लेफ्टिनेंट कर्नल (डॉ.) हेमेंद्र बंसल का इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा सम्मान
जयपुर, 8 अक्टूबर 2024: भारतीय सेना के सेवारत अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल (डॉ.) हेमेंद्र बंसल को 3 अक्टूबर 2024 को फरीदाबाद में आयोजित एक भव्य समारोह के दौरान इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा सम्मानित किया गया। इस वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय दीक्षांत समारोह में उनकी विशेष उपलब्धि के लिए उन्हें प्रशंसा मिली, जिसमें उन्होंने एक मानक आकार के भारतीय पोस्टकार्ड पर 44,000 बार “पीस” शब्द लिखते हुए 2,20,000 अंग्रेजी अक्षर का कीर्तिमान स्थापित किया।
रिकॉर्ड की विशेषताएँ
लेफ्टिनेंट कर्नल बंसल का यह अद्वितीय प्रयास न केवल उनके कौशल को दर्शाता है, बल्कि यह शांति के संदेश को फैलाने का एक प्रयास भी है। उन्होंने बताया कि ये शब्द इतने छोटे हैं कि कोई सामान्य व्यक्ति उन्हें पढ़ने के लिए कम से कम 50 गुना आवर्धक लेंस की आवश्यकता महसूस करेगा। इतना ही नहीं, उन्होंने इन लघु कलाकृतियों को बनाने में किसी भी प्रकार का आवर्धक लेंस का उपयोग नहीं किया।
समारोह का महत्व
इस समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर चू बाओ क्यू ने की, जो कि यूनेस्को एसोसिएशन के वियतनाम फेडरेशन की परिषद के नीति और विकास के उप महासचिव हैं। इस कार्यक्रम में भारत, मलेशिया, नेपाल, वियतनाम और अन्य देशों के कई रिकॉर्ड धारकों और विशेष उपलब्धियों के लिए सम्मानित व्यक्तियों ने भाग लिया।
शांति का संदेश
लेफ्टिनेंट कर्नल बंसल ने कहा, “इस रिकॉर्ड को बनाने का उद्देश्य दुनिया भर में शांति का संदेश फैलाना है।” उन्होंने यह भी बताया कि यह क्षमता उनके लिए एक ईश्वर का उपहार है, जिसे उन्होंने अपनी कला में ढाला है।
व्यक्तिगत जीवन और उपलब्धियाँ
लेफ्टिनेंट कर्नल (डॉ.) हेमेंद्र बंसल राजस्थान के भरतपुर के निवासी हैं। वह एक लघु कलाकार, प्रेरक वक्ता और शौकिया फोटोग्राफर हैं, जिन्होंने तीन दशकों से अधिक समय से इस कला का अभ्यास किया है। उनके नाम पर 2 लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और 5 राष्ट्रीय रिकॉर्ड हैं। उन्हें वर्ल्ड रिकॉर्ड्स यूनिवर्सिटी, यूनाइटेड किंगडम से मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त है। इसके अतिरिक्त, उन्हें मेरठ रतन और कई अन्य राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।
निष्कर्ष
लेफ्टिनेंट कर्नल (डॉ.) हेमेंद्र बंसल की कला न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह शांति और सद्भाव का एक प्रेरणादायक प्रतीक भी है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल देश को गौरवान्वित किया है, बल्कि यह भी संकेत दिया है कि कैसे एक व्यक्ति कला के माध्यम से महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश भेज सकता है।
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