Wayanad Landslide: मलबे में जिंदगी तलाश रहे सेना के ‘जॉकी’, ‘डिक्सी’, ‘सारा’; वायनाड में ऐसे चल रहा बचाव कार्य
इन कुत्तों को उत्तर प्रदेश के मेरठ कैंट में आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज के डॉग ट्रेनिंग फैकल्टी (डीटीएफ) से लाया गया है। इन्हें मलबे के नीचे दबे मनुष्य के गंध की पहचान करने और संकेत देने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इन कुत्तों को तैयार करने के लिए 12 सप्ताह तक प्रशिक्षित किया जाता है।
वायनाड में भूस्खलन –
केरल के वायनाड में भूस्खलन ने तबाही मचा दी। मरने वालों की संख्या अब 300 के करीब पहुंच चुकी है। अभी भी 300 लोग लापता है। मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने के लिए सेना के तीन लैब्राडोर कुत्ते जैकी, डिक्सी और सारा बचाव कार्य में जुट चुके हैं। मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने के लिए ये तीनों लैब्राडोर कुत्ते बारिश और कीचड़ के बीच बचाव अभियान का हिस्सा बनकर मदद कर रहे हैं। ये अपनी सुंघने की क्षमता से मलबे में लोगों को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर डिफेंस जर्नलिस्ट ने एक पोस्ट किया। उन्होंने कहा, ठलोगों का जिगरी दोस्त लोगों के साथ कंघे से कंधे मिलाकर वायनाड के मलबे में काम कर रहा है। जैकी, डिक्सी और सारा बारिश और कीचड़ में बिना थके लोगों की तलाश कर रहे हैं।ठ बता दें कि सेना के इन खोजी कुत्तों को उत्तर प्रदेश के मेरठ कैंट में आरवीसी सेंटर एंड कॉलेज के डॉग ट्रेनिंग फैकल्टी (डीटीएफ) से लाया गया है। इन्हें मलबे के नीचे दबे मनुष्य के गंध की पहचान करने और संकेत देने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इन खोजी कुत्तों को तैयार करने के लिए 12 सप्ताह तक प्रशिक्षित किया जाता है। इसके बाद 24 हफ्तों का इनका ट्रेड ट्रेनिंग होता है। ये कुत्ते 10-12 फीट मलबे के नीचे भी इंसान के शरीर की गंध का पता लगा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, इन खोजी कुत्तों ने पहले भी बड़ी सफलता हासिल कर चुके हैं।
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