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यूरोपीय संघ ने अमेरिका के नए धातु व्यापार शुल्क के खिलाफ जवाबी करवाई की घोषणा

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यूरोपीय संघ ने अमेरिका के नए धातु व्यापार शुल्क के खिलाफ जवाबी करवाई की घोषणा

– अश्विनी केगांवकर, नीदरलैंड

ब्रुसेल्स, 12 मार्च 2025: यूरोपीय संघ (ईयू) ने बुधवार को अमेरिका द्वारा लगाए गए नए वैश्विक धातु व्यापार शुल्क के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए जवाबी करवाई की घोषणा की है। यह जवाबी उपाय अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे और यूरोपीय संघ के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए उठाए जा रहे हैं।

यूरोपीय संघ ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के फैसले को वह किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन देर लेयेन ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह नीति न केवल वैश्विक व्यापार के लिए हानिकारक है बल्कि यह आम उपभोक्ताओं के लिए भी समस्याएं पैदा करेगी।

यूरोपीय संघ का जवाबी कदम

यूरोपीय संघ ने अमेरिका के इस कदम के खिलाफ €26 बिलियन ($28.3 बिलियन) के अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाने की योजना बनाई है। इस करवाई को दो चरणों में लागू किया जाएगा।

पहला चरण:
1 अप्रैल 2025 से, यूरोपीय संघ लगभग €8 बिलियन मूल्य के अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाएगा। इसमें विशेष रूप से अमेरिकी प्रतिष्ठित उत्पाद जैसे कि हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल, बॉर्बन व्हिस्की, और विभिन्न कृषि उत्पाद शामिल होंगे।

दूसरा चरण:
अप्रैल के मध्य तक, यूरोपीय संघ अपने सदस्य देशों से अनुमोदन लेने के बाद अतिरिक्त €18 बिलियन के अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने की प्रक्रिया शुरू करेगा।

उर्सुला वॉन देर लेयेन ने कहा,
“अमेरिका के इस कदम से वैश्विक व्यापार व्यवस्था बाधित होगी, नौकरियों पर खतरा बढ़ेगा और महंगाई बढ़ेगी। यह व्यापारिक दृष्टिकोण दोनों पक्षों के लिए हानिकारक है। हमें खेद है कि हमें यह कड़े कदम उठाने पड़ रहे हैं, लेकिन यूरोपीय संघ अपने हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”

व्यापक असर और संभावित व्यापार युद्ध

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच यह व्यापार विवाद आगे बढ़ता है तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यूरोपीय संघ अमेरिका के लिए तीसरा सबसे बड़ा स्टील आपूर्तिकर्ता है, इसलिए इस व्यापार युद्ध से यूरोप की बड़ी कंपनियों और कारखानों पर भी असर पड़ेगा।

यूरोपीय संघ को चिंता है कि अमेरिका की “पारस्परिक शुल्क” नीति से ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और खाद्य पदार्थों का निर्यात प्रभावित होगा। खासतौर पर जर्मनी, फ्रांस और इटली की बड़ी कंपनियों को इससे नुकसान हो सकता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस नए व्यापार शुल्क को अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए आवश्यक बताया है। ट्रम्प का मानना है कि यह कदम अमेरिकी कंपनियों को घरेलू उत्पादन बढ़ाने और नौकरियों को देश में वापस लाने के लिए प्रेरित करेगा।

बातचीत के लिए तैयार यूरोपीय संघ

हालांकि, यूरोपीय संघ ने साफ किया है कि वह बातचीत के जरिए इस विवाद को सुलझाने के लिए तैयार है। यूरोपीय आयोग की ओर से बयान जारी कर कहा गया,
“हम अमेरिका के साथ वार्ता के लिए तैयार हैं और इस मुद्दे का समाधान खोजने की पूरी कोशिश करेंगे। अगर अमेरिका किसी संतोषजनक समझौते के लिए तैयार होता है, तो हम अपने जवाबी उपायों को वापस लेने के लिए भी तैयार रहेंगे।”

अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर प्रभाव

विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह व्यापार विवाद बढ़ता है, तो न केवल अमेरिका और यूरोप बल्कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ेगा। वैश्विक व्यापार संगठन (WTO) के अनुसार, इस तरह के व्यापार युद्ध से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी और उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।

यूरोप और अमेरिका के बीच $1.7 ट्रिलियन का व्यापार संबंध है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही पश्चिमी अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है। अगर इस विवाद का शीघ्र समाधान नहीं निकला तो दोनों पक्षों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

आम जनता पर प्रभाव

इस तरह के व्यापारिक शुल्कों का सबसे ज्यादा प्रभाव आम उपभोक्ताओं पर पड़ता है। अगर दोनों पक्षों के बीच व्यापार शुल्क की यह जंग जारी रही तो यूरोप और अमेरिका में वस्तुओं के दामों में वृद्धि हो सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को महंगाई का सामना करना पड़ेगा।

यूरोपीय उपभोक्ता संघ (BEUC) ने भी इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के व्यापार विवादों का असर रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों पर पड़ता है और इससे आर्थिक अस्थिरता बढ़ती है।

निष्कर्ष

यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार तनाव से वैश्विक बाजारों में अस्थिरता की आशंका बढ़ गई है। अगर दोनों पक्ष जल्द ही किसी समाधान पर नहीं पहुंचे, तो यह विवाद एक बड़े व्यापार युद्ध का रूप ले सकता है, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान होगा।

आने वाले हफ्तों में, सभी की नजरें इस बात पर होंगी कि क्या अमेरिका और यूरोपीय संघ किसी समाधान तक पहुंच पाते हैं या यह विवाद और गहरा होता है। आम जनता को उम्मीद है कि दोनों पक्ष बातचीत के जरिए कोई ऐसा रास्ता निकालेंगे जिससे उपभोक्ताओं को इस व्यापारिक जंग की कीमत न चुकानी पड़े।

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