इस बार पाकिस्तान से नहीं आएंगी टिड्डियां:पलक झपकते ही फसलों को करती हैं नष्ट, बॉर्डर इलाकों में सर्वे के बाद आई राहत की खबर
जोधपुर
इस बार टिडि्डयां राजस्थान नहीं आएंगी। माना जा रहा है कि पाकिस्तान की हवाएं ईरान की दिशा में चल रही हैं। इस वजह से टिड्डी दलों का खतरा न के बराबर है। टिड्डी नियंत्रण विभाग ने बॉर्डर इलाकों में सर्वे कराया था। इसी सर्वे रिपोर्ट के आने के बाद विभाग के साथ ही किसानों ने भी अब राहत की सांस ली है। किसानों की फसलों को पलभर में चट कर जाने वाली ये टिडि्डयां पाकिस्तान की ओर से आती थीं।
6 देशों से उड़कर आने वाली इन टिड्डियों की संख्या लाखों में होती है। एक बार ये किसी खेत की फसलों पर बैठ जाएं तो उसे पूरा नष्ट करके ही दम लेती हैं। बारिश के समय में आने वाली टिड्डी पश्चिमी राजस्थान में लाखों टन धान की फसल नष्ट कर देती हैं। इधर, किसानों के चेहरे पर अब भी टिडि्डयों का भय साफ देखा जा सकता है। इन दिनों कई जगहों पर टिड्डी की तरह ही दिखने वाली अन्य प्रजाति ‘ग्रास हॉपर’ भी देखी गई है। इसके चलते किसान काफी चिंतित हैं। उन्हें लगता है कि ये टिड्डी ही है।
जोधपुर में टिड्डी नियंत्रण विभाग के सहायक निदेशक डॉ. वीरेंद्र कुमार से बात की। उन्होंने दावा किया कि टिड्डियां इस बार पाकिस्तान से ईरान की दिशा में जाएंगी।
टिड्डी नियंत्रण विभाग ‘ग्रास हॉपर’ के मिलने की जानकारी के बाद एहतियातन कीटनाशक का छिड़काव करा रहा है।
10 मिनट में नष्ट कर देती हैं बड़े से बड़े खेत की फसल
टिड्डी नियंत्रण विभाग के सहायक निदेशक डॉ. वीरेंद्र कुमार बताते हैं- एक बार टिड्डियां किसी खेत की फसल पर बैठ जाए, पल भर में उसे नष्ट कर देती हैं। भारत में टिड्डियां मोरक्को से चलकर इथोपिया, ईरान, इजिप्ट, अफगानिस्तान, पाकिस्तान होते हुए आती हैं। इनके लिए बारिश के बाद नमी का मौसम सबसे अच्छा रहता है। इनकी लाइफ ढाई से तीन माह तक होती है। इनका वजन करीब 3 ग्राम होता है। अपने वजन से दो गुना पांच से 6 ग्राम तक फसल ये चट कर जाती हैं। टिड्डी दल रात के समय ही फसलों को नुकसान पहुंचाता है। अगले दिन सूर्योदय के साथ उड़ जाता है।
बॉर्डर पर सर्वे करवाया
डॉ. वीरेंद्र कुमार बताते हैं- राजस्थान-गुजरात में अभी टिड्डी की आशंका नहीं हैं। एहतियातन पाली, जालोर, जोधपुर, जैसलमेर, नागौर में विभाग की ओर से कंट्रोल रूम बनाया गया है। फोन आने पर यहां से स्थानीय टिड्डी मंडल कार्यालय की टीम मौके पर भेजी जाती है।
कुमार कहते हैं- वर्तमान में टिड्डी का बॉर्डर सर्वे भी करवाया गया है। बारिश व नमी के मौसम में टिड्डी के लिए मौसम अनुकूल है। ये पाकिस्तान की तरफ से बाॅर्डर पार कर यहां आती हैं। इस बार भारत में हवा की दिशा विपरीत है। इसलिए टिड्डी आने की संभावना नहीं है।
