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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्र को समर्पित की 50 सामरिक बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, राजस्थान की तीन परियोजनाएं राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास की नई मिसाल

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्र को समर्पित की 50 सामरिक बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, राजस्थान की तीन परियोजनाएं राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास की नई मिसाल

07 मई 2025 का दिन भारत की सीमावर्ती बुनियादी ढांचा रणनीति के लिए ऐतिहासिक बन गया, जब माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने ₹1879 करोड़ की लागत से निर्मित 50 सामरिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया। ये सभी परियोजनाएं सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा भारत के रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्रों—जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, मिजोरम और राजस्थान—में स्थित हैं।

इन परियोजनाओं में 17 सड़कें, 30 पुल, और 03 विविध कार्य शामिल हैं, जो दुर्गम और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में युद्ध स्तर पर पूरे किए गए। BRO की इस अभूतपूर्व उपलब्धि ने यह सिद्ध कर दिया है कि चाहे ऊँचे पहाड़ी क्षेत्र हों या तपते रेगिस्तान—देश की सुरक्षा और विकास BRO की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

चेतक परियोजना के अंतर्गत राजस्थान को मिली तीन बड़ी सौगातें

इन 50 परियोजनाओं में से राजस्थान में ‘प्रोजेक्ट चेतक’ के अंतर्गत तीन महत्वपूर्ण परियोजनाएं विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती हैं:

  1. सड़क पीठेवाला-प्वाइंट 141
  2. सड़क रामगढ़-हड्डा
  3. मुख्यालय 45 बीआरटीएफ के लिए स्थायी तैनाती स्थान (KLP) – बडली में

इन परियोजनाओं का उद्घाटन श्री सुरेश गुप्ता, मुख्य अभियंता, प्रोजेक्ट चेतक, की उपस्थिति में 07 मई 2025 को किया गया। इनका लक्ष्य न केवल सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सेना की पहुंच और परिचालन क्षमता को बढ़ाना है, बल्कि राजस्थान के सीमावर्ती जिलों—विशेषकर जैसलमेर—के सामाजिक और आर्थिक विकास को भी गति देना है।

रणनीतिक दृष्टि से अहम सड़कें: सेना और जनता दोनों को राहत

पीठेवाला–प्वाइंट 141 और रामगढ़–हड्डा सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग डबल लेन विनिर्देशों के अनुरूप उन्नत किया गया है, जिसमें 7.00 मीटर कैरिजवे शामिल है। ये सड़कें जैसलमेर जिले के दक्षिण-पश्चिमी सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित हैं, जहां की भौगोलिक स्थितियां चुनौतीपूर्ण हैं। इन सड़कों से अब:

  • सैन्य बलों की तेज़ तैनाती और रसद आपूर्ति में सुधार होगा।
  • स्थानीय ग्रामीण आबादी को बेहतर परिवहन और संपर्क मिलेगा।
  • क्षेत्र के खनिज, तेल और गैस जैसे संसाधनों के दोहन के लिए बुनियादी ढांचा मजबूत होगा।

इन सड़कों की मौजूदगी भारतीय सेना को सीमावर्ती क्षेत्रों में त्वरित प्रतिक्रिया की सामर्थ्य देती है, साथ ही यह नागरिक सुविधाओं में भी उल्लेखनीय बदलाव लाएगी।

बडली में बना नया सामरिक केंद्र – HQ 45 BRTF का KLP

प्रोजेक्ट चेतक के अंतर्गत तीसरी बड़ी उपलब्धि है बडली में 45 BRTF (बॉर्डर रोड्स टास्क फोर्स) का नया मुख्यालय या स्थायी तैनाती स्थान (KLP), जिसे ₹41.70 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है। इसका उद्घाटन सुश्री वनिता सेठ (महापौर, जोधपुर-दक्षिण) और कर्नल जी. एस. बाजवा (कमांडर, 45 BRTF) की उपस्थिति में किया गया।

इस KLP के निर्माण से:

  • BRO के निर्माण कार्यों की गति और गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • भंडारण और मरम्मत की बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
  • सीमावर्ती इलाकों में BRO की तेज़ और लचीली तैनाती सुनिश्चित हो सकेगी।
  • स्थानीय रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और आसपास के क्षेत्रों का सामाजिक-आर्थिक विकास होगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास में BRO की भूमिका

इन सभी परियोजनाओं के सफल समापन के बाद माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने BRO की कार्यक्षमता, समर्पण और तकनीकी कुशलता की सराहना की। उन्होंने कहा, “सीमा क्षेत्रों में मजबूत बुनियादी ढांचे से न केवल सेना की तैनाती और आपूर्ति में मदद मिलती है, बल्कि यह सीमावर्ती गांवों को भी मुख्यधारा से जोड़ता है। हमारी सरकार का संकल्प है कि देश की सीमाएं न केवल सुरक्षित हों, बल्कि समृद्ध भी हों।”

रक्षा मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें और पुल बनाना केवल एक निर्माण कार्य नहीं है, यह राष्ट्र की सुरक्षा और संप्रभुता का विस्तार है। उन्होंने BRO के “चुनौती में अवसर” दृष्टिकोण को देश के विकास मॉडल का आधार बताया।

निष्कर्ष: चेतक का प्रयास, देश का विकास

राजस्थान में BRO की चेतक परियोजना द्वारा निर्मित ये तीन बुनियादी ढांचा परियोजनाएं भारतीय सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक मील का पत्थर हैं। ये परियोजनाएं न केवल भारतीय सेना की रणनीतिक पहुंच को मजबूत करेंगी, बल्कि सीमावर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक उत्थान का मार्ग भी प्रशस्त करेंगी।

रेगिस्तानी इलाकों में BRO की यह सफलता दिखाती है कि “चेतक का प्रयास” वास्तव में “देश का विकास” है। भारत की सीमाएं अब केवल भौगोलिक सीमाएं नहीं हैं, बल्कि वे विकास, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की अग्रिम पंक्ति बन गई हैं।


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