नायक जदुनाथ सिंह, परमवीर चक्र स्मारक का उद्घाटन – शाहजहांपुर के खजुरी गांव में वीरता को अमर बनाने का ऐतिहासिक क्षण
शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश | 15 फरवरी 2025
भारतीय सेना के महान योद्धा नायक जदुनाथ सिंह, परमवीर चक्र के अद्वितीय साहस और सर्वोच्च बलिदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के खजुरी गांव में एक भव्य स्मारक का उद्घाटन किया गया। यह ऐतिहासिक स्मारक उस वीर जवान के सम्मान में बनाया गया है, जिन्होंने 1947-48 के भारत-पाक युद्ध में दुश्मनों से लड़ते हुए अपनी अंतिम सांस तक मातृभूमि की रक्षा की।
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इस गौरवशाली अवसर पर पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एवं द राजपूत रेजिमेंट के कर्नल, लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार, पीवीएसएम, एवीएसएम मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने स्मारक का अनावरण किया। इस अवसर पर श्री हरि शंकर वर्मा, विधायक, जलालाबाद, ब्रिगेडियर एच.एस. संधू, एसएम, कमांडेंट, राजपूत रेजिमेंटल सेंटर, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, युद्ध के दिग्गज, नायक जदुनाथ सिंह के परिजन और बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।
नायक जदुनाथ सिंह: शौर्य और बलिदान की अमर गाथा
नायक जदुनाथ सिंह का नाम भारतीय सैन्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के खजुरी गांव में हुआ था। वे भारतीय सेना की राजपूत रेजिमेंट का हिस्सा थे और 1947-48 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने दुश्मनों के खिलाफ अभूतपूर्व वीरता का परिचय दिया।
नौशेरा की लड़ाई (1948) के दौरान, नायक जदुनाथ सिंह अपनी टुकड़ी के साथ दुश्मनों का डटकर सामना कर रहे थे। वे अपने साथियों के साथ एक महत्वपूर्ण पोस्ट पर तैनात थे, जिसे पाकिस्तानी सेना ने अपने कब्जे में लेने की योजना बनाई थी। दुश्मनों की संख्या अधिक थी और वे लगातार हमले कर रहे थे, लेकिन नायक जदुनाथ सिंह ने अपने साथियों को प्रोत्साहित किया और पूरी ताकत से मोर्चा संभाले रखा।
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जब दुश्मनों ने दूसरी बार हमला किया, तो भारतीय सैनिकों को भारी नुकसान हुआ। बावजूद इसके, नायक जदुनाथ सिंह ने अपने घायल शरीर के बावजूद अकेले ही दुश्मनों पर धावा बोल दिया। वे एक-एक करके कई दुश्मनों को मार गिराते गए, जिससे शत्रु सेना में खौफ फैल गया। अपने अद्वितीय शौर्य और दृढ़ संकल्प से उन्होंने दुश्मनों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया, लेकिन इस वीरता का मूल्य उन्हें अपने प्राणों की आहुति देकर चुकाना पड़ा।
उनकी इस अतुलनीय बहादुरी और बलिदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया, जो कि देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।
स्मारक: वीरता और प्रेरणा का प्रतीक
खजुरी गांव में स्थापित यह स्मारक नायक जदुनाथ सिंह की शौर्यगाथा को अमर बनाता है। स्मारक में उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है, जो मातृभूमि की रक्षा के लिए उनके अद्वितीय समर्पण को दर्शाती है। स्मारक पर नौशेरा युद्ध का विस्तृत विवरण उकेरा गया है, ताकि आने वाली पीढ़ियां इस महान योद्धा के बलिदान से प्रेरित हो सकें।
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इस अवसर पर नायक जदुनाथ सिंह के परिवार के सदस्यों ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। उनके परिजनों ने कहा कि यह स्मारक सिर्फ उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है।
सैन्य अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का संबोधन
उद्घाटन समारोह में संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने कहा:
“नायक जदुनाथ सिंह, परमवीर चक्र, भारतीय सेना के उन वीर सैनिकों में से हैं, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनकी बहादुरी, निष्ठा और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहेगा। यह स्मारक उनके शौर्य की गाथा को चिरकाल तक जीवित रखेगा और हमारे युवाओं को राष्ट्र सेवा के प्रति प्रेरित करेगा।”
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श्री हरि शंकर वर्मा, विधायक, जलालाबाद ने अपने संबोधन में कहा:
“नायक जदुनाथ सिंह जैसे वीर योद्धा देश की असली पहचान हैं। यह स्मारक सिर्फ एक संरचना नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति, साहस और बलिदान की जीवंत गाथा है। हमें गर्व है कि शाहजहांपुर की भूमि ने ऐसा वीर योद्धा दिया, जिसने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।”
समारोह में उमड़ा जनसैलाब
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण, युवा छात्र, सैन्य अधिकारी, पूर्व सैनिक और स्वतंत्रता सेनानियों के परिजन उपस्थित रहे। लोगों ने नायक जदुनाथ सिंह की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। समारोह में देशभक्ति गीतों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से वीर सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट किया गया।
शहर के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थियों ने भी इस आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास और नायक जदुनाथ सिंह के शौर्य पर देशभक्ति के गीत गाए और नाट्य प्रस्तुतियां दीं, जिससे वातावरण भावनात्मक और प्रेरणादायक बन गया।
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युवाओं के लिए प्रेरणा
यह स्मारक सिर्फ अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक संदेश भी है। यह युवा पीढ़ी को देशभक्ति और बलिदान का महत्व समझाने का कार्य करेगा। सैन्य अधिकारियों ने इस अवसर पर युवाओं को सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया।
समारोह का समापन और राष्ट्रगान
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित जनों ने राष्ट्रीय गान गाकर इस गौरवशाली आयोजन का समापन किया। सेना के जवानों ने सलामी देकर इस वीर सैनिक को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की।
निष्कर्ष
नायक जदुनाथ सिंह का यह स्मारक न केवल उनके बलिदान को याद दिलाएगा, बल्कि देश के हर नागरिक को मातृभूमि की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहने का संदेश देगा। उनकी वीरता की यह गाथा आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रभक्ति, साहस और कर्तव्यपरायणता की प्रेरणा देती रहेगी।
रिपोर्ट: [रक्षा संवाददाता साहिल ] | द इंटरनल न्यूज़ TIN नेटवर्क
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