एक बार में देती हैं 200 अंडे
सहायक निदेशक डॉ. वीरेंद्र कुमार बताते हैं- टिड्डी एक बार में करीब 200 अंडे देती हैं। यह मिट्टी के अंदर छेद बनाकर अंडे देती हैं। मैच्योर होने पर पीले रंग की होती है। लेकिन, अपरिपक्व अवस्था में इसका रंग गुलाबी होता है। पीला होने पर यह अंडे देने शुरू करती हैं। अंडे देने के बाद इसकी मौत हो जाती है। टिड्डी के बच्चे को ‘हाॅपर’ कहते हैं। एक माह से डेढ़ माह में इनके पंख आते हैं।
‘ग्रास हॉपर’ को किसान टिड्डी समझ रहे हैं। इसके चलते विभाग की टीम ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच कर टिड्डी और ‘ग्रास हॉपर’ के बारे में बता रही है।
जैसलमेर के कई हिस्सों में आई थी टिड्डी
डॉ. वीरेंद्र कुमार बताते हैं- 2023 के अगस्त में जैसलमेर जिले के मोहनगढ एरिया में टिडि्डयां आई थीं। उस समय यहां पर टीम को चार दिन कंट्रोल करने में लगे थे। टीम ने करीब 836 हेक्टेयर एरिया मोहनगढ़ में कवर किया था। हालांकि, कंट्रोल करने की वजह से टिड्डी राजस्थान के आगे के हिस्सों में नहीं पहुंच सकीं। बीकानेर में भी आई थीं। टीम ने 1 दिन में ही उसे भी कंट्रोल कर लिया था। 2019 में भी जोधपुर के सालावास में टिड्डी दल आया था।
नमी का मौसम ढूंढती हैं टिड्डियां
डॉ. वीरेंद्र कुमार बताते हैं- दरअसल टिड्डी अपने अंडों के लिए अनुकूल परिस्थितियां ढूंढती हैं। इसके लिए राजस्थान और गुजरात का एरिया जुलाई से लेकर नवंबर तक अनुकूल होता है। यहां कि मिट्टी बलुई है। यह अंडे देने के लिए सुरक्षित होता है। इसके चलते इन दो राज्यों में हमेशा टिड्डी का खतरा रहता है।
ग्रास हॉपर को समझ रहे टिड्डी
डॉ. वीरेंद्र कुमार बताते हैं- बारिश के बाद अब टिड्डी की ही एक दूसरी प्रजाति ‘ग्रास हॉपर’ खेतों में आई है। जाजीवाल पटेलों की ढाणी जोधपुर के किसान पोलाराम के यहां ‘ग्रास हॉपर’ पाया गया। इसके बाद यहां छिड़काव किया गया। जानकारी नहीं होने के चलते किसान टिड्डी समझ घबरा रहे हैं। इसको लेकर विभाग की ओर से जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।
पिछले साल मूंग-बाजरा की फसलों को नुकसान पहुंचाया
पिछले साल अगस्त में टिडि्डयों ने मूंग-बाजरा की फसलों को नुकसान पहुंचाया था। पिछले साल जैसलमेर में टिडि्डयों ने 836 हेक्टेयर फसलों (मूंग) को नुकसान पहुंचाया था। बीकानेर में भी टिडि्डयों ने काफी नुकसान पहुंचाया था। पिछले साल जोधपुर में टिडि्डयां नहीं आई थीं। टिड्डी नियंत्रण विभाग ने 4 दिन में कंट्रोल किया था। जोधपुर के टिड्डी नियंत्रक विभाग के पास राजस्थान के जालोर, बाड़मेर, नागौर, अनूपगढ़, जैसलमेर, जोधपुर, चूरू, बीकानेर, सूरतगढ़, फलौदी के अलावा गुजरात के पालनपुर, भुज, वडोदरा आदि इलाकों का चार्ज है।
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