पाकिस्तान में चीन की गहरी पैठ: CPEC के ज़रिए रणनीतिक विस्तार और भारत की सीमाई चिंताएं
By Defence Journalist Sahil
2025 का वर्ष पाकिस्तान के रणनीतिक मानचित्र में एक बड़े बदलाव का गवाह बन रहा है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) अब केवल एक आर्थिक परियोजना नहीं, बल्कि एक पूर्ण सैन्य-सामरिक गठबंधन का चेहरा बन चुका है। विशेषकर पाकिस्तान के दक्षिणी और पूर्वी हिस्सों में, जहां से भारतीय राज्य राजस्थान की सीमा लगती है—बहावलपुर, बहावलनगर, फोर्ट अब्बास और यज़मान मंडी जैसे क्षेत्र—वहां चीन की मौजूदगी और गतिविधियाँ भारत के लिए नई सुरक्षा चुनौतियाँ उत्पन्न कर रही हैं।
CPEC: आर्थिक गलियारे से सामरिक गलियारे की ओर
CPEC की शुरुआत एक विकास परियोजना के रूप में हुई थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसमें जिस तेजी से चीनी सैन्य और तकनीकी निवेश बढ़ा है, उससे इसके मूल उद्देश्य पर ही सवाल उठने लगे हैं। 2025 में CPEC के तहत कुल 62 परियोजनाएँ चल रही हैं, जिनमें से 21 प्रोजेक्ट्स पंजाब और सिंध के सीमावर्ती ज़िलों में स्थित हैं। खास बात यह है कि बहावलपुर से लेकर फोर्ट अब्बास और यज़मान मंडी तक एक ऐसा बेल्ट तैयार किया जा रहा है, जो सड़कों, ड्राई पोर्ट्स, और हाई-टेक निगरानी उपकरणों से लैस है।
बहावलपुर में ड्रोन टेक्नोलॉजी ट्रायल ज़ोन
बहावलपुर में एक अत्याधुनिक ड्रोन टेक्नोलॉजी ट्रायल ज़ोन विकसित किया जा रहा है, जिसे चीन की कंपनी NORINCO चला रही है। यहां पर ज़ियान टेक्नोलॉजी और CASC (China Aerospace Science and Corporation) द्वारा विकसित किए गए मानवरहित हवाई वाहन (UAVs) का परीक्षण किया जा रहा है। यह इलाका भारतीय सीमा से केवल 70-90 किमी दूर है, जिससे यह भारत के लिए विशेष चिंता का विषय है।
बहावलनगर और फोर्ट अब्बास: निगरानी और रडार बेस
फोर्ट अब्बास, जो राजस्थान के गंगानगर से महज 50 किमी दूर है, वहां चीन की CETC (China Electronics Technology Group Corporation) द्वारा एक उन्नत रडार और सिग्नल इंटेलिजेंस बेस बनाया जा रहा है। यह बेस CPEC के तहत सामने तो “स्मार्ट ट्रैफिक और निगरानी परियोजना” के रूप में आया है, लेकिन इंट रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां PLA (People’s Liberation Army) से जुड़े इंजीनियरों की आवाजाही लगातार हो रही है।
यज़मान मंडी: स्मार्ट एग्रीकल्चर या फॉरवर्ड ऑब्ज़र्वेशन पोस्ट?
यज़मान मंडी में चीन द्वारा घोषित स्मार्ट एग्रीकल्चर और डेज़र्ट एरिड इरिगेशन प्रोजेक्ट के भीतर गहराई से काम चल रहा है। सूत्रों की मानें तो इस इलाके में हाई-रिज़ोल्यूशन सर्विलांस कैमरा, ग्राउंड-प्रेनेट्रेटिंग रडार और ड्रोन हैंगर तैयार किए जा रहे हैं। भारत की एजेंसियाँ इसे एक संभावित फॉरवर्ड ऑब्ज़र्वेशन पोस्ट के रूप में देख रही हैं।
हथियार और तकनीकी आपूर्ति
2025 में चीन ने पाकिस्तान को नई पीढ़ी की VT-4 टैंकों की दूसरी खेप सौंपी है, साथ ही HQ-9B लॉन्ग रेंज एयर डिफेंस सिस्टम, CH-5 और Wing Loong-2 UAVs, FK-3 SAM सिस्टम, और Type 054A फ्रिगेट्स की आपूर्ति भी की है। इसके अलावा NORINCO और CETC जैसी कंपनियों द्वारा पाकिस्तानी सेना को इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर किट्स, साइबर इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर और माइन-रेज़िस्टेंट व्हीकल्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया
भारत ने इस समूची गतिविधि को ध्यान में रखते हुए राजस्थान फ्रंट पर कई काउंटर-मेजर शुरू किए हैं:
- गंगानगर से बीकानेर तक फॉरवर्ड रोड नेटवर्क का उन्नयन हुआ है।
- जैसलमेर और फलोदी में नई एअर डिफेंस यूनिट्स की तैनाती हुई है।
- सूरतगढ़ और तनोट के बीच रणनीतिक रेलवे लाइन का निर्माण प्रगति पर है।
- DRDO द्वारा जैसलमेर के पास हाई-ऑल्टिट्यूड सर्विलांस बैलून और एंटी-ड्रोन रडार बेस विकसित किए जा रहे हैं।
- रिपोर्ट्स के अनुसार, बीकानेर और गंगानगर में रडार शील्डिंग बढ़ाई जा रही है, जो इन क्षेत्रों को चीनी निगरानी से बचाने की कोशिश है।
इंट और सैटेलाइट विश्लेषण
अप्रैल 2025 में मिले सैटेलाइट चित्रों से पता चलता है कि फोर्ट अब्बास के पास नए निर्माण स्थलों पर रात के समय गतिविधियाँ तेज़ होती हैं। यज़मान मंडी में एक नया एयरस्ट्रिप भी बन रहा है, जिसे सार्वजनिक रूप से CPEC एग्रीकल्चर लॉजिस्टिक्स टर्मिनल कहा गया है, लेकिन इसकी चौड़ाई और पक्की रनवे से सैन्य उपयोग की आशंका जताई जा रही है।
CPEC अब एक आर्थिक परियोजना नहीं, बल्कि चीन के दक्षिण एशिया में विस्तारवादी रणनीति का केंद्र बिंदु बन चुका है। पाकिस्तान के ज़रिए चीन भारत की पश्चिमी सीमा पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। बहावलपुर, फोर्ट अब्बास और यज़मान मंडी जैसे क्षेत्रों में CPEC की आड़ में हो रही सामरिक गतिविधियाँ भारत के लिए अलार्म बेल की तरह हैं। आने वाले महीनों में भारत को अपनी सीमाओं पर न सिर्फ कड़ी निगरानी बल्कि तेज़ी से सामरिक जवाब देने की आवश्यकता होगी।
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