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बीकानेर मिलिट्री स्टेशन पर सिविल-मिलिट्री फ्यूजन 2025 का भव्य आयोजन, राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास पर हुई व्यापक चर्चा
बीकानेर। राष्ट्रीय सुरक्षा और समावेशी विकास को सशक्त बनाने के उद्देश्य से बीकानेर मिलिट्री स्टेशन में सिविल-मिलिट्री फ्यूजन 2025 का भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन की मेजबानी रणबांकुरा डिवीजन के तत्वावधान में की गई, जिसमें सैन्य और असैन्य प्रशासनिक अधिकारियों, सुरक्षा विशेषज्ञों, उद्योग प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और विभिन्न क्षेत्रों के नीति-निर्माताओं ने भाग लिया।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा, नागरिक-सैन्य सहयोग और समग्र विकास को मजबूत करने के लिए एक सशक्त मंच प्रदान करना था। इस दौरान विभिन्न स्तरों पर समन्वय, रणनीति निर्माण, आपदा प्रबंधन, सीमावर्ती विकास और स्मार्ट सैन्य-नागरिक परियोजनाओं पर गहन चर्चा की गई।

राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक-सैन्य समन्वय पर जोर
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सैन्य रणनीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें नागरिक प्रशासन, आपदा प्रबंधन, तकनीकी सहयोग और बुनियादी ढांचे का विकास भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सैन्य और असैन्य संस्थानों के बीच बेहतर समन्वय न केवल आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि यह आपदा प्रबंधन और सीमा क्षेत्रों के विकास में भी अहम योगदान देगा।
तकनीकी सहयोग और रक्षा अवसंरचना के विकास पर विशेष सत्र
कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में सैन्य और सिविल प्रशासन के बीच तालमेल को राष्ट्र निर्माण की एक महत्वपूर्ण कड़ी बताया गया। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि भारत की सीमाओं को सुरक्षित करने और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नागरिक और सैन्य संस्थानों के बीच तकनीकी साझेदारी को और अधिक मजबूत करना आवश्यक है।
विशेष रूप से रक्षा अवसंरचना से जुड़े प्रोजेक्ट्स, स्मार्ट सैन्य-नागरिक तकनीकों और सशस्त्र बलों में उन्नत प्रौद्योगिकी के समावेश पर विस्तृत चर्चा की गई। वक्ताओं ने कहा कि सशक्त और आधुनिक सैन्य अवसंरचना न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और क्षेत्रीय विकास में भी योगदान देगी।

आपदा प्रबंधन और सीमावर्ती विकास पर गहन मंथन
कार्यक्रम में आपदा प्रबंधन पर भी विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें यह चर्चा की गई कि प्राकृतिक आपदाओं के दौरान सैन्य और नागरिक एजेंसियों के बीच प्रभावी समन्वय किस प्रकार जन-जीवन की रक्षा कर सकता है। सैन्य अधिकारियों ने अपने अनुभव साझा किए कि बाढ़, भूकंप, चक्रवात और अन्य आपदाओं के समय सेना और प्रशासन के बीच तालमेल से राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाई जा सकती है।
सीमावर्ती विकास पर चर्चा करते हुए वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास से न केवल सुरक्षा बल्कि वहां के स्थानीय निवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी। सीमांत क्षेत्रों में सड़कों, स्वास्थ्य सुविधाओं, संचार माध्यमों और अन्य आवश्यक सेवाओं के विस्तार से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे और पलायन की समस्या कम होगी।
स्मार्ट सैन्य-नागरिक प्रोजेक्ट्स और नवाचार की दिशा में कदम
इस आयोजन के दौरान कई महत्वपूर्ण स्मार्ट सैन्य-नागरिक परियोजनाओं पर चर्चा की गई, जिनमें संयुक्त आधारभूत संरचना, रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी, और अत्याधुनिक तकनीकों का विकास शामिल था। इन परियोजनाओं के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देने और “मेक इन इंडिया” पहल को मजबूत करने की संभावनाओं पर प्रकाश डाला गया।

सुरक्षित भविष्य के लिए साझेदारी को किया गया मजबूत
कार्यक्रम के समापन सत्र में सैन्य और नागरिक प्रशासन के अधिकारियों ने रक्षा और विकास के बीच संतुलन बनाकर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने का संकल्प लिया। सभी हितधारकों ने मिलकर सुरक्षित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई।
इस आयोजन से यह स्पष्ट हुआ कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें नागरिक प्रशासन, तकनीकी सहयोग, आपदा प्रबंधन, सीमावर्ती विकास और रक्षा अवसंरचना का विस्तार भी समान रूप से महत्वपूर्ण है। “सिविल-मिलिट्री फ्यूजन 2025” कार्यक्रम राष्ट्र की सुरक्षा और समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, जिससे भारत एक सशक्त, आत्मनिर्भर और सुरक्षित राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
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