई है।

खुली आंखों से देखने के लिए इसे 11 दिनों तक ट्रैक करना पड़ा। ये तस्वीर बाड़मेर के इंजीनियर भूषण गंभीर ने ली है। धूमकेतु की इस तस्वीर को क्लिक करने के लिए इन्होंने भाग्यम ऑयल फील्ड के एरिया को चुना। क्योंकि यहां खुला आसमान और कई किलोमीटर तक सुनसान एरिया है।

इस धूमकेतु का नाम C3/2023 A3 त्सुचिनशान-एटलस है। 11 दिन तक भूषण अपनी टीम वेदरफोर्ड के साथ इस खगोलीय घटना को ऑब्जर्व कर रहे थे। आखिरकार 16 अक्टूबर की शाम 7.20 बजे भूषण गंभीर ने यह तस्वीर क्लिक की। यह धूमकेतु पृथ्वी से 70.69 करोड़ किमी की दूरी पर अपनी कक्षा में आगे बढ़ रहा है। दावा किया जाता है कि पिछले साल इसे चीन और अफ्रीका में देखा गया था।

इंजीनियर भूषण गंभीर और उसकी वेदरफोर्ड टीम ने 11 दिन की मेहनत के बाद ली तस्वीर।

इंजीनियर भूषण गंभीर और उसकी वेदरफोर्ड टीम ने 11 दिन की मेहनत के बाद ली तस्वीर।

वैज्ञानिकों का दावा: कुछ दिनों तक अपनी पूंछ के साथ आसमान में नजर आएगा इंजीनियर भूषण खगोलीय घटनाओं की जानकारी में रुचि रखते हैं और ऐसी घटनाओं को अमूमन अपने कैमरे में कैद करते रहते हैं। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिकों ने बताया कि धूमकेतु ए-3 के पृथ्वी के इतना नजदीक आने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन अब यह खुली आंखों से भी देखा जा सकता है। अब यह रोजाना शाम को आसमान से धीरे-धीरे ऊपर उठता हुआ नजर आएगा। अगले कुछ दिन तक लंबी पूंछ के साथ आसमान में चमक बिखेरता रहेगा।

धूमकेतु को इस तरह मोबाइल एप से ट्रैक किया गया।

धूमकेतु को इस तरह मोबाइल एप से ट्रैक किया गया।

वैज्ञानिकों ने बीते साल खोजा था धूमकेतु ए-3 वैज्ञानिकों ने बीते साल सूर्य के करीब से गुजरने वाले C/2023 A3 नाम के नए धूमकेतु की खोज की थी। अनुमान के मुताबिक 80,660 साल में यह सूर्य की एक परिक्रमा करता है। इसे पहली बार 22 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका में एस्टेरॉयड टेरेस्ट्रियल-इम्पैक् ट लास्ट अलर्ट सिस्टम टेलीस्कोप में देखा गया था। चीन के पर्पल माउंटेन ऑब्जर्वेटरी के खगोलविदों ने 9 जनवरी को इस धूमकेतु की स्वतंत्र रूप से खोज की थी। ये धूमकेतु शनि और बृहस्पति ग्रह के बीच है।

इसे लेकर कहा जाता है कि ये शाम के समय तभी दिख पाएगा जब आसमान में सूर्य की किरणों का प्रभाव और अंधेरा मध्यम हो। अब सर्दियों के दिन शुरू हुए हैं तो दिन छोटे होने लगे हैं। इसलिए ये अक्टूबर में तारे की तरह दिखाई दे रहा है।

स्काई सफारी ऐप ट्रेकर को किया यूज खगोलीय ऑब्जेक्ट आसमान में देखने के लिए उसकी दिशा और वक्त जानने के लिए मोबाइल ऐप स्काई सफारी सहित कुछ ट्रैकर का इस्तेमाल किया गया था। यह धूमकेतु सूर्य माला के बाहर से आकर सूर्य की परिक्रमा कर लौट जाएगा, जिसकी जगह हर एक मिनट आसमान में बदलती रहेगी।

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